गर्भ का चिकित्‍सकीय समापन (संशोधन) विधेयक, 2021 | 20 Mar 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राज्यसभा ने गर्भ का चिकित्‍सकीय समापन (संशोधन) विधेयक [Medical Termination of Pregnancy (Amendment) Bill], 2021 पारित किया। इस विधेयक को मार्च 2020 में लोकसभा में पारित किया गया था।

MTP-Act

प्रमुख बिंदु

गर्भनिरोधक विधि या डिवाइस की विफलता:

  • अधिनियम के तहत गर्भनिरोधक विधि या उपकरण की विफलता के मामले में एक विवाहित महिला द्वारा 20 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त किया जा सकता है। यह विधेयक अविवाहित महिलाओं को भी गर्भनिरोधक विधि या डिवाइस की विफलता के कारण गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देता है।

गर्भ की समाप्ति के लिये चिकित्सकों से राय लेना आवश्यक:

  • गर्भधारण से 20 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिये एक पंजीकृत चिकित्सक की राय की आवश्यकता होगी।
    • गर्भावधि/गर्भकाल का आशय गर्भधारण के समय से जन्म तक भ्रूण के विकास काल से है।
  • गर्भधारण के 20-24 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिये दो पंजीकृत चिकित्सकों की राय आवश्यक होगी।
  • भ्रूण से संबंधित गंभीर असामान्यता के मामले में 24 सप्ताह के बाद गर्भ की समाप्ति के लिये राज्य-स्तरीय मेडिकल बोर्ड की राय लेना आवश्यक होगा।

मेडिकल बोर्ड:

  • प्रत्येक राज्य सरकार को एक मेडिकल बोर्ड का गठन करना आवश्यक होगा।
  • इस मेडिकल बोर्ड में निम्नलिखित सदस्य शामिल होंगे: 
    • स्त्री रोग विशेषज्ञ
    • बाल रोग विशेषज्ञ 
    • रेडियोलॉजिस्ट या सोनोलॉजिस्ट और 
    • राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य कोई सदस्य।

विशेष श्रेणियों के लिये अधिकतम गर्भावधि सीमा

  • इस विधेयक में महिलाओं की विशेष श्रेणियों के लिये गर्भकाल/गर्भावधि की सीमा को 20 से 24 सप्ताह करने का प्रावधान किया गया है, विशेष श्रेणी को MTP नियमों में संशोधन के तहत परिभाषित किया जाएगा और इसमें दुष्कर्म तथा अनाचार से पीड़ित महिलाओं तथा अन्य कमज़ोर महिलाओं (जैसे दिव्यांग महिलाएँ और नाबालिग) आदि को शामिल किया जाएगा। 

गोपनीयता:

  • गर्भ को समाप्त करने वाली किसी महिला का नाम और अन्य विवरण, कानून में अधिकृत व्यक्ति को छोड़कर, किसी के भी समक्ष प्रकट नहीं किया जाएगा।

नोट

  • वर्ष 1971 से पूर्व भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 312 के तहत गर्भपात को अपराध के रूप में जाना जाता था, इसे जान-बूझकर किये जाने वाले 'गर्भपात’ के रूप में परिभाषित किया गया था।

लाभ

विसंगति के मामले में गर्भावस्था की समाप्ति:

  • प्रायः कई मामलों में भ्रूण की असामान्यताओं का पता 20वें सप्ताह के बाद लगता है, जिसके कारण वांछित गर्भावस्था, अवांछित गर्भावस्था में बदल जाती है।

विशेष श्रेणी की महिलाओं की सहायता: 

  • यह विधेयक दुष्कर्म पीड़ितों, बीमार एवं कम आयु की महिलाओं के अवांछित गर्भ को कानूनी रूप से समाप्त करने में मदद करेगा।

अविवाहित महिलाओं के लिये सहायक: 

  • यह विधेयक अविवाहित महिलाओं पर भी लागू होता है और इस प्रकार 1971 के अधिनियम की प्रतिगामी धाराओं में से एक के संबंध में राहत प्रदान करता है। इसमें कहा गया था कि "एकल महिला गर्भपात के लिये गर्भनिरोधक की विफलता का हवाला नहीं दे सकती है"।
  • अविवाहित महिलाओं को गर्भ के चिकित्सकीय समापन की अनुमति देने और गर्भपात की मांग करने वाले व्यक्ति की गोपनीयता बनाए रखने का प्रावधान महिलाओं को प्रजनन अधिकार (Reproductive Rights) प्रदान करेगा।

चुनौतियाँ

भ्रूण की व्यवहार्यता:

  • भ्रूण की 'व्यवहार्यता' (Viability of the Foetus) हमेशा से गर्भपात को नियंत्रित करने वाली वैधता का एक प्रमुख पहलू रही है।
    • व्यवहार्यता का तात्पर्य उस अवधि से है जिसमें भ्रूण, गर्भाशय से बाहर जीवित रहने में सक्षम होता है
    • जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी में सुधार होगा अवसंरचना के अपग्रेडेशन और चिकित्सा सुविधा प्रदान करने वाले कुशल पेशेवरों की मदद से इस व्यवहार्यता में प्राकृतिक रूप से सुधार होगा।
    • वर्तमान में व्यवहार्यता की स्थिति आमतौर पर लगभग सात महीने (28 सप्ताह) पर शुरू होती है, लेकिन यह इससे पूर्व यहाँ तक कि 24 सप्ताह में भी शुरू हो सकती है। 
    • इस प्रकार गर्भ के देर से समापन के समय ऐसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है कि भ्रूण ने व्यवहार्यता की स्थिति प्राप्त कर ली हो।

बालकों को वरीयता:

  • परिवार में पुत्र को वरीयता दिये जाने के कारण लिंग निर्धारण केंद्रों का व्यापार अवैध होने के बावजूद चलता रहता है। ऐसे में गर्भपात कानून को और अधिक उदार बनाए जाने से इस प्रकार के मामलों में वृद्धि हो सकती है।

विकल्पों में परिवर्तन

  • वर्तमान विधेयक में व्यक्तिगत पसंद, परिस्थितियों में अचानक परिवर्तन (साथी से अलग होने या मृत्यु के कारण) तथा घरेलू हिंसा जैसे घटकों पर विचार नहीं किया गया है। 

चिकित्सा बोर्ड

  • वर्तमान में स्वास्थ्य देखभाल हेतु आवंटित बजट में देश भर में एक बोर्ड का गठन करना आर्थिक और व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।
  • राज्य के दूरदराज़ के क्षेत्रों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं के लिये बोर्ड तक पहुँच पाना भी चिंता का विषय है।
  • अनुरोधों/याचिकाओं का जवाब देने के लिये कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है।
  • बोर्ड महिला को गर्भ के समापन की अनुमति देने से पहले विभिन्न प्रकार के परीक्षण कराएगा जो कि निजता के अधिकार और सम्मान के साथ जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन है।

आगे की राह

  • यद्यपि गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) विधेयक, 2021 सही दिशा में उठाया गया एक कदम है फिर भी गर्भपात को सुविधाजनक बनाने के लिये सरकार को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि देश भर के स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों में नैदानिक प्रक्रियाओं से संबंधित सभी मानदंडों और मानकीकृत प्रोटोकॉल का पालन किया जाए।
  • इसके साथ ही मानव अधिकारों, ठोस वैज्ञानिक सिद्धांतों और प्रौद्योगिकी में उन्नति के अनुरूप गर्भपात के मामले पर फैसला लिया जाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू