समुद्री हीटवेव्स | 01 Aug 2025

मेन्स के लिये:

समुद्री हीटवेव (MHWs), समुद्र की सतह का तापमान, अल नीनो, प्रशांत दशकीय दोलन (PDO), गल्फ स्ट्रीम, केल्प वन, समुद्री घास के मैदान, प्रवाल भित्तियाँ, समुद्री संरक्षित क्षेत्र (MPA), आर्द्रभूमि, UNCLOS, संयुक्त राष्ट्र महासागर विज्ञान दशक (2021-2030), संयुक्त राष्ट्र प्लास्टिक संधि।                   

मेन्स के लिये:

समुद्री हीटवेव, इसके कारण एवं परिणाम, समुद्री हीटवेव को रोकने के लिये आवश्यक कदम।

स्रोत: TH  

चर्चा में क्यों?

वैज्ञानिकों ने पाया है कि समुद्री हीटवेव्स (MHWs) ने वर्ष 2023 में समुद्र की सतह के 96% हिस्से को प्रभावित किया है, जिससे स्थायी तापमान परिवर्तन की आशंका बढ़ गई है, जो महासागरों और भूमि पर जीवन को बाधित कर सकता है।

समुद्री हीटवेव के संबंध में मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • विषय: MHW एक चरम मौसम की घटना है, जिसमें किसी विशिष्ट क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान कम से कम पाँच दिनों तक औसत से 3 से 4°C अधिक बढ़ जाता है। यह हफ्तों, महीनों या वर्षों तक भी जारी रह सकता है।
  • MHW के प्रमुख कारण:
    • ग्लोबल वार्मिंग: बढ़ते CO₂ स्तर वायुमंडल में ऊष्मा को रोकते हैं, जिससे समुद्र की सतह और गहराई दोनों गर्म होती हैं। महासागर इस अतिरिक्त ऊष्मा का लगभग 90% भाग अवशोषित कर लेते हैं, जिससे समुद्री हीटवेव (MHWs) की आशंका बढ़ जाती है।
    • अल नीनो (El Nino): अल नीनो घटना समुद्र की ऊपरी परतों को गर्म कर देती है, जिससे अपवेलिंग (गहराई से ठंडे पानी का ऊपर आना) कमज़ोर हो जाती है। प्रशांत दशकीय दोलन (PDO) प्रशांत महासागर के तापमान पैटर्न में बदलाव लाकर समुद्री हीटवेव को और भी तीव्र कर देता है।
      • PDO को प्रायः प्रशांत महासागर की जलवायु विविधता के एक दीर्घकालिक अल नीनो जैसी प्रवृत्ति के रूप में वर्णित किया जाता है।
    • बादलों का कम आवरण: जब बादल कम होते हैं तो अधिक धूप समुद्र की सतह तक पहुँचती है, जिससे सतह तेज़ी से गर्म होती है। उदाहरण: वर्ष 2023 के अटलांटिक हीटवेव
    • महासागरीय धाराओं में परिवर्तन: गल्फ स्ट्रीम जैसी महासागरीय धाराओं में बदलाव क्षेत्रीय समुद्री तापमान बढ़ा सकते हैं, जिससे समुद्री हीटवेव और गंभीर हो जाती हैं। उदाहरण: एक कमज़ोर गल्फ स्ट्रीम के कारण अमेरिका के पूर्वी तट के पास पानी गर्म हुआ है, जिससे तूफानों और समुद्र-स्तर में वृद्धि पर असर पड़ा है।
    • मानव-जनित फीडबैक लूप: आर्कटिक क्षेत्र में गर्मी के कारण परावर्तक समुद्री हिम पिघल जाती है, जिससे अधिक ऊष्मा सोखने वाला गहरा समुद्र उजागर होता है। इसी तरह प्रवाल भित्तियों का विरंजन CO₂ अवशोषण को घटा देता है, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि और तीव्र हो जाती है।
  • अनुमानित प्रवृत्तियाँ: पिछले एक शताब्दी में महासागर का औसत तापमान 1.5°C तक बढ़ चुका है और अनुमान है कि 2100 तक MHW की आवृत्ति पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में 50 गुना अधिक हो सकती है।

समुद्री हीटवेव का महासागरों और जलवायु पर क्या प्रभाव पड़ता है?

  • जलवायु संबंधी प्रभाव: MHW उष्णकटिबंधीय तूफानों और चक्रवातों जैसे चरम मौसम को बढ़ावा दे सकती हैं तथा जल चक्र को बाधित कर सकती हैं, जिससे बाढ़, अनावृष्टि एवं वनाग्नि जैसी घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ जाती है।
    • उदाहरण: फ्लोरिडा, अमेरिका में कैटेगरी 4 का तूफान हरिकेन इयान।
  • आर्थिक प्रभाव: MHW जलीय कृषि को प्रभावित करती हैं क्योंकि पालन की गई प्रजातियों के लिये स्थिर तापमान आवश्यक होता है। ये मत्स्य उद्योग को भी नुकसान पहुँचाती हैं, क्योंकि गर्म हो रहे जल से प्रजातियाँ दूर चली जाती हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है।
    • उदाहरण: उत्तर-पश्चिम अटलांटिक में लॉबस्टर और स्नो क्रैब तथा पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में स्कैलप्स जैसी प्रमुख प्रजातियों में गिरावट दर्ज की गई है।
  • पारिस्थितिक परिणाम: MHW अकशेरुकी जीवों की व्यापक मृत्यु का कारण बनती हैं, खाद्य जाल को बाधित करती हैं, वन्यजीवों के व्यवहार में बदलाव लाती हैं (जैसे – व्हेल मछलियों का मछली पकड़ने के जालों में फँसना) और आक्रामक प्रजातियों के प्रसार को बढ़ावा देती हैं, जिससे स्थानीय जैव विविधता खतरे में पड़ जाती है।
    • केल्प वनों, समुद्री घास के मैदानों और प्रवाल भित्ति पर MHW का विशेष प्रभाव पड़ता है। उदाहरण: वर्ष 2011 में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के पास हुई MHW घटना ने सैकड़ों किलोमीटर क्षेत्र में पारिस्थितिक तंत्र को नष्ट कर दिया और स्थानीय स्तर पर कई प्रजातियाँ विलुप्त हो गईं।
  • पर्यावरणीय दबावों का संयोजन: MHW प्रायः महासागर अम्लीकरण, ऑक्सीजन की कमी तथा अत्यधिक मत्स्यन जैसे अन्य तनावों के साथ मिलकर कार्य करती हैं, जिससे आवासों का विनाश और भी गंभीर हो जाता है।

समुद्री हीटवेव को नियंत्रित और उनके प्रभाव को किस प्रकार कम कर सकते हैं?

  • महासागर निगरानी को सुदृढ़ बनाना: समुद्री निगरानी प्रणालियों का विस्तार करना और जलवायु मॉडलिंग को बेहतर बनाएँ, ताकि समुद्री हीटवेव (MHW) की वास्तविक समय में निगरानी तथा सटीक पूर्वानुमान संभव हो सके।
  • समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा और पुनर्स्थापना: प्रवाल भित्तियों (कोरल रीफ) और मैंग्रोव वनों का संरक्षण करना, समुद्री संरक्षित क्षेत्र (MPAs) की स्थापना करना और उन तटीय क्षेत्रों को पुनर्स्थापित करना, जो क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जैसे कि समुद्री घास (सीग्रास), साल्ट मार्श और आर्द्रभूमियाँ (वेटलैंड्स), जो CO₂ को अवशोषित करती हैं। इससे पारिस्थितिक तंत्र की दृढ़ता और जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा।
  • सतत् मत्स्य पालन और जलकृषि को बढ़ावा देना: जलवायु-लचीली जलकृषि को प्रोत्साहित करना जिसमें ताप-सहिष्णु प्रजातियाँ और टिकाऊ चारा (फीड) शामिल हों और मरीन हीटवेव्स (MHWs) के बारे में मछुआरा समुदायों को समय पर सतर्क करने के लिये पूर्व चेतावनी प्रणालियों का विकास करना।
  • वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना: पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को मज़बूत करना, जलवायु वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ कमज़ोर देशों का समर्थन करना और UNCLOS और संयुक्त राष्ट्र महासागर विज्ञान दशक (2021-2030) जैसी संधियों के माध्यम से वैश्विक महासागर शासन को बढ़ावा देना।
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (GHG) को कम करना: नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण, कार्बन मूल्य निर्धारण को लागू करना तथा उत्सर्जन में कटौती करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये सतत् परिवहन और उद्योगों को बढ़ावा देना।
  • महासागरों पर स्थानीय दबाव को कम करना: संयुक्त राष्ट्र प्लास्टिक संधि और सतत् कृषि के माध्यम से प्रदूषण को नियंत्रित करके महासागरों पर पड़ने वाले दबाव को कम करना और परावर्तक अवसंरचना (Reflective Infrastructure) तथा कृत्रिम अपवेलिंग (Artificial Upwelling) के माध्यम से समुद्र की सतहों को ठंडा करना।

निष्कर्ष

समुद्री हीटवेव (Marine Heatwaves) महासागरों के स्वास्थ्य, मौसम की स्थिरता और तटीय अर्थव्यवस्थाओं के लिये गंभीर खतरा हैं। इनसे निपटने के लिये वैश्विक स्तर पर उत्सर्जन में कटौती, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण तथा उन्नत निगरानी प्रणाली आवश्यक है। तत्काल कार्रवाई के बिना समुद्री हीटवेव अधिक गंभीर हो जाएगी, जिससे जैव विविधता व मानव आजीविका को अपूरणीय क्षति हो सकती है। हमारे महासागरों एवं भविष्य को सुरक्षित रखने हेतु एक समन्वित जलवायु-महासागर नीति आवश्यक है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

"समुद्री ऊष्मा तरंगें समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिये एक मौन संकट के रूप में उभर रही हैं।" उनके कारणों, प्रभावों और शमन रणनीतियों पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. महासागर औसत तापमान (Ocean Mean Temperature/OMT) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?  (2020)

  1. OMT को 26°C समताप रेखा की गहराई तक मापा जाता है जो जनवरी- मार्च में हिंद महासागर के दक्षिण-पश्चिम में 129 मीटर पर होती है।
  2. OMT, जो जनवरी - मार्च में एकत्रित किया जाता है उसे यह निर्धारित करने के लिये प्रयोग किया जा सकता है कि मानसून में वर्षा की मात्रा एक निश्चित दीर्घकालीन औसत वर्षा से कम होगी या अधिक।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये :

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b) 


मेन्स

प्रश्न. ग्लोबल वार्मिंग पर चर्चा कीजिये और वैश्विक जलवायु पर इसके प्रभावों का उल्लेख कीजिये। क्योटो प्रोटोकॉल, 1997 के आलोक में, ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाली ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को कम करने के नियंत्रण उपायों की व्याख्या कीजिये। (2022)

प्रश्न. उदाहरणों के साथ प्रवाल जीवन प्रणाली पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का आकलन कीजिये। (2017)