वामपंथी अतिवाद - एक चुनौती | 27 Aug 2019

चर्चा में क्यों?

वामपंथी अतिवाद (Left Wing Extremism-LWE) पर समीक्षा बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री ने LWE को राष्ट्र के सम्मुख सबसे बड़ी चुनौती बताया है।

  • हालाँकि आँकड़ों के अनुसार, विगत 9 वर्षों में वामपंथी अतिवाद से संबंधी हिंसक घटनाओं में काफी कमी आई है। जहाँ एक ओर वर्ष 2009 में इस प्रकार की 2258 घटनाएँ दर्ज की गई थी वहीं दूसरी ओर वर्ष 2018 में 833 घटनाएँ दर्ज हुई थी।

वामपंथी अतिवाद

  • LWE संगठन ऐसे समूह हैं जो मानते हैं कि वे हिंसा के माध्यम से बदलाव ला सकते हैं।
  • वे लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ हैं और ज़मीनी स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को खत्म करने के लिये हिंसा का सहारा लेते हैं।
  • ये समूह देश के अल्प विकसित क्षेत्रों में विकासात्मक कार्यों में बाधा उत्पन्न करते हैं और लोगों को गुमराह करने की कोशिश करते हैं।

वामपंथी हिंसक घटनाओं के आँकड़े

  • LWE ग्रसित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की कड़ी मेहनत का ही परिणाम से वामपंथी अतिवाद संबंधित घटनाओं, मौतों और उनके भौगोलिक प्रसार की संख्या में पिछले एक दशक में काफी कमी आई है।
मापदंड 2009 2018
1. घटनाओं की संख्या 2258 833
2. मृत लोगों की संख्या 1005 240
3. प्रभावित जिलों की संख्या 96 (2010 में) 60

LWE को रोकने हेतु सरकारी प्रयास

  • समाधान (SAMADHAN) सिद्धांत वामपंथी अतिवाद को रोकने के लिये एक उपाय है। इसके अंतर्गत LWE से निपटने हेतु सरकार द्वारा विभिन्न स्तरों पर तैयार की गई सभी अल्पकालिक व दीर्घकालिक रणनीतियाँ शामिल हैं। SAMADHAN का पूर्ण रूप निम्न प्रकार से है:
    • S - कुशल नेतृत्व (Smart Leadership)
    • A - आक्रामक रणनीति (Aggressive Strategy)
    • M - प्रेरणा और प्रशिक्षण (Motivation and Training)
    • A - क्रियाशील खुफियातंत्र (Actionable Intelligence)
    • D - डैश बोर्ड आधारित ‘प्रमुख प्रदर्शन संकेतक’ (Dashboard Based Key Performance Indicators : KPI)
    • H - प्रोद्योगिकी का दोहन (Harnessing Technology)
    • A - एक्शन प्लान फॉर इच थिएटर (Action plan for each Theatre)
    • N - वित्त तक पहुँच रोकना (No access to Financing)
  • LWE का मुकाबला करने हेतु राष्ट्रीय रणनीति (The national strategy to counter LWE) को वर्ष 2015 में LWE से लड़ने के लिये एक बहुस्तरीय दृष्टिकोण के रूप में अपनाया गया था। इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य स्थानीय प्रशासन और स्थानीय आदिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था।

LWE प्रभावित क्षेत्रों का विकास

  • LWE प्रभावित क्षेत्रों के लिये सरकार द्वारा चलाई जा रही कुछ प्रमुख योजनाएँ निम्नलिखित हैं:
    • विशेष केंद्रीय सहायता (Special Central Assistance-SCA) - सार्वजानिक संरचना और सेवाओं के बीच मौजूद बड़ी खाई को खत्म करना।
    • सड़क संपर्क परियोजना (Road Connectivity Project) - प्रभावित क्षेत्रों में 5,412 किलोमीटर सड़कों के निर्माण के लिये।
    • कौशल विकास परियोजना (Skill Development Project) - 2018-19 तक 47 आईटीआई (ITI) और 68 कौशल विकास केंद्र के निर्माण के लिये।
    • शिक्षा संबंधी पहल (Education Initiatives) - नए केन्द्रीय विद्यालयों (KVs) और जवाहर नवोदय विद्यालयों (JNV) के निर्माण हेतु मंजूरी। एकलव्य मॉडल (Eklavya model) के तहत अधिक स्कूल खोलने की भी योजना बनाई जा रही है।
    • वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) - LWE प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले सभी नागरिकों को 5 कि.मी. के भीतर बैंकिंग सुविधाओं को उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है।

आगे की राह

  • हालाँकि बीते कुछ वर्षों में LWE संबंधी हिंसात्मक घटनाओं में कमी आई है, परंतु इस प्रकार के समूहों को पूर्णतः समाप्त करने के लिये निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता है।
  • कानून और व्यवस्था बनाए रखने में राज्य महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं अतः स्थानीय पुलिस बलों के क्षमता निर्माण और आधुनिकीकरण पर ज़ोर दिया जाना चाहिये। स्थानीय बल कुशलतापूर्वक और प्रभावी रूप से LWE संगठनों को समाप्त करने में सहायता सकते हैं।
  • राज्यों को अपनी आत्मसमर्पण नीति (Surrender Policy) को और अधिक तर्कसंगत बनाना चाहिये ताकि LWE में फँसे निर्दोष व्यक्तियों को मुख्य धारा में लाया जा सके।

आत्मसमर्पण नीति - बंदूक किसी समस्या का समाधान नहीं है और इसी को ध्यान में रखते हुए आतंकवादियों, नक्सलियों और माओवादियों को आत्मसमर्पण नीति के माध्यम से मुख्य धारा में वापस लाने का प्रयास किया जाता है। इसके अंतर्गत राज्य आतंकवादियों, नक्सलियों और माओवादियों को आत्मसमर्पण करने के बदले प्रोत्साहन राशि या रोज़गार या दोनों प्रदान करता है। अलग-अलग राज्यों की आत्मसमर्पण नीति अलग-अलग है।

  • राज्यों को LWE समूहों को पूरी तरह से समाप्त करने और प्रभावित क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिये एक केंद्रित समयबद्ध दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

स्रोत: पीआईबी