लद्दाख द्वारा छठी अनुसूची की मांग | 12 Jan 2023

प्रिलिम्स के लिये:

संसद, केंद्रशासित प्रदेश (संघ-राज्य क्षेत्र) लद्दाख, संविधान की छठी अनुसूची, स्वायत्त ज़िला परिषदें (ADCs)

मेन्स के लिये:

केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गृह मंत्रालय (MHA) ने लद्दाख के लोगों के लिये "भूमि और रोज़गार की सुरक्षा सुनिश्चित करने" हेतु केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के लिये एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया।

  • समिति के कुछ सदस्यों के अनुसार, गृह मंत्रालय का स्पष्ट आदेश है कि छठी अनुसूची में शामिल करने की उनकी मांगों पर विचार-विमर्श नहीं किया जाएगा।
  • सितंबर 2019 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत शामिल करने की सिफारिश यह देखते हुए की थी कि नया केंद्रशासित प्रदेश मुख्य रूप से आदिवासी बहुल (97% से अधिक) था और इसकी विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की आवश्यकता थी।

कमेटी का गठन किस कार्य हेतु किया गया है?

  • पृष्ठभूमि:
    • संसद द्वारा 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त किये जाने के बाद लद्दाख में नागरिक समाज समूह पिछले तीन वर्षों से भूमि, संसाधनों और रोज़गार की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
    • बड़े व्यवसायों और बड़े समूहों द्वारा स्थानीय लोगों से भूमि एवं नौकरियाँ छीने जाने के भय ने इस मांग को बढ़ावा दिया है।
  • उद्देश्य:
    • क्षेत्र की अनूठी संस्कृति और भाषायी भौगोलिक स्थिति तथा सामरिक महत्त्व को ध्यान में रखते हुए इसकी रक्षा के उपायों पर चर्चा करना।
    • समावेशी विकास की रणनीति बनाना और लेह, कारगिल एवं लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी ज़िला परिषदों के सशक्तीकरण से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करना।

सरकार का रुख:

  • जहाँ तक लद्दाख को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात है, तो सरकार इसके लिये बहुत उत्सुक नहीं है।
    • गृह मंत्रालय ने हाल ही में संसद की एक स्थायी समिति को सूचित किया कि छठी अनुसूची के तहत आदिवासी आबादी को शामिल करने का उद्देश्य उनके समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करना है, जिसका केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन पहले से ही ध्यान रख रहा है और लद्दाख को इसकी समग्र विकास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त धन प्रदान किया जा रहा है।
  • गृह मंत्रालय के मुताबिक, लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करना मुश्किल होगा।
    • संविधान की छठी अनुसूची पूर्वोत्तर के लिये है तथा पाँचवीं अनुसूची देश के बाकी हिस्सों के आदिवासी क्षेत्रों के लिये है।
  • राज्यसभा में पेश की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, लद्दाख प्रशासन ने हाल ही में सीधी भर्ती में अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षण को 10% से बढ़ाकर 45% कर दिया है, जिससे जनजातीय आबादी को उनके विकास में काफी मदद मिलेगी।

छठी अनुसूची:

  • अनुच्छेद 244: स्वायत्त ज़िला परिषदों (Autonomous District Councils- ADCs), जिनके पास राज्य के भीतर कुछ विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्वायत्तता होती है, को संविधान के अनुच्छेद 244 की छठी अनुसूची के अनुसार बनाया जा सकता है।
    • छठी अनुसूची में पूर्वोत्तर के चार राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित विशेष प्रावधान हैं।
  • स्वायत्त ज़िले: इन चार राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्त ज़िलों के रूप में गठित किया गया है। राज्यपाल के पास स्वायत्त ज़िलों के गठन और पुनर्गठन से संबंधित अधिकार है।
    • संसद या राज्य विधानमंडल के अधिनियम स्वायत्त ज़िलों पर लागू नहीं होते हैं अथवा विशिष्ट संशोधनों और अपवादों के साथ लागू होते हैं।
    • इस संबंध में निर्देशन की शक्ति या तो राष्ट्रपति या फिर राज्यपाल के पास होती है।
  • ज़िला परिषद: प्रत्येक स्वायत्त ज़िले में एक ज़िला परिषद होती है और इसमें सदस्यों की संख्या 30 होती हैं, जिनमें से चार राज्यपाल द्वारा मनोनीत किये जाते हैं और शेष 26 वयस्क मताधिकार के आधार पर चुने जाते हैं।
    • निर्वाचित सदस्य पाँच वर्ष की अवधि के लिये पद धारण करते हैं (यदि परिषद पहले भंग नहीं हो जाती है) और मनोनीत सदस्य राज्यपाल के प्रसादपर्यंत पद पर बने रहते हैं।
    • प्रत्येक स्वायत्त क्षेत्र में एक अलग क्षेत्रीय परिषद भी होती है।
  • परिषद की शक्तियाँ: ज़िला और क्षेत्रीय परिषदें अपने अधिकार क्षेत्रों का प्रशासन देखती हैं।
    • वे भूमि, जंगल, नहर का पानी, झूम खेती, ग्राम प्रशासन, संपत्ति की विरासत, विवाह और तलाक, सामाजिक रीति-रिवाज़ों आदि जैसे कुछ विशिष्ट मामलों पर कानून बना सकती हैं। लेकिन ऐसे सभी कानूनों हेतु राज्यपाल की सहमति की आवश्यकता होती है।
    • वे जनजातियों के बीच मुकदमों और मामलों की सुनवाई के लिये ग्राम सभाओं या न्यायालयों का गठन कर सकती हैं। वे उनकी अपील सुनती हैं। इन मुकदमों एवं मामलों पर उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र राज्यपाल द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है।
    • ज़िला परिषद ज़िले में प्राथमिक विद्यालयों, औषधालयों, बाज़ारों, घाटों, मत्स्य पालन, सड़कों आदि की स्थापना, निर्माण या प्रबंधन कर सकती है।
    • उन्हें भू-राजस्व का आकलन करने और एकत्र करने एवं कुछ निर्दिष्ट कर लगाने का अधिकार है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. संविधान के निम्नलिखित प्रावधानों में से कौन से प्रावधान भारत की शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव डालते हैं? (2012)

  1. राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत
  2. ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकाय
  3. पाँचवीं अनुसूची
  4. छठी अनुसूची
  5. सातवीं अनुसूची

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3, 4 और 5
(c) केवल 1, 2 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत के अनुच्छेद 45 में सभी बच्चों को 6 वर्ष की आयु पूरी करने तक प्रारंभिक बचपन की देखभाल और अनिवार्य एवं मुफ्त शिक्षा देने का प्रावधान है। अत: 1 सही है।
  • ग्यारहवीं अनुसूची में पंचायत को प्रदान किये गए 29 कार्य शामिल हैं। सूची की प्रविष्टि 17 प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों सहित शिक्षा से संबंधित है। बारहवीं अनुसूची में नगर निकायों को प्रदान किये गए 18 कार्य शामिल हैं। प्रविष्टि 13 में सांस्कृतिक, शैक्षिक एवं सौंदर्य संबंधी पहलुओं को बढ़ावा देने का प्रावधान है। अत: 2 सही है।
  • पाँचवीं अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिज़ोरम के अलावा अन्य राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। राज्यपाल, सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा यह निर्देश दे सकता है कि संसद या राज्य के विधानमंडल का कोई विशेष अधिनियम, राज्य के किसी अनुसूचित क्षेत्र या उसके किसी हिस्से पर ऐसे अपवादों एवं संशोधनों के अधीन लागू नहीं होगा जैसा कि वह अधिसूचना में निर्दिष्ट कर सकता है। अत: 3 सही है।
  • छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिज़ोरम में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। यह ज़िला परिषदों के लिये प्रावधान करती है, जो प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना, निर्माण या प्रबंधन कर सकती हैं। अत: 4 सही है।
  • सातवीं अनुसूची में संघ, राज्य और समवर्ती सूची शामिल है। इसमें ‘शिक्षा’ से संबंधित प्रावधान हैं। अत: 5 सही है।

अतः विकल्प (d) सही है।


प्रश्न. भारतीय संविधान की किस अनुसूची के तहत खनन के लिये निजी पार्टियों को आदिवासी भूमि के हस्तांतरण को शून्य घोषित किया जा सकता है? (2019)

(A) तीसरी अनुसूची
(B) पाँचवी अनुसूची
(C) नौवीं अनुसूची
(D) बारहवीं अनुसूची

उत्तर: (B)

व्याख्या:

  • अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित संविधान की पाँचवी और छठी अनुसूची के साथ अनुच्छेद 244 में निहित प्रावधानों तथा पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 तथा अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 या आदिवासियों के हितों की रक्षा करने वाले कोई अन्य प्रासंगिक वैधानिक अधिनियम के प्रावधानों द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों में खनिज रियायतों के लिये अनुदान निर्देशित किया गया है।
  • पाँचवी अनुसूची के तहत राज्यपाल सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा निर्देश दे सकता है कि संसद या राज्य के विधानमंडल का कोई विशेष अधिनियम राज्य में अनुसूचित क्षेत्र या उसके किसी हिस्से पर लागू होगा या नहीं।
  • इस प्रकार पाँचवीं अनुसूची के तहत खनन के लिये निजी पार्टियों को आदिवासी भूमि के हस्तांतरण को शून्य घोषित किया जा सकता है। अतः विकल्प (B) सही है।

प्रश्न. भारत के संविधान में पाँचवीं अनुसूची और छठी अनुसूची के उपबंध निम्नलिखित में से किसके लिये किये गए हैं?

(a) अनुसूचित जनजातियों के हितों के संरक्षण के लिये
(b) राज्यों के बीच सीमाओं के निर्धारण के लिये
(c) पंचायतों की शक्तियों, प्राधिकारों और उत्तरदायित्त्वों के निर्धारण के लिये
(d) सभी सीमावर्ती राज्यों के हितों के संरक्षण के लिये

उत्तर: (a)

  • पाँचवीं अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों तथा अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन एवं नियंत्रण का प्रावधान करती है।
  • छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस