उदारीकृत प्रेषण योजना | 19 Sep 2019

चर्चा में क्यों ?

भारत ने उदारीकृत प्रेषण योजना (Liberalised Remittance Scheme-LRS) के तहत जुलाई 2019 में 1.69 बिलियन डॉलर का अब तक का उच्चतम मासिक प्रवाह दर्ज किया।

प्रमुख बिंदु

  • पिछले पाँच वर्षों में ‌ LRS के तहत निवासी भारतीयों द्वारा निधियों का बहिर्प्रवाह इसी अवधि में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा निधियों के अंतर्प्रवाह के लगभग बराबर रहा है, जो भारत में पूंजी-प्रवाह को उक्त संदर्भित मात्रा तक निष्फल साबित करता है।
  • पिछले पाँच वर्षों में LRS योजना के तहत धन के बहिर्प्रवाह में तेज़ी से वृद्धि देश से पूंजी के बाह्य गमन को इंगित करता है, जो भारत जैसे विकासशील देश के लिये सकारात्मक सूचक नहीं है।

उदारीकृत प्रेषण योजना (LRS) के बारे में

  • यह योजना RBI के तत्वावधान में फरवरी 2004 में 25,000 डॉलर की सीमा के साथ प्रारंभ की गई थी। LRS की इस सीमा को प्रचलित मैक्रो एवं माइक्रो आर्थिक स्थितियों के अनुरूप विभिन्न चरणों में संशोधित किया जाता रहा है।
  • वर्तमान समय में LRS के तहत सभी निवासी व्यक्तियों जिसमें नाबालिग भी शामिल हैं, को किसी भी अनुमेय चालू या पूंजी खाता लेनदेन या दोनों के संयोजन के लिये प्रत्येक वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) तक 2,50,000 डॉलर तक की छूट दी जाती है।
  • नाबालिग प्रेषक के मामले में LRS घोषणा-पत्र को नाबालिग के बायोलॉजिकल अभिभावक द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित किया जाना आवश्यक है।
  • यह योजना किसी कॉर्पोरेट, फर्म, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) एवं ट्रस्ट आदि के लिये उपलब्ध नहीं है।
  • LRS के तहत प्रेषण की आवृति पर कोई प्रतिबंध नहीं है, किंतु एक वित्तीय वर्ष के दौरान भारत में सभी स्रोतों से प्रेषित अथवा उनके माध्यम से खरीदे गए विदेशी मुद्रा की कुल राशि 2,50,000 डॉलर की निर्धारित संचयी (Cumulative) सीमा के भीतर होनी चाहिये।
  • ध्यातव्य है कि यदि एक बार किसी वित्तीय वर्ष के दौरान 2,50,000 डॉलर की निर्धारित सीमा तक की राशि प्रेषित कर दी जाती है, तो एक निवासी व्यक्ति इस योजना के तहत उस वित्तीय वर्ष में आगे कोई प्रेषण करने के लिये पात्र नहीं होगा, भले ही उसके द्वारा निवेश की आय देश में वापस ही क्यों न लाई गई हो।

प्रेषित राशि के अधिकृत प्रयोग:

FEMA (संशोधित), 2015 के नियम के तहत एक निवासी व्यक्ति निम्नलिखित प्रयोजनों के लिये LRS के अंतर्गत विदेशी मुद्रा सुविधाओं का लाभ उठा सकता है:

चालू खाता लेनदेन के तहत:

  • किसी भी देश की निजी यात्रा (नेपाल और भूटान को छोड़कर)
  • उपहार या दान
  • रोज़गार हेतु विदेश गमन
  • उत्प्रवास
  • विदेश में करीबी रिश्तेदारों की देखभाल
  • व्यवसाय संबंधी यात्रा, किसी सम्मेलन अथवा विशेष प्रशिक्षण में भाग लेने, चिकित्सा खर्चों की पूर्ति क लिये एवं चेक-अप या चिकित्सा उपचार हेतु विदेश जाने वाले किसी मरीज़ के परिचारक के रूप में यात्रा के लिये
  • विदेश में चिकित्सा उपचार संबंधी व्यय
  • विदेश में पढाई के लिये
  • कोई भी अन्य चालू खाता लेनदेन जो FEMA,1999 में चालू खाता की परिभाषा में न आता हो

पूंजी खाता लेनदेन के तहत:

  • विदेशों में किसी बैंक में विदेशी मुद्रा खाता खोलना।
  • विदेश में संपत्ति की खरीद।
  • विदेशों में निवेश करना- सूचीबद्ध एवं गैर-सूचीबद्ध दोनों तरह की विदेशी कंपनियों या ॠण उपकरणों के अधिग्रहण और शेयरों को रखना; निदेशक पद के लिये एक विदेशी कंपनी के योग्यता शेयरों (Qualification Shares) का अधिग्रहण ; पेशेवर सेवाओं या निदेशक के पारिश्रमिक के बदले में एक विदेशी कंपनी के शेयरों का अधिग्रहण करना; म्युचुअल फंड्स, वेंचर कैपिटल फंड्स, अनरेटेड डेट (debt) सिक्योरिटीज एवं प्रोमिसीअरी नोट्स की इकाइयों में निवेश।
  • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के नियम एवं शर्तों के अधीन भारत के बाहर पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक और संयुक्त उद्यम स्थापित करना।
  • ऐसे गैर-निवासी भारतीयों (NRIs) को भारतीय रुपए में ॠण प्रदान करना जो कंपनी अधिनियम, 2013 में परिभाषित किये गए रिश्तेदार हैं।

योजना के तहत निषिद्ध विषय:

LRS के तहत निम्नलिखित विषयों के संदर्भ में प्रेषण सुविधा उपलब्ध नहीं है-

  • FEMA की अनुसूची-I के तहत विशेष रूप से निषिद्ध किसी भी उद्देश्य के लिये प्रेषण (जैसे कि लॉटरी टिकट/जुआ ,पत्रिकाओं का संचालन आदि) या विदेशी विनिमय प्रबंधन नियम (चालू खाता लेनदेन), 2000 की अनुसूची-II के तहत प्रतिबंधित कोई वस्तु।
  • विदेशों में द्वितीयक बाज़ार में भारतीय कंपनियों द्वारा जारी विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉण्ड (FCCB) की खरीद के लिये प्रेषण।
  • विदेशों में विदेशी मुद्रा में व्यापार के लिये प्रेषण।
  • समय-समय पर वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) द्वारा ‘गैर-सहकारी देशों और क्षेत्रों ‘ के रूप में पहचान किये गए देशों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पूंजी खाता प्रेषण।
  • उन व्यक्तियों और संस्थाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रेषण, जिन्हें RBI द्वारा बैंकों को अलग से दिये गए निर्देश के अंतर्गत आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता के संदर्भ में पहचाना गया हो।

NOTE: प्राधिकृत व्यक्ति के माध्यम से LRS के तहत सभी लेनदेन के लिये निवासी व्यक्ति को अपना स्थायी खाता संख्या (PAN) देना अनिवार्य है।

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999

(Foreign Exchange Management Act)

  • यह अधिनियम भारत में विदेशी मुद्रा लेन-देन के प्रशासन के लिये कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
  • FEMA जो कि 1 जून 2000 से प्रभावी हुआ, के तहत विदेशी मुद्रा से जुड़े सभी लेनदेन को पूंजी या चालू खाता लेनदेन के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • चालू खाता लेनदेन : एक निवासी द्वारा किये गए सभी लेनदेन जिनके कारण उसकी संपत्ति या देनदारियों (भारत के बाहर आकस्मिक देनदारियों सहित) में कोई परिवर्तन न हो, को चालू खाता लेनदेन के अंतर्गत रखा जाता है। उदाहरणार्थ- विदेशी व्यापार के संबंध में भुगतान, विदेश यात्रा, शिक्षा आदि के संबंध में व्यय।
    • पूंजी खाता लेनदेन: भारत के किसी निवासी द्वारा किये जाने वाले ऐसे लेनदेन जिससे भारत के बाहर उसकी संपत्ति या देनदारियों में परिवर्तन (या तो वृद्धि या कमी) हो। उदाहरणार्थ- विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश, भारत के बाहर अचल संपत्ति का अधिग्रहण आदि।
  • निवासी भारतीय: 'भारत में रहने वाले व्यक्ति' को FEMA, 1999 की धारा 2 (V) में परिभाषित किया गया है, जिसके अंतर्गत -
    • कुछ अपवादों को छोड़कर, पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 182 दिनों से अधिक समय तक भारत में रहने वाला व्यक्ति।
    • भारत में पंजीकृत या निगमित कोई भी व्यक्ति या कॉर्पोरेट निकाय ।
    • भारत में एक कार्यालय, शाखा या एजेंसी जिसका स्वामित्व या नियंत्रण भारत से बाहर के किसी व्यक्ति के पास हो।
    • भारत के बाहर का कोई कार्यालय, शाखा या एजेंसी जिसका स्वामित्व या नियंत्रण भारत के किसी निवासी व्यक्ति द्वारा किया जाता हो।

स्रोत: लाइव मिंट