नासा के ‘अनुसंधान जेट विमान’ की मदद से कोरोना का अध्ययन | 28 Jul 2017

चर्चा में क्यों ?
विदित हो कि नासा के वैज्ञानिक ‘अनुसंधान जेट विमानों’ का उपयोग कर सूर्य के कोरोना संबंधी अध्ययन की योजना बना रहे हैं। विमानों के अगले सिरों में लगाए गए दो दूरबीनों की मदद से पहली बार सूर्य के कोरोना यानी प्रभामंडल की स्पष्ट तस्वीरें ली जाएंगी तथा साथ ही पहली बार तापित बुध ग्रह की तस्वीरें (images of thermal mercury) भी ली जाएंगी।

क्यों महत्त्वपूर्ण है यह अभियान ?

  • दरअसल, सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य से आने वाले प्रकाश को पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे चन्द्रमा द्वारा रोक लिया जाता है। चूँकि पूर्ण सूर्यग्रहण में चंद्रमा लगभग पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है, फिर भी इसके चारों ओर एक हल्का चमकीला कोरोना नज़र आता है।
  • कोरोना यानी प्रभामंडल लाखों डिग्री सेंटीग्रेड तक गरम हो जाता है, फिर भी सूर्य की निचली परत कुछ हज़ार डिग्री सेंटीग्रेड तक ही गरम होती है। वैज्ञानिकों को अब तक इस बारे में पता नहीं चल पाया है कि ऐसा क्यों होता है।
  • एक सिद्धांत के अनुसार कोरोना में ताप, सूक्ष्म स्तर पर होने वाले विस्फोटों जिन्हें नैनोफ्लेयर्स कहा जाता है के कारण पैदा होता है, लेकिन यह विस्फोट इतने सूक्ष्म स्तर पर होता है कि अब तक इसे किसी ने किसी भी माध्यम से देखा नहीं है।
  • नासा, अनुसंधान जेट के ज़रिये ‘हाई क्वालिटी इमेजेज़’ प्राप्त कर नैनोफ्लेयर्स का अध्ययन करना चाहता है, ताकि यह पता चल सके कि इसके माध्यम से कोरोना बाहर की तरफ गर्म होता है या अन्दर की तरफ।

अन्य तथ्य

  • 28 जुलाई, 1851 को पूर्ण सूर्यग्रहण में पर्सियन फोटोग्राफर बर्कवोस्की ने पहली बार सूर्य के कोरोना का फोटोग्राफ लिया था।
  • सबसे लंबी अवधि वाला सूर्यग्रहण 30 जून, 1973 को हुआ था, जिसकी अवधि सात मिनट चार सेकेंड की थी तथा सबसे छोटी अवधि वाला ग्रहण 17 अप्रैल, 1912 को हुआ था, जिसकी अवधि मात्र दो सेकेंड की थी।

सूर्य से संबंधित कुछ बिंदु

  • सूर्य एक मध्यम आकार का तारा है। यह सौर परिवार का मुखिया है। सौरमंडल के सभी सदस्य ग्रह, उपग्रह, आदि निरंतर उसकी परिक्रमा करते हैं। सौर ऊर्जा जीवन का आवश्यक अंग है।
  • पौधों में संश्लेषण क्रिया सूर्य प्रकाश के माध्यम से होती है। संश्लेषण क्रिया से ऑक्सीजन पैदा होती है, जो हमारे लिये जीवनदायिनी है।
  • यह सौरमंडल का सबसे बड़ा निकाय है। सौरमंडल का अधिकांश द्रव्यमान सूर्य के पास है। हाइड्रोजन व हीलियम सूर्य के मुख्य अवयव है। शेष तत्त्व अंशमात्र है।
  • सूर्य नाभकीय ऊर्जा से दहकता है। यह ऊर्जा संलयन क्रिया से उत्पन्न होती है, जिसके लिये आवश्यक इंधन उसके भीतर ही मौजूद है। सूर्य अपनी धूरी पर घूमने के साथ आकाश गंगा के केंद्र की भी परिक्रमा करता है।