एल.ई.डी. का बढ़ता उपयोग | 30 Aug 2017

भूमिका

परिचालन लागतों(operational costs) की बचत के संबंध में ऊर्जा की दक्षता का बहुत अधिक महत्त्व है क्योंकि बेहतर तरीके से उपयोग की गई ऊर्जा के परिणामस्वरूप दीर्घकाल में विद्युत उत्पन्न करने के लिये आवश्यक आगतों की लागत में कमी आती है| इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के द्वारा एल.ई.डी. के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है|

उजाला योजना

  • उजाला योजना (Unnat Jeevan by Affordable LED and Appliances for All -UJALA) की शुरुआत वर्ष 2015 में ‘राष्ट्रीय एल.ई.डी. कार्यक्रम’ (National LED programme) के रूप में की गई थी| 
  • अब तक इस योजना के तहत परंपरागत बल्बों के स्थान पर 25 करोड़ एल.ई.डी. बल्ब उपलब्ध कराए जा चुके हैं जिनकी लागत लगभग 1,500 करोड़ रुपए है|

योजना की उपलब्धियाँ 

  • इस योजना के माध्यम से अभी तक 3275 किलोवाट घंटा (kwh) विद्युत ऊर्जा की बचतकी जा चुकी है| साथ ही इसने 6,600 मेगावाट की उच्च विद्युत मांग को कम करने में भी सहायता की है| यह मांग 1000 मेगावाट क्षमता के छह तापीय विद्युत संयंत्रों के संयुक्त उत्पादन के समान है|
  • कुछ आकलनों के अनुसार, योजना ने कोयले की बचत के अलावा 40,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त बचत करने में भी सहायता की है|
  • उर्जा एवं धन की बचत की अधिक स्पष्ट व्याख्या तब की जा सकती है जब उजाला के अंतर्गत 77 करोड़ दीप्त बल्बों को एल.ई.डी. बल्बों से प्रतिस्थापित कर दिया जाए| वस्तुतः यह इस योजना की सबसे बड़ी उपलब्धि साबित होगी|
  • एक अनुमान के अनुसार यदि ऐसा होता है तो इसके पश्चात् प्रति वर्ष कुल ऊर्जा भार में 20,000 मेगावाट और ऊर्जा बचत में 10,000 करोड़ किलोवात घंटा की कमी आने की सम्भावना है| जिसके कारण उपभोक्ता के वार्षिक विद्युत बिल में 40,000 रुपए(औसतन 4 रुपए प्रति किलोवाट घंटा के शुल्क के कारण) की बचत हो सकती है|

प्रभाव

  • पिछले वर्ष एल.ई.डी. बल्बों की बढ़ती उपयोगिता के कारण इनका मूल्य प्रति बल्ब 450-500 से घटकर लगभग 100-150 हो गया|
  • एल.ई.डी बल्बों की बढ़ती लोकप्रियता से  भविष्य में इनके मूल्यों में और अधिक कमी आएगी और इनका मूल्य प्रति बल्ब 80-100 रुपए हो जाएगा जबकि एल.ई.डी ट्यूब का मूल्य 300-450 रुपए तक होने की संभावना है| 
  • अनुमान है कि देश के कुल ऊर्जा उपभोग में प्रकाश क्षेत्र (lighting sector) का योगदान 20% है|
  • अकुशल प्रकाश उपकरणों (inefficient lighting devices) के स्थान पर कुशल प्रकाश उपकरणों (inefficient lighting devices) का उपयोग कर 30% ऊर्जा की बचत की जा सकती है|
  • उजाला योजना के परिणामस्वरूप कार्बन उत्सर्जन में 45,000 गुणा कमी करके 55.7 मिलियन यूनिट ऊर्जा की बचत की जा चुकी है |
  • इस योजना के तहत अब तक देश-भर में 25 लाख एल.ई.डी. बल्बों, 28.3 लाख ट्यूबलाइटों और 10.3 लाख उर्जा कुशल पंखों का वितरण किया जा चुका है|
  • हाल ही में वित्त मंत्रालय ने उर्जा दक्षता उपकरणों के नवीकरण हेतु केंद्र सरकार के सभी अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किये हैं| ईईएसएल(Energy Efficiency Services Limited (EESL) ने भी वर्ष 2020 तक 10,000 बड़े सरकारी और निजी भवनों को कवर करने के लिये 1,000 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश की योजना बनाई है|