मारथोमैन जैकोबाइट सीरियन कैथेड्रल चर्च | 18 Aug 2020

प्रीलिम्स के लिये

मारथोमैन जैकोबाइट सीरियन कैथेड्रल चर्च,

गोथिक वास्तुकला

मेन्स के लिये:

धार्मिक स्थानों पर स्वामित्त्व से संबंधित मुद्दा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केरल सरकार ने केरल के एर्नाकुलम ज़िले के मुलंथुरूथी (Mulanthuruthy) में मारथोमैन जैकोबाइट सीरियन कैथेड्रल चर्च (Marthoman Jacobite Syrian Cathedral Church) को अपने नियंत्रण में ले लिया है। जो एक प्रमुख गैर-कैथोलिक ईसाई समुदाय मलंकरा चर्च (Malankara Church) के जैकोबाइट एवं रूढ़िवादी गुटों के बीच विवाद के केंद्र में रहा है।

प्रमुख बिंदु:

  • मलंकरा चर्च (Malankara Church) पहली बार वर्ष 1912 में जैकबाइट एवं रूढ़िवादी समूहों में विभाजित हुआ था। हालाँकि दोनों समूह वर्ष 1959 में पुनः जुड़ गए किंतु यह सिलसिला वर्ष 1972-73 तक ही चला।
    • तब से दोनों गुटों के मध्य चर्चों एवं उनके धन के स्वामित्त्व को लेकर आपस में विवाद है।

चर्च के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी:

  • मूलंथुरूथी के चर्च को जैकोबाइट गुट द्वारा प्रबंधित किया जाता था किंतु वर्ष 2017 में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार, इसका स्वामित्व प्रतिद्वंद्वी रूढ़िवादी गुट के पास चला गया।
  • उच्चतम न्यायालय ने चर्च के अंतर्गत आने वाले इलाकों पर शासन व नियंत्रण करने के लिये मलंकरा ऑर्थोडॉक्स सीरियाई चर्च (Malankara Orthodox Syrian Church) के वर्ष 1934 के संविधान की वैधता को बरकरार रखा था।
  • हालाँकि रूढ़िवादी गुट अभी भी चर्च तक पहुँच से वंचित था इसलिये उन्होंने केरल उच्च न्यायालय में अपील की, जिसने केरल सरकार से चर्च को संभालने और रूढ़िवादी गुट को सौंपने का निर्देश दिया।

केरल के चर्च समूह:

  • केरल की ईसाई आबादी में कैथोलिक (Catholic), जैकोबाइट सीरियन (Jacobite Syrian), ऑर्थोडॉक्स सीरियन (Orthodox Syrian), मार थोमा (Mar Thoma), दक्षिण भारत के चर्च, दलित ईसाई और पेंटेकोस्टल चर्च (Pentecostal Churches) शामिल हैं।
    • कैथोलिक केरल की कुल ईसाई आबादी का 61% हैं।
    • मलंकरा चर्च के अंतर्गत कुल ईसाई आबादी के 15.9% लोग आते हैं।

मूलंथुरूथी चर्च/मारथोमैन जैकोबाइट सीरियन कैथेड्रल चर्च:

  • मुलंथुरूथी में मारथोमैन जैकोबाइट सीरियन कैथेड्रल चर्च की स्थापना 1200 ईस्वी में हुई थी।
  • यह चर्च गोथिक वास्तुकला (Gothic Architecture) का एक अच्छा उदाहरण है।
  • इस चर्च में भारतीय, पश्चिम-एशियाई एवं यूरोपीय वास्तुकला के मिश्रण के रूप में नक्काशी, मूर्तियाँ, प्रतीकात्मक चिन्ह एवं दीवार पेंटिंग आदि प्रमुख विशेषताएँ हैं।

गोथिक वास्तुकला (Gothic Architecture):

  • यह 12वीं-16वीं शताब्दी में लोकप्रिय हुई वास्तुकला की एक यूरोपीय शैली है।
  • यह वास्तुकला मूल रूप से फ्राँस एवं इंग्लैंड से संबंधित है।
  • यह मध्ययुगीन यूरोपीय वास्तुकला की एक शैली है, जो संभवत: जर्मन गोथ जाति के प्रभाव से आविर्भूत हुई थी।
  • इसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
    • इंगित मेहराब (Pointed Arches)
    • रिब वॉल्ट (Rib Vault)
    • फ्लाइंग बट्रेस (Flying Buttresses)
    • कॉलम एंड पियर्स (Columns and Piers)
    • टावर्स और स्पियर्स (Towers and Spires)
  • अंग्रेजों ने भारतीय वास्तुकला की कुछ विशेषताओं का गोथिक वास्तुकला में विलय कर दिया जिसके परिणामस्वरूप वास्तुकला की इंडो-गोथिक शैली (Indo-Gothic Style) का विकास हुआ।
  • वास्तुकला की इंडो-गोथिक शैली के कुछ उदाहरण: मद्रास उच्च न्यायालय, विक्टोरिया मेमोरियल, द छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस) आदि।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस