मैनुअल स्कैवेंजर्स की गणना | 16 Aug 2022

प्रिलिम्स के लिये:

मैला ढोने की समस्या से निपटने के लिये पहल, स्वच्छ भारत मिशन

मेन्स के लिये:

मैनुअल स्कैवेंजिंग से संबंधित खतरे, एससी और एसटी से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (MoSJ&E) सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई में लगे सभी सफाई कर्मचारियों की गणना के लिये एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण करने की तैयारी कर रहा है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह गणना मैकेनाइज्ड सेनिटेशन इकोसिस्टम (नमस्ते) योजना हेतु राष्ट्रीय कार्य योजना का हिस्सा है और इसे 500 अमृत (अटल मिशन फॉर रिज़ुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन) शहरों में आयोजित किया जाएगा
  • यह वर्ष 2007 में शुरु की गई मैनुअल स्कैवेंजर्स (एसआरएमएस) के पुनर्वास के लिये स्व-रोजगार योजना में विलय के साथ उसे प्रतिस्थापित करेगा।
  • अभ्यास के तहत 500 अमृत शहरों के लिये कार्यक्रम निगरानी इकाइयाँ (PMUs) स्थापित की जाएँगी।
  • यह अभ्यास 500 शहरों में पूरा होने के बाद इसे देश भर में विस्तारित किया जाएगा जिससे उन्हें अपस्किलिंग और ऋण तथा पूंजीगत सब्सिडी जैसे सरकारी लाभ आसानी से प्राप्त हो सके।

नमस्ते योजना:

  • परिचय:
    • इसे जुलाई 2022 में लॉन्च किया गया था।
    • नमस्ते योजना आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय तथा MoSJ&E द्वारा संयुक्त रूप से शुरू की जा रही है,  इसका उद्देश्य असुरक्षित सीवर और सेप्टिक टैंक सफाई प्रथाओं का उन्मूलन है।
  • उद्देश्य:
    • भारत में सीवेज सफाई में शून्य मृत्यु।
    • सभी सफाई कार्य कुशल श्रमिकों द्वारा किये जाएँ।
    • कोई भी सफाई कर्मचारी मानव मल के सीधे संपर्क में नहीं आए।
    • सफाई कार्यकर्त्ताओं को स्वयं सहायता समूहों (SHGs) में एकत्रित किया जाता है और उन्हें सफाई उद्यम चलाने का अधिकार दिया जाता है।
    • सुरक्षित सफाई कार्य के प्रवर्तन और निगरानी को सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय, राज्य और शहरी स्थानीय निकाय (ULB) स्तरों पर मजबूत पर्यवेक्षण और निगरानी प्रणाली।
    • पंजीकृत और कुशल सफाई कार्यकर्ताओं से सेवाएँ लेने के लिये सफाई सेवा चाहने वालों (व्यक्तियों और संस्थानों) के बीच जागरूकता बढ़ाना।

गणना की आवश्यकता:

  • वर्ष 2017 के बाद से मैनुअल स्कैवेंजिंग में न्यूनतम 351 मौतें हुई हैं।
  • इसका उद्देश्य सफाई कर्मचारियों के पुनर्वास की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है।
  • इससे उनके लिये अपस्किलिंग और ऋण तथा पूंजीगत सब्सिडी जैसे सरकारी लाभ प्राप्त करना आसान हो जाएगा।
  • सूचीबद्ध सफाई कर्मचारियों को स्वच्छ उद्यमी योजना से जोड़ने के लिये, जिसके माध्यम से श्रमिक स्वयं सफाई मशीनों के मालिक होंगे तथा सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि नगर पालिका स्तर पर काम मिलता रहे।
    • स्वच्छ उद्यमी योजना के दोहरे उद्देश्य हैं - स्वच्छता और सफाई कर्मचारियों को आजीविका प्रदान करना और "स्वच्छ भारत अभियान" के समग्र लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये मैनुअल स्कैवेंजर्स को मुक्त करना।

मैनुअल स्कैवेंजिंग:

  • मैनुअल स्कैवेंजिंग (Manual Scavenging) या हाथ से मैला ढोने को "सार्वजनिक सड़कों और सूखे शौचालयों से मानव मल को हटाने, सेप्टिक टैंक, नालियों एवं सीवर की सफाई" के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • भारत ने मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोज़गार के निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 (PEMSR) के तहत इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया।
    • यह अधिनियम किसी भी व्यक्ति के हाथ से सफाई करने, ले जाने, निपटाने या अन्यथा किसी भी तरह से मानव मल के निपटान करने पर प्रतिबंध लगाता है।
  • यह अधिनियम मैनुअल स्कैवेंजिंग को "अमानवीय प्रथा" के रूप में मान्यता देता है।

मैनुअल स्कैवेंजिंग का वर्तमान में प्रचलन के प्रमुख कारण:

  • उदासीन रवैया:
    • कई स्वतंत्र सर्वेक्षणों में राज्य सरकारों की ओर से इस प्रथा में पर रोक लगाने में सक्रियता का अभाव देखा गया है तथा यह प्रथा उनकी निगरानी में ही प्रचलित है।
  • आउटसोर्सिंग के कारण उत्पन्न मुद्दे:
    • कई बार, स्थानीय निकाय सीवर सफाई कार्यों को निजी ठेकेदारों को सौंप देते हैं। हालाँकि उनमें से कई ठेकेदार, सफाई कर्मचारियों के लिये उचित उपकरणों और स्वच्छता के संसाधन उपलब्ध नहीं कराते हैं।
    • श्रमिकों की दम घुटने से मौत के मामले में ये ठेकेदार, मृतक के साथ किसी भी तरह के संबंध से इंकार कर देते हैं।
  • सामाजिक मुद्दा:
    • यह प्रथा जाति, वर्ग और आय के विभाजन से प्रेरित है।
    • यह भारत की जाति व्यवस्था से जुड़ा हुआ है जहाँ तथाकथित निचली जातियों से यह काम करने की उम्मीद रखी जाती है।
    • वर्ष 1993 में, भारत ने हाथ से मैला ढोने वालों के रूप में लोगों के रोज़गार पर प्रतिबंध लगा दिया (द एम्प्लॉयमेंट ऑफ़ मैनुअल स्कैवेंजर्स एंड कंस्ट्रक्शन ऑफ़ ड्राई लैट्रिन (निषेध) अधिनियम, 1993), हालाँकि, इससे जुड़ा कलंक और भेदभाव अभी भी कायम है।
    • इससे मैला ढोने वालों के लिये वैकल्पिक आजीविका सुरक्षित करना मुश्किल हो जाता है।
  • प्रवर्तन और अकुशल श्रमिकों की कमी:
    • अधिनियम को लागू करने की कमी और अकुशल मज़दूरों का शोषण भारत में अभी भी प्रचलित है।

हाथ से मैला ढोने की समस्या से निपटने हेतु उठाए गए कदम:

  • मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोज़गार का निषेध और उनका पुनर्वास (संशोधन) विधेयक, 2020:
    • इसमें सीवर की सफाई को पूरी तरह से मशीनीकृत करने, 'ऑन-साइट' सुरक्षा के तरीके पेश करने और सीवर से होने वाली मौतों के मामले में मैला ढोने वालों को मुआवज़ा प्रदान करने का प्रस्ताव है।
    • यह मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोज़गार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 में संशोधन करेगा।
    • हालाँकि इसे अभी कैबिनेट की मंज़ूरी प्राप्त नही हुई है।
  • मैनुअल स्कैवेंजर्स के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 :
    • 1993 के अधिनियम को प्रतिस्थापित करते हुए 2013 का अधिनियम सूखे शौचालयों पर प्रतिबंध के अतिरिक्त अस्वच्छ शौचालयों, खुली नालियों, या गड्ढों की सभी मैनुअल स्कैवेंजिंग सफाई को गैर-कानूनी घोषित करता है।
  • अस्वच्छ शौचालयों का निर्माण और रखरखाव अधिनियम 2013:
    • यह अस्वच्छ शौचालयों के निर्माण या रख-रखाव, और किसी को भी अपने हाथ से मैला ढोने के लिये काम पर रखने के साथ-साथ सीवरों और सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई को गैर-कानूनी घोषित करता है।
    • यह ऐतिहासिक अन्याय और अपमान के लिये क्षतिपूर्ति के रूप में हाथ से मैला ढोने वाले समुदायों को वैकल्पिक रोज़गार और अन्य सहायता प्रदान करने के लिये एक संवैधानिक ज़िम्मेदारी भी प्रदान करता है।
  • अत्याचार निवारण अधिनियम
    • वर्ष 1989 में अत्याचार निवारण अधिनियम, स्वच्छता कार्यकर्त्ताओं के लिये एक एकीकृत उपाय बन गया, क्योंकि मैला ढोने वालों में से 90% से अधिक लोग अनुसूचित जाति के थे। यह मैला ढोने वालों को निर्दिष्ट पारंपरिक व्यवसायों से मुक्त करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है।
  • सफाईमित्र सुरक्षा चुनौती:
    • इसे आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020 में विश्व शौचालय दिवस (19 नवंबर) पर लॉन्च किया गया था।
    • सरकार द्वारा अप्रैल 2021 में सभी राज्यों के लिये सीवर-सफाई को मशीनीकृत करने के लिये चेलेंज फॉर आल की शुरुआत की गई। इसके साथ ही यदि किसी व्यक्ति को अपरिहार्य आपात स्थिति में सीवर लाइन में प्रवेश करने की आवश्यकता होती है, तो उसे उचित उपकरण/सामग्री और ऑक्सीजन सिलेंडर आदि उपलब्ध कराए जाने चाहिये।
  • 'स्वच्छता अभियान ऐप':
    • इसे अस्वच्छ शौचालयों और हाथ से मैला ढोने वालों के डेटा की पहचान और जियोटैग करने के लिये विकसित किया गया है ताकि अस्वच्छ शौचालयों को सेनेटरी शौचालयों से बदला जा सके और सभी हाथ से मैला ढोने वालों को जीवन की गरिमा प्रदान करने हेतु उनका पुनर्वास किया जा सके।
  • सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय: वर्ष 2014 में सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश ने सरकार के लिये उन सभी लोगों की पहचान करना अनिवार्य कर दिया था, जो वर्ष 1993 से सीवेज के काम में मारे गए थे और प्रत्येक व्यक्ति के परिवार को मुआवज़े के रूप में 10 लाख रुपए दिये जाने का भी आदेश दिया गया था।

आगे की राह

  • 15वें वित्त आयोग द्वारा स्वच्छ भारत मिशन की पहचान सर्वोच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में की गई है और स्मार्ट शहरों और शहरी विकास हेतु उपलब्ध धन से मैला ढोने की समस्या का समाधान करने के लिये एक मज़बूत अवसर उपलब्ध कराया गया है।
  • मैला ढोने के पीछे की सामाजिक स्वीकृति को संबोधित करने के लिये पहले यह स्वीकार करना और फिर यह समझना आवश्यक है कि कैसे और क्यों जाति व्यवस्था में हाथ से मैला ढोना जारी है।
  • राज्य और समाज को इस मुद्दे में सक्रिय रुचि लेने और सही आकलन करने एवं बाद में इस प्रथा को समाप्त करने के लिये सभी संभावित विकल्पों पर गौर करने की आवश्यकता है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न: 'राष्ट्रीय गरिमा अभियान' एक राष्ट्रीय अभियान है, जिसका उद्देश्य है: (2016)

(a) बेघर एवं निराश्रित व्यक्तियों का पुनर्वास और उन्हें आजीविका के उपयुक्त स्रोत प्रदान करना।
(b) यौनकर्मियों को उनके अभ्यास से मुक्त करना और उन्हें आजीविका के वैकल्पिक स्रोत प्रदान करना।
(c) हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करना और हाथ से मैला ढोने वालों का पुनर्वास करना।
(d) बंधुआ मज़दूरों को मुक्त करना और उनका पुनर्वास करना।

उत्तर: (c)

  • राष्ट्रीय गरिमा अभियान वर्ष 2001 में शुरू किया गया, मैला ढोने की प्रथा के उन्मूलन और इस कार्य में संलग्न लोगों के लिये गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करने हेतु यह एक राष्ट्रीय अभियान है। अतः विकल्प (c) सही है।

प्रश्न: निषेधात्मक श्रम के कौन से क्षेत्र हैं जिन्हें रोबोट द्वारा स्थायी रूप से प्रबंधित किया जा सकता है? उन पहलों पर चर्चा कीजिये जो प्रमुख शोध संस्थानों में शोध को वास्तविक और लाभकारी नवाचार के लिये प्रेरित कर सकती हैं। (मुख्य परीक्षा, 2015)

स्रोत: द हिंदू