SSC को वैधानिक दर्ज़ा देने का प्रस्ताव | 07 Jan 2019

चर्चा में क्यों?


हाल ही में एक संसदीय स्थायी समिति द्वारा केंद्र को SSC को वैधानिक दर्ज़ा प्रदान करने का प्रस्ताव दिया गया।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission-UPSC) और सभी राज्य लोक सेवा आयोगों (State Public Service commissions-SPSCs) को संवैधानिक या कानूनी दर्जा प्राप्त है। SSC एकमात्र ऐसी संस्था है जो बहुत बड़े पैमाने पर इन्हीं की तरह कार्यरत है, लेकिन इसे वैधानिक स्थिति प्राप्त नहीं है।
  • UPSC के बोझ को कम करने हेतु ‘ग्रुप ए’ स्तर से नीचे के पदों की भर्ती के लिये SSC को बनाया गया था। वर्तमान में SSC के कार्यभार और ज़िम्मेदारियों में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से वृद्धि हुई है।
  • 2008-09 में 9.94 लाख उम्मीदवारों से SSC के कार्यभार में अभूतपूर्व वृद्धि हुई, 2016-17 में लगभग 2 करोड़ से अधिक लोग इसके तहत कार्यरत थे।

कार्य का उत्तरदायित्व

  • यह कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (Department of Personnel and Training -DoPT) के तहत एक ‘संलग्न निकाय’ के रूप में है और बिना किसी स्वायत्तता के अपनी सभी ज़रूरतों के लिये पूरी तरह से सरकार पर निर्भर है।
  • कानूनविद् भूपेन्द्र यादव की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि SSC को वैधानिक स्थिति प्राप्त हो जाने पर इसके द्वारा भर्ती प्रक्रिया, अन्य प्रदर्शन तथा परिणामों के वितरण में अधिक कार्यात्मक स्वायत्तता, तेज़ी से निर्णय लेने की क्षमता और दक्षता बढ़ेगी।

अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • SSC में परीक्षा प्रणाली की समीक्षा के लिये 2014 में सरकार द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समूह ने आयोग को वैधानिक स्थिति प्रदान करने की सिफारिश की थी।
  • प्रस्ताव के अनुसार, SSC तीन स्तरों पर सामान्य पात्रता परीक्षा आयोजित करेगा - मैट्रिकुलेशन, हायर सेकेंडरी और ग्रेजुएशन। आगे चलकर यह लगभग 5 करोड़ उम्मीदवारों को अपने अंतर्गत लाएगा, जिससे यह दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा होगी।
  • SSC ने अतिरिक्त जनशक्ति के प्रावधान के लिये सरकार को तीन प्रस्ताव प्रस्तुत किये हैं। समिति ने कहा है कि कार्यों और संसाधनों के बीच तारतम्यता को ध्यान में रखते हुए सरकार के लिये SSC प्रस्तावों को लागू करना अनिवार्य था।

स्रोत – द हिंदू