आधार-सक्षम भुगतान में खामियाँ | 06 Oct 2021

प्रिलिम्स के लिये:

आधार-सक्षम भुगतान, NPCI 

मेन्स के लिये:

आधार-सक्षम भुगतान का महत्त्व और चुनौतियाँ 

चर्चा में क्यों?

हाल के घोटालों की एक शृंखला ने आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली (AEPS) की कमज़ोरियों को उजागर किया है।

प्रमुख बिंदु

  • आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली (AEPS):
    • AEPS एक बैंक के नेतृत्व वाला मॉडल है जो आधार प्रमाणीकरण का उपयोग करके किसी भी बैंक के बिज़नेस कॉरेस्पोंडेंट (BC)/बैंक मित्र के माध्यम से POS (प्वाइंट ऑफ सेल/माइक्रो एटीएम) पर ऑनलाइन इंटरऑपरेबल वित्तीय लेन-देन की अनुमति देता है।
    • यह प्रणाली वित्तीय लेन-देन में एक और सुरक्षा व्यवस्था है क्योंकि इन लेन-देन को करते समय बैंक विवरण प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होती है।
    • इसका परिचालन भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) की एक संयुक्त पहल भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा किया जाता है।
  • AEPS के लाभ:
    • बैंकों की भीड़ कम करना: अन्य माइक्रो-एटीएम प्रणालियों की तरह इसने बैंकों की भीड़भाड़ को कम करने में मदद की है। यह उन प्रवासी कामगारों के लिये विशेष रूप से उपयोगी हो सकता है जिनके पास एटीएम की सुविधा नहीं है।
    • सामाजिक सुरक्षा को मज़बूत करना: यह सरकारों से कमज़ोर नागरिकों तक नकद हस्तांतरण योजनाओं के प्रसार के बाद सामाजिक सेवाओं को मज़बूत करने में मदद करेगा।
    • लास्ट-माइल सर्विस को सक्षम करना: यह उन भुगतानों को आसान करेगा जो लंबी लेन-देन प्रक्रिया के बजाय त्वरित ढंग से किये जाएंगे।
      • इंटरऑपरेबल सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि ग्राहक एक बैंक के BC से बंधा नहीं है।
    • बिचौलियों को हटाना: गरीबों और अनपढ़ों का शोषण करने वाले बिचौलियों को हटाया जा सकेगा।
  • मौजूदा खामियाँ:
    • भ्रष्ट BC: कभी-कभी BC लोगों की वित्तीय निरक्षरता का लाभ उठाते हुए उपभोक्ता को कम पैसा प्रदान करता है और खाते में अधिक धन निकासी दर्ज करता है।
      • कई बार BC गरीब लोगों को मांग करने पर रसीद देने से इनकार करते हैं।
      • भ्रष्ट BC एक निरक्षर ग्राहकों को बिना पैसे दिये किसी बहाने पीओएस मशीन में डिजिटल हस्ताक्षर करा लेते हैं ।
    • धोखाधड़ी वाले लेन-देन का कोई लेखा-जोखा नहीं: AEPS के पास धोखाधड़ी वाले BC का कोई रिकॉर्ड नहीं है, यह केवल लेन-देन रिकॉर्ड दिखाता है।
      • यह गरीब लोगों को और अधिक असुरक्षित बनाता है, जो पहले से ही धन की कमी का सामना कर रहे हैं।
    • प्रणालीगत मुद्दे: बायोमेट्रिक बेमेल, खराब कनेक्टिविटी या कुछ बैंकिंग भागीदारों की कमज़ोर प्रणाली के कारण लेन-देन में विफलता भी AEPS को प्रभावित करती है।

आगे की राह:

  • वित्तीय साक्षरता प्रदान करने से धोखाधड़ी करने वाले BC के मामलों में कमी लाने में मदद मिलेगी।
  • रोमिंग BC पर कम-से-कम डिजिटल साक्षरता स्तर वाले राज्यों में प्रतिबंध लगाया जाना चाहिये।
  • AEPS धोखाधड़ी के पीड़ितों को बेहतर शिकायत निवारण सुविधाएँ उपलब्ध कराई जानी चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस