आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन: भारत-तुर्कमेनिस्तान | 08 Jan 2022

प्रिलिम्स के लिये:

तुर्कमेनिस्तान और मध्य एशियाई राष्ट्र, TAPI पाइपलाइन, अश्गाबात समझौता।

मेन्स के लिये:

भारत और इससे संबंधित चुनौतियों के लिये मध्य एशियाई देशों का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए।

Turkmenistan

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • यह समझौता ज्ञापन एक ऐसी प्रणाली स्थापित करने का प्रयास करता है जिससे दोनों ही देश एक-दूसरे के आपदा प्रबंधन तंत्र से लाभान्वित हों।
    • यह आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में तैयारियों, प्रतिक्रिया और क्षमता निर्माण के क्षेत्रों को मज़बूत करने में मदद करेगा।
    • वर्तमान में भारत के पास स्विट्जरलैंड, रूस, जर्मनी, जापान, ताजिकिस्तान, मंगोलिया, बांग्लादेश, इटली और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) के साथ आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग के लिये द्विपक्षीय या बहुपक्षीय समझौते/समझौता ज्ञापन/आशय की संयुक्त घोषणा/सहयोग ज्ञापन हैं।
  • भारत-तुर्कमेनिस्तान संबंध:
    • तुर्कमेनिस्तान उत्तर में कज़ाखस्तान, उत्तर व उत्तर-पूर्व में उज्बेकिस्तान, दक्षिण में ईरान तथा  दक्षिण-पूर्व में अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करता है।
    • भारत की 'कनेक्ट सेंट्रल एशिया' नीति 2012 में इस क्षेत्र के साथ गहरे पारस्परिक संबंधों की परिकल्पना की गई है जो ऊर्जा संबंधी नीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
    • भारत अश्गाबात समझौते में शामिल है, जिसमें व्यापार और निवेश को महत्त्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाने हेतु मध्य एशिया को फारस की खाड़ी से जोड़ने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारा स्थापित करने की परिकल्पना की गई है।
    • भारत तापी (TAPI) पाइपलाइन (तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत) को तुर्कमेनिस्तान के साथ अपने आर्थिक संबंधों में एक 'प्रमुख स्तंभ' मानता है।
    • वर्ष 2015 में ‘फ्रीडम इंस्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड लैंग्वेजेज़’, अश्गाबात में हिंदी पीठ की स्थापना की गई, जहांँ विश्वविद्यालय में छात्रों को हिंदी पढ़ाई जाती है।
    • भारत ITEC (भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग) कार्यक्रम के तहत तुर्कमेनिस्तान के नागरिकों को प्रशिक्षण प्रदान करता है। 
    • तुर्कमेनिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करता है।
    • तुर्कमेनिस्तान 40 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था है, लेकिन भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार इसकी क्षमता से कम है। भारत तुर्कमेनिस्तान में विशेष रूप से सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) क्षेत्र में अपनी आर्थिक उपस्थिति बढ़ा सकता है। इससे भविष्य के व्यापार संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
    • हाल ही में भारत-मध्य एशिया वार्ता की तीसरी बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।
      • यह भारत और मध्य एशियाई देशों जैसे कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान के बीच एक मंत्री स्तरीय संवाद है।

स्रोत- पी.आई.बी