मेडिकल टूरिज़्म के लिये भारत की अनुकूल परिस्थितियाँ | 28 Apr 2018

चर्चा में क्यों?
हाल ही में एसोसिएशन ऑफ अमेरिकन मेडिकल कॉलेजेज ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि USA  वर्ष 2030 तक लगभग 120,000 चिकित्सकों की कमी से जूझ सकता है। हालाँकि, इसके पीछे USA के  जनसांख्यिकीय कारण तथा नीतिगत विकल्प काफी हद तक ज़िम्मेदार हैं, लेकिन भारत के लिये इस स्थिति को मेडिकल टूरिज़्म को बढ़ाने हेतु एक स्वर्णिम अवसर माना जा रहा है।

मेडिकल टूरिज़्म क्या है?

  • जब लोग चिकित्सीय उपचार के लिये अपने देश से बाहर किसी अन्य देश की यात्रा करते हैं तो यह ‘चिकित्सा पर्यटन’ कहलाता है।
  • कुछ दशकों पहले यह उन लोगों के लिये संदर्भित किया जाता था जो निम्न विकसित देशों से उच्च विकसित देशों के प्रमुख चिकित्सा केंद्रों में खुद के देश में अनुपलब्ध चिकित्सा उपचारों के लिये जाते थे।
  • परंतु, हाल के वर्षों में तो उच्च विकसित देशों के नागरिक सस्ते लेकिन गुणवत्तापूर्ण ईलाज़ के लिये तीसरी दुनिया के देशों की यात्रा करते हैं।
  • सस्ता होने के अलावा खुद के देश में किसी चिकित्सीय उपचार की अनुपलब्धता या अवैध होना भी चिकित्सा पर्यटन का कारण होता है।

अमेरिका की यथास्थिति के कारण

  • अमेरिका अपने हेल्थकेयर उद्योग पर वार्षिक रूप से लगभग 3.5 ट्रिलियन डॉलर खर्च करता है जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में ढाई गुना बड़ा है।
  • हालाँकि डॉक्टरों की कमी के कारण बीमार लोगों की संख्या में विस्फोट हुआ है और अवैध आप्रवासियों की स्वास्थ्य देखभाल संबंधी मांग में भी उच्च वृद्धि हुई है अतः अमेरिका में स्वास्थ्य देखभाल के मामले में लंबे समय तक स्थिरता बनी नहीं रह सकती है।
  • इस स्थिति से डॉक्टरों पर अत्यधिक भार बढ़ गया है इसके अलावा अधिकांश उपभोक्ता अमेरिका की हेल्थकेयर प्रणाली से निराश हैं ।
  • साथ ही आगामी वर्षों में अमेरिका की जनसांख्यिकीय स्थिति भी प्रतिकूल होगी अर्थात् अधिकांश आबादी 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की होंगी जिन्हें सामान्यतः स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता होती है।
  • स्वास्थ्य विकल्पों का अभाव भी अमेरिका की खराब स्थिति के लिये ज़िम्मेदार है।

भारत के लिये अवसर कैसे?

  • भारत द्वारा स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में नवाचार के माध्यम से अमेरिकी मरीज़ो को विश्व स्तरीय चिकित्सा पर्यटन सेवाओं की पेशकश की जाए तो यह अमेरिकी बाज़ार के एक हिस्से में अपनी छाप छोड़ सकता है।
  • भारत में चिकित्सा पर्यटन एक तेज़ी से बढ़ता उद्योग है। थाईलेंड के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा चिकित्सा पर्यटन स्थल बन रहा है।
  • अकेला चेन्नई शहर भारत आने वाले 45 प्रतिशत विदेशी स्वास्थ्य पर्यटकों और 40 प्रतिशत घरेलू पर्यटकों को आकर्षित करता है; इसीलिये चेन्नई को ‘भारत का स्वास्थ्य शहर’ माना जाता है।
  • भारत का चिकित्सा पर्यटन उद्योग वर्ष 2015 में लगभग 3 बिलियन डॉलर का हो गया था तथा यह तेज़ी से बढ़ रहा है।
  • अमेरिका में पहले से ही भारतीय डॉक्टरों को सर्वोच्च सम्मान हासिल है जिन्होंने उत्कृष्ट नैदानिक ​​कौशल और शिष्टाचार के लिये प्रतिष्ठा अर्जित की है अतः अब समय है कि इसका लाभ लिया जाए।
  • कॉस्मेटिक सर्जरी, बेरिएट्रिक सर्जरी, घुटने की कैप प्रतिस्थापन, यकृत प्रत्यारोपण, अस्थि-मज्जा (Bone-marrow) प्रत्यारोपण और कैंसर के उपचार आदि के लिये हर साल 1,50,000 से ज़्यादा विदेशियों द्वारा भारत की यात्राएँ की जाती है ताकि उन्हें कम कीमत में स्वास्थ्य-देखभाल सुविधाएँ (Healthcare Facilities) मिल सकें।
  • आज भारत के पास इंटरनेट बैंडविड्थ, विद्युत शक्ति, आईटी कर्मचारियों के लिये कार्यस्थल सुविधा और वैश्विक प्रौद्योगिकी सेवाओं से लैश उच्च स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हैं अतः अब भारत को केवल अमेरिकियों को अपनी तरफ आकर्षित करने की आवश्यकता है।
  • हाल ही में किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत के संपूर्ण स्वास्थ्य सेवा निर्यातों में चिकित्सा पर्यटन का सर्वाधिक योगदान है।
  • स्वास्थ्य सेवा निर्यातों से प्राप्त कुल राजस्व का 70% चिकित्सा पर्यटन से ही आता है।  स्वास्थ्य सेवाओं में संविदात्मक अनुसंधान (Contractual research) दूसरा सबसे अधिक विदेशी मुद्रा प्राप्त करने वाला क्षेत्र है, इससे भारत को 27% निर्यात राजस्व की प्राप्ति होती है।
  • इनके अतिरिक्त सैकड़ों आयुर्वेद केंद्र परम्परागत स्वास्थ्य उपचार प्रदान कर रहे हैं। फिर भी, वर्तमान समय में इस उद्योग में अपार संभावनाओं को देखते हुए सरकार तथा निजी क्षेत्र को शोध, सुविधाओं एवं सूचना व संचार तकनीकी में अधिक-से-अधिक निवेश करना चाहिये ताकि भारत विश्व में चिकित्सा पर्यटन में प्रथम पायदान पर पहुँचे।