भारत में एमडीआर – टीबी के मामलों में होगी वृद्धि | 11 May 2017

संदर्भ
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि भारत में क्षय रोग (Tuberculosis –TB) का संकट बढ़ता जा रहा है| गौरतलब है कि एक माह पूर्व ही स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2025 तक देश से क्षय रोग को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है|

प्रमुख बिंदु

  • हाल ही में एक जर्नल में यह स्पष्ट किया गया कि एमडीआर-टीबी (MDR-TB) एक ऐसा ऐसा रोग है जिसमें रोगी ‘फर्स्ट लाइन ड्रग’ (रोग की आरम्भिक अवस्था में दी जाने वाली दवा) के प्रति कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते हैं| 
  • एमडीआर-टीबी शीघ्र ही भारत में एक सामन्य घटना बन जाएगा| वर्ष 2040 तक रूस (32.5%), भारत (12.4%), फिलीपींस (8.9%) और दक्षिण अफ्रीका (5.7%) में क्षय रोग से संबंधित अधिकतर रोग एमडीआर-टीबी के ही होंगे| 
  • ये आँकड़े भारत के लिये एक चेतावनी हैं क्योंकि भारत में एमडीआर-टीबी संक्रमण के अत्यधिक गंभीर मामले पाए गए हैं| ये मामले मुख्यतः देश के महानगरों (जैसे-मुंबई) में अधिक पाए गए हैं| ध्यातव्य है कि भारत में न केवल सर्वाधिक क्षय रोगी (2 मिलियन से अधिक) हैं बल्कि एमडीआर-टीबी के सर्वाधिक रोगी भी यही हैं| यहाँ के लगभग 1.3 लाख लोग फर्स्ट लाइन ड्रग्स (first-line drugs) के प्रति कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते हैं|
  • एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में हर साल क्षय रोग के 10.4 मिलियन नए मामले देखे जाते हैं, जबकि इसके चलते वैश्विक स्तर पर 1.8 मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है| एमडीआर-टीबी के तकरीबन 40% मामले रूस, भारत, फ़िलीपीन्स और दक्षिण अफ्रीका में ही देखे जाते हैं| वस्तुतः वर्ष 2015 मे इन देशों में दवा प्रतिरोधी रोगों के 230,000 से अधिक मामले पाए गए थे| 
  • दरअसल, प्रतिरोधी क्षय रोग किसी भी देश की स्वास्थ्य और सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिंह खड़े कर देता है| इसे लेकर एक संभावना यह जताई जा रही है कि जल्द ही वह समय आएगा जब दुनिया लाइलाज वायुजनित रोग (incurable airborne disease) का सामना करेगी|
  • जुलाई में जब जी-20 देशों की बैठक होगी तो उम्मीद की जा सकती है कि ये दवा प्रतिरोधी रोगों के विरुद्ध तेज़ी से कार्यवाही की दिशा में कुछ उपाय करेंगे| इस माह के अंत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के नए महानिदेशक की नियुक्ति की जाएगी| उनके लिये यह ज़रूरी होगा कि क्षय रोग के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया को गतिमान बनाए रखें| 
  • यूरोप और अमेरिका में कई वर्षों से क्षय रोग की दो नई दवाओं बेडाकुलीन (Bedaquiline) और डेलामनैड (Delamanid) का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली द्वारा अभी इन्हें उपलब्ध नहीं कराया जाता है| स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा क्षय रोग पर जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में ये दवाएँ भारत में कुछ ही स्थानों पर ही उपलब्ध हैं और 79,000 क्षय रोगियों में से मात्र 207 की ही इन तक पहुँच है|

एमडीआर-टीबी क्या है?

  • मल्टीड्रग–रेसिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस (MDR-TB) क्षय रोग का एक प्रकार है|
  • यह उन जीवाणुओं के कारण होता है जो कम-से-कम दो अत्यधिक शक्तिशाली फर्स्ट लाइन क्षय रोग प्रतिरोधी दवाओं आइसोनियाज़िड (isoniazid) और राइफैम्पिन (rifampin) से उपचार के प्रति प्रतिरोधी होते हैं| 
  • इससे पीड़ित रोगी का उपचार करना कठिन होता है क्योंकि उसमें फर्स्ट लाइन ड्रग्स के प्रति प्रतिरोधकता विकसित हो जाती है| इसके उपचार के विकल्प सीमित हैं, साथ ही उनकी लागत भी अधिक है|