20 वीं पशुधन गणना | 17 Oct 2019

प्रीलिम्स के लिये:

पशुधन गणना रिपोर्ट

मेन्स के लिये:

पशुधन गणना रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष, पशुधन से संबंधित भारत की प्रमुख योजनाएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (Ministry of Fisheries, Animal Husbandry and Dairying) ने 20वीं पशुधन गणना रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट पिछली जनगणना के साथ-साथ विभिन्न प्रजातियों के समग्र योग को दर्शाती है।

प्रमुख बिंदु

  • पशुधन गणना-2018 के अनुसार देश में कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन है, जिसमें पशुधन गणना- 2012 की तुलना में 4.6% की वृद्धि हुई है।
  • पश्चिम बंगाल में पशुओं की संख्या में सबसे अधिक (23%) की वृद्धि हुई, उसके बाद तेलंगाना (22%) का स्थान रहा।
  • देश में कुल मवेशियों की संख्या में 0.8% की वृद्धि हुई है।
  • यह वृद्धि मुख्य रूप से वर्ण शंकर मवेशियों और स्वदेशी मादा मवेशियों की आबादी में तेज़ी से वृद्धि का परिणाम है।

Livestock Heandacount

  • उत्तर प्रदेश में मवेशियों की आबादी में सबसे ज़्यादा कमी देखी गई है, हालाँकि राज्य ने मवेशियों को बचाने के लिये कई कदम उठाए हैं।
    • पश्चिम बंगाल में मवेशियों की आबादी में सबसे अधिक 15% की वृद्धि देखी गई है।
  • कुल विदेशी/क्रॉसब्रीड मवेशियों की आबादी में 27% की वृद्धि हुई है।
    • 2018-19 में भारत के कुल दूध उत्पादन में क्रॉस-ब्रीड मवेशियों का योगदान लगभग 28% था।
    • जर्सी या होलेस्टिन जैसे विदेशी और क्रॉसब्रीड मवेशियों की दुधारू क्षमता अधिक है, इसलिये कृषकों द्वारा इन मवेशियों को अधिक पसंद किया जा रहा है।
    • कुल देशी मवेशियों की आबादी में 6% की गिरावट देखी गई है।
  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन के माध्यम से देशी नस्लों के संरक्षण को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों के बावजूद, भारत के स्वदेशी मवेशियों की संख्या में गिरावट जारी है।
  • उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि राज्यों में सबसे अधिक गिरावट देखी गई है, जिसका कारण बहुत हद तक गौहत्या कानून है।
  • कुल दुधारू मवेशियों में 6% की वृद्धि देखी गई है।
    • आँकड़े बताते हैं कि देश में कुल मवेशियों का लगभग 75% मादा (गाय) हैं, यह दुग्ध उत्पादक पशुओं के लिये डेयरी किसानों की वरीयताओं का एक स्पष्ट संकेत है। गायों की संख्या में वृद्धि का कारण सरकार द्वारा किसानों को उच्च उपज वाले बैल के वीर्य के साथ कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा प्रदान करना है।
  • बेकयार्ड पोल्ट्री में लगभग 46% की वृद्धि हुई है।
    • बेकयार्ड मुर्गी पालन में वृद्धि ग्रामीण परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव है जो गरीबी उन्मूलन के संकेत को दर्शाता है।
    • कुल गोजातीय जनसंख्या (मवेशी, भैंस, मिथुन और याक) में लगभग 1% की वृद्धि देखी गई है।
    • भेड़, बकरी और मिथुन की आबादी दोहरे अंकों में बढ़ी है जबकि घोड़ों, सूअर, ऊँट, गधे, खच्चर और याक की गिनती में गिरावट आई है।

पशुधन की जनगणना

  • वर्ष 1919-20 से देश में समय-समय पर पशुधन की गणना आयोजित की जाती है। तब से प्रत्येक 5 वर्ष में एक बार यह गणना आयोजित की जाती है।
  • इसमें सभी पालतू जानवरों की कुल गणना को शामिल किया गया है।
  • राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा अब तक ऐसी 19 गणनाएँ की जा चुकी हैं।
  • 20वीं पशुधन जनगणना में पहली बार फील्ड से ऑनलाइन प्रसारण के माध्यम से घरेलू स्तर के डेटा का उपयोग किया गया है।
  • जनगणना केवल नीति निर्माताओं के लिये ही नहीं बल्कि किसानों, व्यापारियों, उद्यमियों, डेयरी उद्योग और आम जनता के लिये भी फायदेमंद है।

स्रोत: pib