महासागरीय सतह का मानचित्रण | 07 Dec 2018

संदर्भ


महासागरीय मानचित्रण कार्य में लगे विशेषज्ञों के लिये यह आलोचना की ही बात है कि हम अपनी महासागरीय सतहों के बारे में कम जबकि चंद्रमा और मंगल के बारे में ज़्यादा जानते हैं। किसी भी जगह के देख-रेख या उस क्षेत्र में कोई भी कार्य करने में मानचित्र की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • समुद्री दुनिया, उसकी गहराई, उसकी पर्वत श्रृंखलाएँ, पृथ्वी की सीमाएँ सब कुछ बहुत व्यापक स्तर पर हैं तथा पूरी दुनिया अब भी इनके बारे में अनभिज्ञ है।
  • इस अनभिज्ञता को दूर करने के लिये संयुक्त राष्ट्र समर्थित ‘सीबेड 2030' नामक प्रोजेक्ट निरंतर प्रयास करता रहा है।
  • इस योजना के तहत 2030 तक पूरे महासागरीय सतह के मानचित्रण के लक्ष्य को पूरा करने के लिये सीबेड 2030 दुनिया के देशों तथा कंपनियों से आँकड़े जुटा रहा है। यह मानचित्रण सबके लिये नि:शुल्क उपलब्ध रहेगा।
  • इस पहल का समर्थन करने वाली कई परोपकारी संस्थाओं का मानना है कि इस कार्य को पूरा करने के लिये आपसी सहयोग तथा समन्वय की बहुत आवश्यकता होगी।
  • वर्ष 2017 में शुरू की गई इस योजना की अनुमानित लागत 3 बिलियन डॉलर है।
  • इस योजना में निप्पन फाउंडेशन और GEBCO तथा विशेषज्ञों के गैर-लाभकारी एसोसिएशन का संश्रय शामिल है।
  • यदि यह योजना सफल हो जाती है तो हमें निम्नलिखित परिणाम देखने को मिल सकते हैं-

♦ महासागरों का बेहतर ज्ञान
♦ विविधता
♦ जलवायु की बेहतर समझ
♦ आने वाली आपदाओं की पूर्व चेतावनी
♦ महासागरों का बेहतर संरक्षण तथा
♦ समुद्री संसाधनों का उपयोग

  • ‘सीबेड 2030’ अनुमानतः वर्ष 2030 तक पूरे महासागरीय सतह का मानचित्रण करने में सफल हो जाएगा।

अन्य सहायक प्रयास

  • ऊर्जा क्षेत्र की बड़ी कंपनी शेल (Shell Ocean Discovery XPRIZE) द्वारा चलाई जा रही एक प्रतियोगिता में उस टीम को 7 मिलियन डॉलर की राशि दी जाएगी जो महासागरीय खोजबीन करने हेतु तीव्र, स्वायत्त तथा अच्छे रेज्योलूशन वाली तकनीक विकसित करने में सफल हो जाएगी।
  • सीबेड 2030 की एक टीम इस प्रतियोगिता के आखिरी चरण में पहुँचने में सफल हो गई है। इस टीम द्वारा डिज़ाईन किया गया रिमोट-नियंत्रित रोबोट महासागरों की चरम गहराई तक जाकर मानचित्रण करने में सक्षम होगा।

स्रोत- बिजनेस लाइन