SC/ST समुदायों के सशक्तीकरण हेतु सहमति-पत्र पर हस्‍ताक्षर | 21 Jun 2019

चर्चा में क्यों?

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों के सशक्तीकरण हेतु डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (Dr. Ambedkar International Centre- DAIC) तथा दलित इंडियन चैंबर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज़ (Dalit Indian Chamber of Commerce and Industry-DICCI) ने एक सहमति-पत्र पर हस्‍ताक्षर किये हैं।

प्रमुख बिंदु

  • इस समझौता ज्ञापन का मुख्‍य उद्देश्य अनुसूचित जाति (Scheduled Castes- SC) और अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes- ST) की महिलाओं और युवाओं के बीच दलित उद्यमिता, सशक्तीकरण, कौशल विकास क्षमता निर्माण तथा सामाजिक आर्थिक स्थितियों पर विभिन्‍न सरकारी योजनाओं के प्रभाव का अनुसंधान के माध्यम से सशक्तीकरण करना है।
  • इस संयुक्‍त उपक्रम के माध्‍यम से डॉ. अम्‍बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (DAIC), SC और ST के व्‍यवसायिक क्षेत्रों की जानकारी/आँकड़े प्राप्त कर सकेगा।
  • प्राप्त आँकडों से दलित युवाओं में पर्याप्‍त उद्यमिता की भावना विक‍सित नहीं किये जाने का पता लगाया जा सकेगा साथ ही उन्हें वैश्विक समाज की मुख्य धारा से जोड़ने में सहायता भी प्राप्त होगी।

डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र

(Dr. Ambedkar International Centre- DAIC)

  • इसका उद्घाटन नई दिल्ली में 7 दिसंबर 2017 को भारत के प्रधान मंत्री द्वारा किया गया।
  • यह सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के क्षेत्र में अध्ययन, अनुसंधान, विश्लेषण और नीति निर्माण के लिये एक उत्कृष्ट केंद्र है।
  • केंद्र का मुख्य बिंदु दृढ़ और आधिकारिक अनुसंधान का संचालन करके सामाजिक तथा आर्थिक विषमताओं को कम करना है।

दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री

(Dalit Indian Chamber of Commerce and Industry- DICCI)

  • इसकी स्थापना 2005 में एक सिविल इंजीनियर एवं उद्यमी मिलिंद कांबले ने की थी।
  • यह पुणे में अवस्थित है, मिलिंद कांबले वर्तमान में इसके अध्यक्ष हैं।
  • यह संगठन 18 स्टेट चैप्टर और 7 इंटरनेशनल चैप्टर की मदद से विकसित हुआ है।
  • इसका सदस्यता का आधार तेज़ी से बढ़ रहा है क्योंकि अब दलित उद्यमी इसकी गतिविधियों से ज़्यादा अवगत हो गए हैं।

DAIC और DICCI के बीच सहयोग के मुख्‍य क्षेत्र इस प्रकार हैं :

  • अनुसंधान और प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोगात्मक प्रयास करने के लिये DAIC और औद्योगिक संगठनों के बीच संबंधों को मज़बूत करना।
  • ज्ञान बैंक (Knowledge Bank) बनाने के लिये संयुक्त प्रयास करना, जिसका उपयोग विद्वानों, शोधकर्त्ताओं और नीति निर्माताओं की सुविधा के लिये किया जा सकता है।
  • शैक्षिक सामग्री और प्रकाशनों का आदान-प्रदान करना।
  • व्याख्यान कार्यक्रम, सेमिनार, संगोष्ठी और अन्य प्रकार की शैक्षिक चर्चाओं का आयोजन करना तथा कर्मचारियों के लिये संयुक्‍त अनुसंधान कार्य करना, जिससे पाठ्यक्रम की समीक्षा तथा शिक्षण एवं अनुसंधान कौशल को निखारा जा सकें।
  • संयुक्‍त रूप से सलाहकारी सेवाएँ देना।
  • बेहतर अनुसंधान और नीतिगत सुझावों के लिये शिक्षा संस्‍थाओं में उद्योग के तकनीकी ज्ञान को शामिल करने हेतु पृष्ठभूमि तैयार करना।
  • शैक्षणिक और नीतिगत अनुसंधान से संबंधित गतिविधियों और स्टार्ट-अप के लिये क्षमता निर्माण हेतु उद्योगों और संस्थानों, मंत्रालयों, अनुसंधान केंद्रों और एजेंसियों द्वारा DAIC और DICCI की परियोजनाओं को प्रायोजित करने के लिये एक सामान्य आधार तैयार करना।
  • DAIC और DICCI दोनों को आपसी प्रयासों से बनाये गए ज्ञान उत्‍पादों पर बौद्धिक संपदा का अधिकार होगा।
  • मूल शैक्षिक अनुसंधानों के लिये परिसर में निःशुल्‍क सुविधाएँ उपलब्‍ध कराना।
  • अनुभव-साझा करने और संस्थागत निर्माण गतिविधियों में भागीदारी।
  • राष्ट्रीय स्‍तर पर शिक्षण गतिविधियों के रूप में नियमित क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करना। उदाहरण के लिये, इसमें भारतीय प्रशासन प्रणाली की विशेष परियोजनाओं और गतिविधियों के अंतर्गत शिक्षण एवं समर्थन सेवाएँ शामिल हो सकती हैं।
  • भारतीय शिक्षाविदों, अधिकारियों और पेशेवरों के लिये विशेष रूप से सीखने के तरीकों, अनुसंधान और नीति विश्लेषण, प्रशासन, सामाजिक न्याय और सामाजिक तथा वित्तीय समावेशन के क्षेत्रों में प्रशिक्षण की व्‍यवस्‍था करना।
  • कौशल विकास के उभरते रूझानों और रोज़गार से संबंधित विषयों पर अनुसंधान सहयोग।
  • श्रमिकों और वयस्कों के लिये दूरस्‍थ शिक्षा हेतु अभिनव शिक्षण कार्यक्रम विकसित करना।

निष्कर्ष

  • DICCI दलित उद्यमियों को एक साथ जोड़ने के साथ-साथ इनके लिये एक संसाधन केंद्र के रूप में भी कार्य करता है, जिससे दलितों की आर्थिक और सामाजिक समस्‍याओं के समाधान में मदद मिलती है। ऐसे में दलित समुदाय के आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य करने वाले DAIC का DICCI के साथ आना दलित समुदाय के उत्‍थान के लिये काफी महत्त्वपूर्ण प्रयास होगा।

स्रोत- PIB