ला पेरॉस: बहुपक्षीय समुद्री अभ्यास | 07 Apr 2021

चर्चा में क्यों?

भारतीय नौसेना के जहाज़ आईएनएस सतपुड़ा (INS Satpura) तथा पी 8I लॉन्ग रेंज मेरीटाइम पैट्रोल एयरक्राफ्ट (P8I Long Range Maritime Patrol Aircraft) के साथ आईएनएस किल्तान (INS Kiltan) पहली बार बहुपक्षीय सामुद्रिक अभ्यास ला पेरॉस (La Perouse) में भाग ले रहे हैं, जिसका संचालन 5 से 7 अप्रैल, 2021 तक पूर्वी हिंद महासागर में किया जा रहा है। 

  • ला पेरॉस अभ्यास के बाद भारत-फ्राँस के नौसैनिक अभ्यास "वरुण" का  आयोजन पश्चिमी हिंद महासागर में किया जाना निर्धारित है, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भी भाग लेगा।

प्रमुख बिंदु

ला पेरॉस के विषय में:

  • इस संयुक्त अभ्यास की शुरुआत फ्राँस द्वारा वर्ष 2019 में की गई थी, जिसके प्रथम संस्करण में ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के जहाज़ शामिल हुए थे।
  • इस अभ्यास का नाम 18वीं शताब्दी के फ्राँस नौसेना के एक खोजकर्त्ता के नाम पर रखा गया है।
  • इस अभ्यास में भारत की भागीदारी ने फ्रांसीसी नेतृत्व वाले नौसैनिक अभ्यास में क्वाड (QUAD) देशों के प्रतिनिधित्व को पूरा कर दिया।
    • क्वाड भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान का एक समूह है, जिसका उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र में लोकतांत्रिक देशों के हितों की रक्षा करना तथा वैश्विक चुनौतियों का समाधान करना है।
  • ला पेरॉस अभ्यास में सर्फेस वॉरफेयर, एंटी-एयर वॉरफेयर और एयर डिफेंस एक्सरसाइज़ेज़, वीपन फायरिंग एक्सरसाइज़ेज़, क्रॉस डेक फ्लाइंग ऑपरेशंस, सामरिक युद्धाभ्यास तथा समुद्र में ईंधन भरने जैसे जटिल एवं उन्नत कलात्मक नौसेना अभ्यास देखने को मिलेगा।
  • यह अभ्यास इसमें शामिल पाँचों देशों को उच्च-स्तरीय नौसैनिक बलों के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित करने, उनके कौशल को बढ़ाने और स्वतंत्र तथा खुले भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग को बढ़ावा देने का समान अवसर प्रदान करेगा।

भारत-प्रशांत क्षेत्र का नौसैनिक महत्त्व:

  • यह क्षेत्र धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से स्वतंत्र, खुले, समावेशी और एक नियम आधारित व्यवस्था की स्थापना के लिये बहुराष्ट्रीय गतिविधियों का महत्त्वपूर्ण केंद्र बनता जा  रहा है, जो नौचालन की स्वतंत्रता तथा शांतिपूर्ण सहकारी उपयोग के समर्थन पर आधारित है।
  • इसका लक्ष्य क्षेत्रीय समुद्री विवादों के शांतिपूर्ण समाधान हेतु संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS) जैसे अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का सम्मान तथा पालन करना है।
    • क्वाड नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region) में लाइव फायर ड्रिल, खोज और बचाव (SAR) आदि के संचालन जैसे नौसैनिक अभ्यासों के माध्यम से यह दर्शाया है कि वह बहु-राष्ट्रीय नौसेना की शक्तियों के साथ मिलकर प्रभावी रूप में काम करने में सक्षम है।
    • क्वाड सदस्य देशों की नौसेना ने नवंबर 2020 में मालाबार युद्धाभ्यास (Malabar Exercise) में भाग लिया था।
  • दूसरी ओर चीन इन क्षेत्रों में समुद्री कानूनों का उल्लंघन करते हुए अपने समुद्रों (पीला सागर, पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर) के चारों ओर एक रक्षात्मक परिधि बनाने का प्रयास कर रहा है।

Indo-pacific-region

क्वाड+फ्राँस की प्रशांत महासागर संबंधी चिंताएँ:

  • प्रशांत में द्वीपों का क्षेत्र उत्तर में हवाई से लेकर दक्षिण में टोंगा तक और पूर्व में ईस्टर द्वीप से लेकर पश्चिम में न्यू कैलेडोनिया तक फैला हुआ है।
  • भारत-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी हित को उसका इस क्षेत्र में स्थित सबसे बड़ा एकीकृत यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड (US Indo-Pacific Command) अच्छी तरह से चित्रित करता है।
  • फ्राँस की न्यू कैलेडोनिया, फ्रेंच पोलिनेशिया, वालिस और फ्यूचूना में सीधी रणनीतिक तथा आर्थिक हिस्सेदारी है। फ्राँस प्रशांत समुदाय और प्रशांत क्षेत्रीय पर्यावरण कार्यक्रम (Pacific Community and the Secretariat of the Pacific Regional Environment Programme- SPREP) के सचिवालय का सदस्य है।
  • जापान का यद्यपि चीन के साथ व्यापार संबंध है लेकिन सैन्य शक्ति के रूप में चीन के विकास पर हमेशा संदेह रहा है। जापानी जल और हवाई क्षेत्र के करीब चीन की मुखरता जापान के लिये चिंता का विषय है।
  • भारतीय नौसेना समुद्र के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित नियमों (Rules of the Road) के अनुपालन को सुनिश्चित करने हेतु IOR पर हमेशा से एक सामरिक बढ़त बनाए हुए है।
    • विश्व ने इसका सम्मान (जैसे कि भारत को IOR से गुज़रने वाले युद्धपोतों की सूचना देकर) किया है, लेकिन भारतीय नौसेना ने इस क्षेत्र में कई बार चीनी जहाज़ों और पनडुब्बियों को देखने एवं उनकी संदिग्ध गतिविधियों का दावा किया है।

भारत-फ्राँस के बीच होने वाले संयुक्त अभ्यास

France

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस