लेपिडोप्टेरा प्रजाति और जलवायु परिवर्तन | 12 Oct 2020

प्रिलिम्स के लिये:

लेपिडोप्टेरा प्रजाति, अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य, लेपिडोप्टेरा हॉटस्पॉट

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन और हिमालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग’ (Zoological Survey of India) के वैज्ञानिकों द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, हिमालय क्षेत्र में बढ़ते औसत तापमान के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाली लेपिडोप्टेरा (तितलियों और पतंगों) की कई दर्जन प्रजातियाँ पहले की तुलना में उच्च तुंगता वाले क्षेत्रों में निवास करने लगी हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • हिमालय भारत में पाए जाने वाले 35% से अधिक लेपिडोप्टेरा प्रजातियों (तितलियों और पतंगों) का निवास स्थल है।
  • ZSI द्वारा किये गए अध्ययन के अनुसार, पतंगों (Moth) की ऐसी कम-से-कम 49 और तितली की 17 प्रजातियों की पहचान की गई है, जिनके वर्तमान आवास और पूर्व में दर्ज किये गए आवास स्थल की ऊँचाई में औसतन 1,000 मीटर का अंतराल देखा गया है।

लेपिडोप्टेरा प्रजातियाँ (Lepidoptera Species):

  • लेपिडोप्टेरा कीटों का एक क्रम (Order) है जिसमें तितलियाँ (Butterflies), पतंगे (Moths) और स्किप्पेर्स (Skippers) शामिल हैं।
    • स्किप्पेर्स तितलियों और पतंगों के मध्यवर्ती एक कीट समूह है।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष:

  • अध्ययन के अनुसार, लेपिडोप्टेरा की सात प्रजातियाँ ऐसी पाई गईं जो वर्तमान समय में पिछले आवास स्थल की तुलना में 2,000 मीटर से अधिक ऊँचाई पर निवास करने लगी हैं।
  • इनमें पतंगों की प्रजातियाँ यथा- ट्रेकिआ एरीप्लीना (नोक्टुइडे), एक्टियास विंडब्रचलिनी (सैटर्निडे) और डिप्थीरोकोम फासिआटा (नॉक्टुइडे) आदि शामिल हैं।
  • रेड अपोलो (Red Apollo), कॉमन मैप और टेललेस बुशब्लू (Tailless Bushblue) जैसी तितलियाँ जो पहले 2,500 मीटर की ऊँचाई पर पाई जाती थीं उनकी उपस्थिति उत्तराखंड के ‘अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य’ में 3,577 मीटर पर रिकॉर्ड की गई।
  • अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2050 तक जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में पतंगों के कुछ परिवारों के लिये उपयुक्त क्षेत्र में 91% की गिरावट हो सकती है।
  • अध्ययन में लेपिडोप्टेरा प्रजातियों से समृद्ध 2 हॉटस्पॉट केंद्रों की पहचान की गई है:
    • एक पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग पहाड़ियों में है, जहाँ 400 से अधिक प्रजातियों के रिकॉर्ड का दस्तावेज़ीकरण किया गया था।
    • एक अन्य कुमाऊँ, उत्तराखंड में है, जहाँ 600 से अधिक प्रजातियों के रिकॉर्ड का दस्तावेजीकरण किया गया था।
  • अध्ययन के अनुसार, हिमालय में पश्चिमी से पूर्वी हिमालय तक लेपिडोप्टेरा प्रजातियों की जैव विविधता में भी वृद्धि हुई है।

उच्च तुंगता में अधिवास स्थानांतरण के कारण:

  • हिमालय क्षेत्र में पानी की कमी और हिम टोपियों एवं ग्लेशियर के पीछे हटने के कारण लेपिडोप्टेरा की प्रजातियाँ ऊँचाई पर विस्थापित हो रही हैं।
  • औसत तापमान में वृद्धि से वनस्पति क्षेत्र की ऊँचाई में भी परिवर्तन देखने को मिला है। जो वनस्पतियाँ पहले कम ऊँचाई पर पाई जाती थीं वर्तमान समय में केवल उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में ही अधिक पाई जाती हैं।
  • मानव आवास में वृद्धि के कारण भी ये प्रजातियाँ उच्च तुंगता की ओर अधिवासित हो रही हैं।
  • अवैध शिकार और बिक्री के कारण भी कम ऊँचाई पर इन प्रजातियों की आबादी में कमी हुई है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस