नगा समस्या, समाधान के निकट। | 07 Jul 2017

संदर्भ
भारत के पूर्वोत्तर में स्थित नगा समुदाय एवं नगा संगठन नगा बहुल इलाकों को लेकर एक ग्रेटर नगालिम राज्य बनाने की लंबे समय से माँग कर रहे हैं। इस विषय पर उनकी केंद्र सरकार से कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है। नगा शांति वार्ता के वार्ताकार, आर. एन. रवि ने कहा है कि दशकों पुरानी इस राजनीतिक समस्या का समाधान निकट है।

प्रमुख घटनाक्रम 

  • केंद्र सरकार और एनएससीएन (आई-एम) के बीच चल रही वार्ता को मज़बूत बनाने के लिये श्री रवि, नगा सिविल सोसायटी और एनजीओ के साथ बातचीत करने के लिये  राज्य में हैं। वार्ताकार सर्वोच्च जनजातीय संगठनों के साथ बंद दरवाजों की बैठक आयोजित करेगा।

क्या है नगा समस्या ?

  • पूर्वोत्तर में स्थित नगा  समुदाय और नगा संगठन ऐतिहासिक तौर पर नगा बहुल इलाकों को लेकर एक ग्रेटर नगालिम राज्य बनाने की लंबे समय से माँग कर रहे हैं। ‘नगालिम' या ग्रेटर नगा राज्य का उद्देश्य मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश के नगा बहुल इलाक़ों का नगालिम में विलय करना है।
  • हालाँकि यह भारत की एक पुरानी समस्या है, परन्तु मणिपुर में भाजपा की सरकार बनने के पश्चात् से 60 वर्ष पुरानी इस समस्या के समाधान का रास्ता साफ होता दिख रहा है। केंद्र सरकार यह चाहती है कि नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन) का इसाक मुइवा गुट 'नगालिम' की अपनी मांग छोड़ दे।
  • ऐसा इसलिये है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी असम और मणिपुर में विधानसभा चुनाव के दौरान लगातार ये कहते रहे कि नगा समस्या के समाधान के लिये उत्तर-पूर्व के राज्यों का पुनर्गठन नहीं होगा।
  • अगस्त 2015 में एनएससीएन और मोदी सरकार के बीच हुए समझौते को दोनों पक्षों ने फिलहाल पर्दे में ही रखा है। समझौते में मणिपुर के हितों के विरुद्ध कुछ भी नहीं है। 
  • प्रस्तावित नगा राज्य के गठन की मांग के अनुसार मणिपुर की 60 फ़ीसदी ज़मीन नगालैंड में जा सकती है। मैतेई और कुकी ये दोनों समुदाय मणिपुर के इलाकों का नगालिम में विलय का विरोध करते हैं और इन लोगों ने मोदी पर भरोसा ज़ताया है।
  • गौरतलब है कि एनएससीएन और भारत सरकार के बीच बातचीत में आरंभ से ही पूरी गोपनीयता रखी गई है। ये बातचीत 1997 में आरंभ हुई थी। बातचीत का ब्यौरा सार्वजनिक करने के लिये लगातार दबाव होने के बावजूद अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की सरकारों ने इसे पूरी तरह से गोपनीय रखा है।
  • मगर ऐसी ख़बरें आती रही हैं कि इस प्रस्ताव में मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश के नगा इलाक़ों को नगालैंड के साथ रचनात्मक रूप से शिक्षा और संस्कृति के ज़रिए जोड़ने की बात थी, साथ ही नगालैंड को भारतीय राज्यों की तुलना में ज़्यादा अधिकार देने की भी बात कही गई थी ।
  • भारत सरकार ने एनएससीएन को न सिर्फ नगा संप्रभुता की मांग छोड़ने पर रज़ामंद करने की कोशिश की बल्कि ग्रेटर नगालैंड की मांग भी छोड़ने को कहा जिसके लिये पूर्वोत्तर के राज्यों का पुनर्गठन करना पड़ता।