न्यूनतम समर्थन मूल्य | 14 Jun 2021

प्रिलिम्स के लिये 

न्यूनतम समर्थन मूल्य, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग

मेन्स के लिये

न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित मुद्दे और उसमें सुधार हेतु उपाय

चर्चा में क्यों?

फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिये केंद्र सरकार ने धान, दलहन और तिलहन (सभी अनिवार्य खरीफ फसलों के लिये) हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि करने की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु

परिचय

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह दर है जिस पर सरकार किसानों से फसल खरीदती है और यह किसानों की उत्पादन लागत के कम-से-कम डेढ़ गुना अधिक होती है।
  • ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ किसी भी फसल के लिये वह ‘न्यूनतम मूल्य’ है, जिसे सरकार किसानों के लिये लाभकारी मानती है और इसलिये इसके माध्यम से किसानों का ‘समर्थन’ करती है।

MSP के तहत फसलें

  • ‘कृषि लागत और मूल्य आयोग’ द्वारा सरकार को 22 अधिदिष्ट फसलों (Mandated Crops) के लिये ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (MSP) तथा गन्ने के लिये 'उचित और लाभकारी मूल्य' (FRP) की सिफारिश की जाती है।
    • कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है।
  • अधिदिष्ट फसलों में 14 खरीफ फसलें, 6 रबी फसलें और दो अन्य वाणिज्यिक फसलें शामिल हैं।
  • इसके अलावा लाही और नारियल के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (MSPs) का निर्धारण क्रमशः सरसों और सूखे नारियल के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (MSPs) के आधार पर किया जाता है।

MSP की सिफारिश संबंधी कारक

  • किसी भी फसल के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सिफारिश करते समय ‘कृषि लागत एवं मूल्य आयोग’ द्वारा कृषि लागत समेत विभिन्न कारकों पर विचार किया जाता है।
  • यह फसल के लिये आपूर्ति एवं मांग की स्थिति, बाज़ार मूल्य प्रवृत्तियों (घरेलू और वैश्विक), उपभोक्ताओं के लिये निहितार्थ (मुद्रास्फीति), पर्यावरण (मिट्टी तथा पानी के उपयोग) और कृषि एवं गैर-कृषि क्षेत्रों के बीच व्यापार की शर्तों जैसे कारकों पर भी विचार करता है।

तीन प्रकार की उत्पादन लागत

  • CACP द्वारा राज्य और अखिल भारतीय दोनों स्तरों पर प्रत्येक फसल के लिये तीन प्रकार की उत्पादन लागतों का अनुमान लगाया जाता है।
  • ‘A2’
    • इसके तहत किसान द्वारा बीज, उर्वरकों, कीटनाशकों, श्रम, पट्टे पर ली गई भूमि, ईंधन, सिंचाई आदि पर किये गए प्रत्यक्ष व्यय को शामिल किया जाता है।
  • ‘A2+FL’
    • इसके तहत ‘A2’ के साथ-साथ अवैतनिक पारिवारिक श्रम का एक अधिरोपित मूल्य शामिल किया जाता है।
  • ‘C2’
    • यह एक अधिक व्यापक लागत है, क्योंकि इसके अंतर्गत ‘A2+FL’ में किसान की स्वामित्त्व वाली भूमि और अचल संपत्ति के किराए तथा ब्याज को भी शामिल किया जाता है।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सिफारिश करते समय CACP द्वारा ‘A2+FL’ और ‘C2’ दोनों लागतों पर विचार किया जाता है।
    • CACP द्वारा ‘A2+FL’ लागत की ही गणना प्रतिफल के लिये की जाती है।
    • जबकि ‘C2’ लागत का उपयोग CACP द्वारा मुख्य रूप से बेंचमार्क लागत के रूप में किया जाता है, यह देखने के लिये कि क्या उनके द्वारा अनुशंसित MSP कम-से-कम कुछ प्रमुख उत्पादक राज्यों में इन लागतों को कवर करते हैं।
  • केंद्र सरकार की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) द्वारा MSP के स्तर और CACP द्वारा की गई अन्य सिफारिशों पर अंतिम निर्णय लेती है।

MSP में वृद्धि का महत्त्व

  • इस वृद्धि के माध्यम से पोषक तत्त्वों से भरपूर पोषक-अनाज पर अतिरिक्त ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे उन क्षेत्रों में इसके उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा सकेगा, जहाँ भूजल तालिका के लिये दीर्घकालिक प्रतिकूल प्रभाव के बिना चावल-गेहूँ आदि को उगाया जाना संभव नहीं है।
  • पिछले कुछ वर्षों में तिलहन, दलहन और मोटे अनाज के पक्ष में MSP को फिर से संगठित करने के लिये कई महत्त्वपूर्ण प्रयास किये गए हैं, जिनका उद्देश्य मांग-आपूर्ति के असंतुलन को ठीक करने हेतु किसानों को सर्वोत्तम तकनीकों और कृषि पद्धतियों को अपनाकर इन फसलों की उपज को बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित करना है।

बढ़ोतरी से संबंधित मुद्दे

  • यह वृद्धि कृषि लागत को ध्यान में रखते हुए मामूली प्रतीत होती है - विशेष रूप से ट्रैक्टरों, सिंचाई पंपों और हार्वेस्टर कंबाइनों के लिये इस्तेमाल होने वाले डीज़ल की कीमत में हो रही बढ़ोतरी के कारण। 
  • कुछ फसलों की कीमतों में की गई वृद्धि, विशेष रूप से मक्का की कीमतों में की गई बढ़ोतरी मुद्रास्फीति के साथ संतुलित नहीं है।
  • इसके अलावा सुनिश्चित खरीद की अनुपस्थिति के कारण किसानों के पास इन फसलों की खेती के लिये कोई प्रोत्साहन नहीं है।
  • यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब किसान संघ किसानों के लिये सभी फसलों हेतु MSP की गारंटी देने और तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

MSP संबंधी मुद्दे

  • MSP के साथ प्रमुख समस्या गेहूँ और चावल को छोड़कर सभी फसलों की खरीद के लिये सरकारी मशीनरी की कमी है। गेहूँ और चावल को भारतीय खाद्य निगम PDS के तहत सक्रिय रूप से खरीदता है।
  • चूँकि कई राज्य सरकारें संपूर्ण अनाज की खरीद करती हैं, ऐसे राज्यों में किसानों को अधिकतम लाभ होता है, जबकि कम खरीद करने वाले राज्यों के किसान प्रायः प्रतिकूल रूप से प्रभावित होते हैं।
  • MSP आधारित खरीद प्रणाली बिचौलियों, कमीशन एजेंटों और AMPC अधिकारियों पर भी निर्भर है, जिससे छोटे किसानों तक पहुँचना मुश्किल हो जाता है।

समाधान

  • CACP ने वर्ष 2018-19 के खरीफ विपणन सत्र के लिये अपनी मूल्य नीति रिपोर्ट में किसानों को 'MSP पर बेचने का अधिकार' प्रदान करने वाला एक कानून बनाने का सुझाव दिया था। ऐसा किसानों को प्रोत्साहित करने हेतु आवश्यक है।
  • सरकार को कृषि और पशुपालन को बढ़ावा देना चाहिये, जिससे लोगों द्वारा प्रोटीन, विटामिन, खनिज और फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सके।
    • ऐसा करने का सही तरीका यह है कि धान और गेंहूँ के MSP को फ्रीज कर दिया जाए, इसके अलावा उनकी खरीद को प्रति किसान 10-15 क्विंटल प्रति एकड़ पर सीमित कर दिया जाए।

स्रोत: द हिंदू