मेघालय का व्यवहार परिवर्तन संबंधी मॉडल | 15 Jun 2020

प्रीलिम्स के लिये

स्पर्शोन्मुख वाहक का अर्थ

मेन्स के लिये

रोग के प्रसारण में स्पर्शोन्मुख वाहकों की भूमिका, मेघालय के व्यवहार परिवर्तन संबंधी मॉडल का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मेघालय के स्वास्थ्य विभाग ने एक नया स्वास्थ्य प्रोटोकॉल जारी करते हुए राज्य के प्रत्येक व्यक्ति को कोरोना वायरस (COVID-19) का एक स्पर्शोन्मुख वाहक (Asymptomatic Carrier) मान लेने की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु

  • राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी नए स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के अनुसार, इस प्रकार का निर्णय विभिन्न क्षेत्रों से मेघालय में वापस लौटने वाले हजारों प्रवासियों के कारण सामुदायिक प्रसारण (Community Transmission) के खतरे को रोकने के लिये सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प है।
  • नए स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के मुताबिक, राज्य सरकार को स्वयं को इस दृष्टिकोण के साथ तैयार करना चाहिये कि राज्य में कोरोना वायरस (COVID-19) का सामुदायिक प्रसारण हो चुका है।

स्पर्शोन्मुख वाहक (Asymptomatic Carrier) 

  • स्पर्शोन्मुख वाहक (Asymptomatic Carrier) का अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से होता है, जो वायरस से संक्रमित तो हो चुका है, किंतु उसमें रोग से संबंधित कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देता है।
  • ध्यातव्य है कि कई स्थानों पर ऐसे उदाहरण देखने को मिले हैं जहाँ एक व्यक्ति के SARs-CoV-2 (COVID-19) से संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन वायरस से संबंधित कोई भी लक्षण उस व्यक्ति में दिखाई नहीं दे रहा है।

इस प्रकार के दृष्टिकोण के पीछे की अवधारणा

  • उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के कारण आम लोगों में मुख्य रूप से दो प्रकार के भय उत्पन्न हुए हैं- (1) जीवन के नुकसान का भय (2) आजीविका के नुकसान का भय।
  • इस प्रकार मेघालय सरकार एक ऐसी प्रणाली का निर्माण करना चाहती है, जिसके माध्यम से लोग अपनी सुरक्षा कर सकें और साथ ही साथ अपनी आजीविका चला सकें, क्योंकि हमें यह तथ्य स्वीकार करना होगा कि कोरोना वायरस (COVID-19) अभी लंबे समय तक हमारे साथ रहेगा।
  • राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, जब एक बार लोग यह स्वीकार कर लेंगे कि वे कोरोना वायरस (COVID-19) से संक्रमित हैं तो उनके संपूर्ण व्यवहार में बदलाव आ जाएगा और वे अधिक सतर्क रहेंगे तथा अपने कार्यों के प्रति ज़िम्मेदार महसूस करेंगे, जिससे सामुदायिक प्रसारण के जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी।

कैसे लागू होगा मेघालय का यह मॉडल?

  • स्वास्थ्य विभाग के आदेश के अनुसार, राज्य के सभी नागरिकों को तब तक ‘A’ श्रेणी का संक्रमित रोगी माना जाएगा जब तक कि निरंतर आधार पर उनका परीक्षण न किया जाए।
  • ‘A’ श्रेणी के संक्रमित रोगी को अनिवार्य रूप से निम्नलिखित तीन प्रथाओं का पालन करना होगा: (1) मास्क (Mask) का प्रयोग करना, समय-समय पर हाथों को स्वच्छ करना और सामाजिक दूरी बनाए रखना।
  • इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य की आबादी को मुख्यतः तीन वर्गों में विभाजित कर प्रशिक्षण मॉडल की एक श्रृंखला तैयार की है।
    • पहले वर्ग में 65 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों को शामिल किया गया है।
    • दूसरे वर्ग में उन लोगों को शामिल किया गया है जो एक से अधिक विकार से प्रभावित हैं।
    • तीसरे वर्ग में उन लोगों को शामिल किया गया है जो लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान पर यात्रा कर रहे हैं, जैसे- विद्यार्थी और पेशेवर।
  • राज्य सरकार द्वारा उक्त सभी वर्गों को प्रशिक्षित किया जाएगा और प्रशिक्षण के अंत में, उन सभी लोगों को प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा जिन्होंने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा कर लिया है।
  • वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग द्वारा उन लोगों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो इस मॉडल के तहत राज्य के अन्य लोगों को प्रशिक्षित करेंगे, इसमें सरकारी विभागों के अधिकार, गाँव के मुखिया, स्कूलों के शिक्षक और बाज़ारों संघों के प्रतिनिधि आदि शामिल हैं।
  • ध्यातव्य है कि प्रशिक्षण में प्रत्येक सेक्टर से संबंधित नियम उनके द्वारा की जाने वाली गतिविधियों के आधार पर अलग-अलग होंगे।
  • प्रशिक्षण के अतिरिक्त सभी वर्ग के लोगों को हाथों की स्वच्छता और सामाजिक दूरी जैसे विषयों से संबंधित मॉडल प्रश्नों का सेट भी प्रदान किया जाएगा।
  • उल्लेखनीय है कि मॉडल प्रश्नों के सेट को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि कोई भी व्यक्ति अपनी दैनिक गतिविधियों के आधार पर स्वयं को जाँच सकता है।

आगे की राह

  • उल्लेखनीय है कि लोगों को डरा कर या भय के माध्यम से उनका व्यवहार परिवर्तन नहीं किया जा सकता है, संभवतः मेघालय के स्वास्थ्य विभाग द्वारा डिज़ाइन किया गया यह मॉडल भी इसी विचार पर आधारित है।
  • इस मॉडल के अंतर्गत आम लोगों के दैनिक जीवन में कुछ सामान्य परिवर्तन कर उनके व्यवहार परिवर्तन का प्रयास किया जा रहा है।
  • आवश्यक है कि आगामी समय में मेघालय के मॉडल की सफलता का आकलन किया जाए और व्यवहार परिवर्तन से संबंधित इस मॉडल में यथासंभव परिवर्तन कर इसे देश के अन्य क्षेत्रों में लागू करने पर भी विचार किया जाए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस