उपभोक्‍ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय : उपलब्धियाँ और पहलें | 08 Jun 2018

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा विगत चार वर्षों के दौरान मंत्रालय द्वारा की गई पहलों और सुधारों के बारे में जानकारी दी गई। मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने मई 2014 से अभी तक अनेक महत्त्‍वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। खाद्य प्रबंधन को और अधिक कार्यकुशल बनाने न देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये अनेक पहल शुरू की गई।

खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग

1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (National Food Security Act-NFSA)

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनयम को सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में कार्यान्वित किया गया है, जिससे लगभग 80.72 करोड़ आबादी लाभान्वित हुई है।
  • सरकार ने इस स्कीम के अंतर्गत केंद्रीय निर्गम मूल्य को अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है, अर्थात मोटे अनाज/गेँहू/चावल के लिये 1/2/3 रुपए प्रति किलोग्राम। 
  • इसके परिणामस्वरूप खाद्य सब्सिडी अब 1.43 लाख करोड़ रुपए है, जो वर्ष 2014-15 में 1.13 लाख करोड़ रुपए से 26% अधिक है।     

राशन कार्डों को समाप्‍त करना

  • राशन कार्डों/लाभार्थियों के रिकार्डों के डिजीटीकरण, आधार सीडिंग के कारण नकली राशन कार्डों की समाप्ति, स्‍थानातंरण/निवास स्‍थान परिवर्तन/मृत्‍यु, लाभार्थियों की आर्थिक स्थिति में परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा अधिनियम के कार्यान्‍वयन होने तक की अवधि तथा इसके कार्यान्‍वयन के परिणामस्‍वरूप 2.75 करोड़ राशन कार्ड समाप्‍त कर दिये गए हैं।
  • इसके आधार पर सरकार ने प्रतिवर्ष लगभग 17,000 करोड़ रुपए की खाद्य सब्सिडी सही लाभार्थियों के लिये लक्षित की है।
  • राज्यों के भीतर खाद्यान्नों के संचलन तथा उचित दर दुकानों के डीलरों की मार्जिन पर होने वाले खर्च को पूरा करने के लिये केंद्रीय सहायता के रूप में राज्य सरकारों को वर्ष 2016-17 के दौरान 2500 करोड़ रुपए और वर्ष 2017-18 के दौरान 4500 करोड़ रुपए जारी किये गए।  

प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण (नकद)

  • 21 अगस्‍त, 2015 को ‘खाद्य सब्सिडी का नकद अंतरण नियम, 2015’ अधिसूचित किया गया था, जिसके तहत खाद्य सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के खातों में जमा की जाती है।
  • वर्तमान में चंडीगढ़, पुद्दुचेरी और दादरा एवं नगर हवेली यह योजना क्रियान्‍वित की जा रही है।
  • खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग खाद्य सब्सिडी के नकद अंतरण की दिशा में व्यवस्थित रूप से प्रगति कर रहा है।

2. सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रमुख सुधार

  • जाली/अपात्र/नकली राशन कार्डों को समाप्‍त करने के लिये तथा इसे सही रूप से लक्षित करने के लिये 83.41 प्रतिशत अर्थात् लगभग 19.41 करोड़ राशन कार्ड (29 मई 2018 की स्थिति के अनुसार) आधार के साथ जोड़े गए हैं।

उचित दर दुकानों का स्‍वचालन

  • पायलट योजना और राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों के अनुभवों के आधार पर खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने नवंबर 2014 में उचित दर दुकानों पर पीओएस मशीनों के इस्‍तेमाल के लिये दिशा-निर्देश और विनिर्दिष्‍टियाँ निर्धारित की थीं।
  • फिलहाल (29 मई, 2018 की स्थिति के अनुसार) 5,27,930 उचित दर दुकानों में से 3,16,600 दुकानों में पीओएस मशीनें उपलब्‍ध हैं।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली में डिजिटल/कैशलेस/लेस-कैश भुगतान

  • लेस-कैश/डिजिटल भुगतान तंत्र के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये विभाग ने 7 दिसंबर, 2016 को एईपीएस, यूपीआई, यूएसएसडी, डेबिट/रुपे कार्डों और ई-वॉलेट के इस्‍तेमाल के लिये विस्‍तृत दिशा-निर्देश जारी किये हैं। फिलहाल 10 राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों में कुल 51,479 उचित दर दुकानों में डिजिटल भुगतान की सुविधा उपलब्‍ध है।
  • उपर्युक्त के अलावा, राशन कार्ड डाटा का 100% डिजिटीकरण कर दिया गया है, सभी राज्यों के पास पारदर्शिता पोर्टल है, 30 राज्यों में खाद्यान्नों का ऑनलाइन आवंटन किया जा रहा है और 21 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में आपूर्ति श्रखला प्रबंधन प्रणाली का कम्प्यूटरीकरण कर दिया गया है।

केंद्रीय क्षेत्र की नई स्कीम “सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एकीकृत प्रबंधन”
Integrated Management of PDS (IM-PDS)

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली नेटवर्क तैयार करने हेतु सेंट्रल डाटा रिपोज़ीटरी तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली की केंद्रीय मानीटरिंग प्रणाली (Public Distribution System Network – PDSN) की स्थापना करने और राष्ट्रीय स्तर पर पोर्टेबिलिटी (National level portability) के कार्यान्वयन के लिये यह स्कीम 127.3 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ अनुमोदित की गई है, जिसका कार्यान्वयन वित्तीय वर्ष 2018-19 और वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान किया जाएगा।

3. खाद्यान्नों की खरीद में सुधार

  • रबी विपणन मौसम 2018-19 के दौरान 347 लाख टन गेहूँ की खरीद की गई थी, जो पिछले पाँच वर्षों में सर्वाधिक है।
  • खरीफ विपणन मौसम 2016-17 के दौरान 381.06 लाख टन धान (चावल के रूप में) की रिकार्ड मात्रा की खरीद की गई।

4. खाद्यान्नों के भंडारण में सुधार

गोदामों का निर्माण

  • पिछले चार वर्षों के दौरान निजी उद्यमी गारंटीस्कीम के अंतर्गत कुल 22.23 लाख टन भंडारण क्षमता जोड़ी गई है। 

साईलो - भंडारण में आधुनिक प्राद्यौगिकी का इस्‍तेमाल

  • गेहूं और चावल के भंडारण के लिये भारतीय खाद्य निगम और राज्‍य सरकारों सहित अन्‍य एजेंसियों द्वारा सार्वजनिक-निजी-भागीदारी पद्धति से स्‍टील साइलो के रूप में 100 लाख टन भंडारण क्षमता के निर्माण की रूपरेखा अनुमोदित की गई है।
  • 6.25 लाख टन क्षमता के साईलो का निर्माण कर लिया गया है और 23.5 लाख टन क्षमता के लिये संविदाएँ सौंप दी गई हैं।

अन्य देशों को खाद्यान्नों की आपूर्ति

  • भारतीय खाद्य निगम के स्टॉक से दान/मानवीय सहायता के रूप में अफगानिस्तान को 1.10 लाख टन गेहूँ की आपूर्ति की गई है।

ऑनलाईन खरीद प्रबंधन प्रणाली 
Online Procurement Management System (OPMS)

  • भारतीय खाद्य निगम ने ऑनलाईन खरीद प्रबंधन प्रणाली के लिये एक सॉफ्टवेयर का विकास किया है, जिसका उपयोग खरीफ विपणन मौसम 2016-17 में खरीद के लिये किया जा रहा है।
  • खरीद करने वाले 19 प्रमुख राज्यों में से 17 राज्यों में अब ऑनलाईन खरीद प्रबंधन प्रणाली पूरी तरह कार्यान्वित कर दी गई है। 

डिपो ऑनलाइन प्रणाली (Depot Online system)

  • भारतीय खाद्य निगम के गोदामों के सभी प्रचालनों को ऑनलाइन करने तथा डिपो स्‍तर पर लीकेज को रोकने और कार्यों को स्‍वचालित करने के उ‍द्देश्‍य से मार्च 2016 में 27 राज्‍यों में पायलट आधार पर 31 डिपुओं में ‘डिपो ऑनलाइन’ प्रणाली शुरू की गई थी। 

5. भांडागारण विकास और विनियामक प्राधिकरण में परिवर्तन

  • वेयरहाऊसों के पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाने और उनेक बेहतर और प्रभावी विनियमन एवं पर्यवेक्षण के लिये नया नियम अर्थात भांडागारण (विकास और विनियमन) भांडागारण पंजीकरण नियम [Warehousing (Development and Regulation) Registration of Warehouses Rules], 2017 अधिसूचित किया गया है।

रिपोज़ीटरीज़ का पंजीकरण

  • एनडब्ल्यूआर प्रणाली [Electronic Negotiable Warehouse Receipt (e-NWR)System] में सुरक्षा, विश्वसनीयता का प्रावधान करने और बैंकों के वित्तीय विश्वास में वृद्धि करने के लिये भांडागारण विकास और विनियामक प्राधिकरण ने वेयरहाऊस पंजीयन की ऑनलाईन प्रक्रिया शुरू की है और रिपोज़ीटरीज़ के माध्यम से इलेक्ट्रोनिक एनडब्ल्यूआर जारी करने की शुरुआत की है।
  • भांडागारण विकास और विनियामक प्राधिकरण ने ई-एनडब्ल्यूआर के सृजन तथा प्रबंधन के लिये नेशनल इलेक्ट्रोनिक रिपोजीटरी लिमिटेड (National Commodity & Derivatives Exchange Limited-NCDEX द्वारा प्रायोजित) और सीडीएसएल कमोडिटी रिपोजीटरी लिमिटेड (Central Depository Services Ltd -CDSL द्वारा प्रायोजित) नामक दो रिपोज़ीटरीज़ की नियुक्ति की है। दोनों रिपोज़ीटरीज़ ने दिनांक 26.09.2017 से ई-एनडब्ल्यूआर जारी करना शुरू कर दिया है।

6. एससी/एसटी/ओबीसी हॉस्टल में पोषण के पर्याप्त मानकों को सुनिश्चित करने के लिये अनाज आवंटन

  • भारत सरकार ने एक नई स्कीम रिवैम्प करके अधिसूचित की है, जिसके अंतर्गत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ओबीसी हॉस्टल में पोषण के पर्याप्त मानकों को सुनिश्चित करने के लिये सब्सिडी वाली कीमतों पर खाद्य पदार्थों को कल्याण और समाज के कमज़ोर वर्गों के विकास के लिये आवंटित किया जा रहा है।
  • योजनाबद्ध दिशा-निर्देशों के अनुसार, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ओबीसी समुदाय से संबंधित निवासी छात्रों के कम-से-कम 2/3 वाले छात्रावास सभी निवासी छात्रों के लिये सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के पात्र हैं, जिनमें अन्य श्रेणियों के लोग शामिल हैं।
  • इस योजना के तहत खाद्यान्न का केंद्रीय मूल्य बीपीएल दरों पर तय किया गया है। गेहूँ और चावल के मुद्दे (विभिन्न क्षेत्रों में खाद्य आदतों के आधार पर तय किया जाने वाला अनुपात) निवासियों की पोषण आवश्यकता के अनुसार है, प्रति माह अधिकतम 15 किलोग्राम प्रति व्यक्ति निर्धारित है।

7. भारतीय खाद्य निगम में पेंशन स्कीम और सेवानिवृत्ति उपरांत चिकित्सा स्कीम

  • पेंशन स्कीम और सेवा निवृत्ति उपरांत चिकित्सा स्कीम को लागू की मांग भारतीय खाद्य निगम के कर्मचारियों द्वारा काफी समय से की जा रही थी।
  • भारत सरकार द्वारा दोनों स्कीम अगस्त 2016 में अनुमोदित की गईं और इनमें भारतीय खाद्य निगम के कार्यरत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को कवर किया जाएगा। पेंशन स्कीम 01.12.2008 से कार्यान्वित की गई है और सेवानिवृत्ति उपरांत चिकित्सा स्कीम 01.04.2016 से प्रभावी हुई है।     

उपभोक्ता मामले विभाग

1.) बेहतर उपभोक्ता संरक्षण

  • 31 वर्ष पुराने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को वर्तमान परिस्थितियों के अनुकूल बनाने के लिये 05.01.2018 को संसद में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2018 पेश किया गया।
  • इस विधेयक में, केंद्रीय उपभोक्‍ता संरक्षण प्राधिकरण के नाम से जानी जाने वाली एक कार्यकारी एजेंसी की स्थापना करने का प्रावधान है, जो अनुचित व्यापार और भ्रामक विज्ञापनों इत्यादि की जाँच करेगी।
  • उपभोक्ता विवादों के संबंध में त्वरित निपटान की सुविधा प्रदान करने हेतु एक वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के रूप में “मध्‍यस्‍थता” का प्रावधान; किसी दोषपूर्ण उत्पाद के कारण उपभोक्ता को होने वाली हानि के लिये उत्पाद दायित्व संबंधी प्रावधान और उपभोक्‍ता आयोगों में उपभोक्‍ता विवाद अधिनिर्णय प्रक्रिया को सरल बनाने के संबंध में विभिन्न प्रावधान किये गए हैं।

2) राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन 

  • उपभोक्ता विवादों के प्रभावी एवं तीव्र प्रतितोष के लिये राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाईन का सुदृढ़ीकरण किया गया है।
  • देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को उनकी भाषा में जानकारी देने तथा उनकी भाषा में शिकायत दर्ज कराने की सुविधा प्रदान करने के लिये छह जोनल हेल्पलाइन, प्रत्येक में 10 हेल्पडेस्क सहित, स्थापित की गई हैं।
  • राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के अंतर्गत कंवर्जेंस कार्यक्रम में 430 कंपनियों के साथ भागीदारी की गई हैं, जो शिकायतों का शीघ्रता से समाधान सुनिश्चित करता है।

3) बेहतर गुणता आश्वासन

  • 12 अक्टूबर, 2017 से नया भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016 लागू किया गया है।
  • इस नए अधिनियम में किसी अनुसूचित उद्योग की वस्तु अथवा मद, प्रक्रिया, प्रणाली अथवा सेवा, जिसे जनहित में अथवा मानव, पशु अथवा पादप स्वास्थ्य के संरक्षण, पर्यावरण की सुरक्षा अथवा अनुचित व्यापार की रोकथाम अथवा राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक समझा जाता है, को अनिवार्य प्रमाणन क्षेत्र के अंतर्गत लाने के लिये सक्षम बनाने का प्रावधान है।
  • इसमें विनिर्माताओं को कारोबार करने की सरल सुविधा प्रदान करने के लिये अनुरूपता की स्वतः घोषणा सहित अनुरूपता मूल्यांकन स्कीमों के बहु-प्रकार को अधिसूचित करने का भी प्रावधान है। इसमें मूल्यवान धातु की वस्तुओं की हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने का प्रावधान किया गया है।

4) मात्रा आश्वासन

  • उपभोक्‍ताओं के हितों की सुरक्षा करने तथा व्‍यवसाय की सुविधा प्रदान करने के लिये, विधिक माप विज्ञान (पैकबंद वस्तुएँ) नियमावली में 1 जनवरी, 2018 से निम्नानुसार संशोधन किया गया:-
    ♦ ई-कॉमर्स मंच पर विक्रेता द्वारा प्रदर्शित की जाने वाली वस्‍तुओं पर नियमावली के अंतर्गत अपेक्षित घोषणाएँ होनी चाहिये।
    ♦ नियमावली में यह विशिष्‍ट उल्‍लेख किया गया है कि कोई भी व्‍यक्ति समरूप पूर्व-पैकबंद वस्‍तु पर भिन्‍न-भिन्‍न अधिकतम खुदरा मूल्‍य (दोहरा एम.आर.पी.) घोषित नहीं करेगा।
  • घोषणा के लिये अक्षरों तथा संख्‍याओं के आकार को बढ़ाया गया है, ताकि उपभोक्‍ता इन्‍हें आसानी से पढ़ सकें, निबल मात्रा जाँच को और अधिक वैज्ञानिक बनाया गया है।
    ♦ स्‍वैच्छिक आधार पर बार-कोड/क्‍यू आर कोडिंग की अनुमति दी गई है।
    ♦ खाद्य उत्‍पादों पर घोषणाओं के संबंध में प्रावधान खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम के अंतर्गत नियमन के साथ सुमेलित किये गए हैं।
    ♦ औषध घोषित किये गए चिकित्‍सा यंत्रों को नियमावली के अंतर्गत की जाने वाली घोषणाओं के दायरे में लाया गया है।
    ♦ क्षेत्रीय निर्देश मानक प्रयोगशालाओं द्वारा 100 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत के साथ समय का प्रसार “सेकेंड” किया जाएगा। इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, बैंकिंग प्रणाली में सहायता मिलेगी।

5) आवश्‍यक खाद्य वस्‍तुओं के मूल्‍य

  • पहली बार, 20.5 लाख मीट्रिक टन तक के दालों के बफर स्‍टॉक का सृजन उपभोक्‍ता मामले विभाग की मूल्‍य स्थिरीकरण कोष स्‍कीम के ज़रिये उपभोक्‍ताओं के लिये दालों के मूल्‍यों में उतार-चढ़ाव को प्रतिबंधित करने के उद्देश्‍य से किया गया है।
  • देश भर के 102 केंद्रों की 22 आवश्‍यक वस्‍तुओं के मूल्‍यों की दैनिक आधार पर निगरानी की जा रही है। इनमें से, देश भर में वर्ष 2014 से 45 नए मूल्‍य सूचना केंद्रों को जोड़ा गया है, जिनमें से दो केंद्र पूर्वोत्तर से है।

6) डिजीटल पहलें

  • उपभोक्ता शिकायत प्रतितोष तंत्र तथा उपभोक्ताओं को जानकारी का प्रसार करने में शामिल विभिन्न हितधारकों के लिये एक साझा आई.टी. मंच प्रदान करने हेतु सितंबर 2016 के दौरान राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के अंतर्गत एक नया पोर्टल इनग्राम आरंभ किया गया है।
  • बारकोड रीडर एप “स्मार्ट कंज़्यूमर” जो कि उत्पाद का विवरण जानने तथा पैकबंद वस्तुओं के संबंध में शिकायतें दर्ज करने के लिये एक एप्लीकेशन है, को लाया गया है।