सौर ऊर्जा संचालित कोणार्क सूर्य मंदिर | 03 Mar 2022

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, कोणार्क सूर्य मंदिर, कलिंग वास्तुकला, यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल।

मेन्स के लिये:

भारतीय संस्कृति- कला रूपों के मुख्य पहलू, अक्षय ऊर्जा हेतु उठाए गए कदम।

चर्चा में क्यों?

भारत के ओडिशा राज्य का कोणार्क शहर ग्रिड निर्भरता (Grid Dependency) से हरित ऊर्जा (Green Energy) में स्थानांतरित होने वाला पहला मॉडल शहर बनने जा रहा है।

  • इस संबंध में ओडिशा सरकार ने नीतिगत दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
  • मई 2020 में केंद्र सरकार द्वारा ओडिशा में कोणार्क सूर्य मंदिर और कोणार्क शहर के सौरकरण हेतु एक योजना शुरू की गई थी।

प्रमुख बिंदु

नीति के दिशा-निर्देश:

  • जारी दिशा-निर्देशों के तहत राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2022 के अंत तक अक्षय ऊर्जा स्रोतों जैसे- सूर्य, पवन, बायोमास, छोटे जलविद्युत और अपशिष्ट से ऊर्जा (Waste-to-Energy- WTE) आदि से 2,750 मेगावाट विद्युत् उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
  • राज्य सरकार द्वारा सौर ऊर्जा से 2,200 मेगावाट बिजली पैदा करने का भी लक्ष्य रखा गया है और इसका एक हिस्सा सूर्य मंदिर एवं कोणार्क शहर को सौर ऊर्जा से चलाने हेतु इस्तेमाल किया जाएगा।
  • कोणार्क के लिये नवीकरणीय/अक्षय ऊर्जा का उपयोग केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Union Ministry of New and Renewable Energy- MNRE) की एक महत्त्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है।

इस पहल का महत्त्व और संबंधित चुनौतियांँ:

  • ग्रिड से सौर ऊर्जा में स्थानांतरण से सूर्य मंदिर की बिजली की खपत को कम करने में मदद मिलेगी।
  • सौर ऊर्जा से मिलने वाले वित्तीय लाभ से मंदिर के अन्य विकास कार्यों को पूर्ण करने में सहायता मिलेगी।
  • विशाल सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में ओडिशा को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
    • राज्य में 480 किमी. की तटरेखा है जो नियमित चक्रवातों के कारण प्रभावित है। यह 22 वर्षों के दौरान अब तक सुपर साइक्लोन, फीलिन, हुदहुद, तितली, अम्फान और फानी सहित 10 चक्रवातों का सामना कर चुका है।
  • इसके अलावा सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में भूमि अधिग्रहण एक और बड़ी चुनौती है।
    • यह तटीय क्षेत्र चक्रवात से प्रभावित हैं और ओडिशा के कुछ हिस्सों में घने जंगल हैं, साथ ही घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भूमि अधिक महँगी है।

कोणार्क सूर्य मंदिर:

  • कोणार्क सूर्य मंदिर पूर्वी ओडिशा के पवित्र शहर पुरी के पास स्थित है।
  • इसका निर्माण राजा नरसिंहदेव प्रथम द्वारा 13वीं शताब्दी (1238-1264 ई.) में किया गया था। यह गंग वंश के वैभव, स्थापत्य, मज़बूती और स्थिरता के साथ-साथ ऐतिहासिक परिवेश का प्रतिनिधित्व करता है।
    • पूर्वी गंग राजवंश को रूधि गंग या प्राच्य गंग के नाम से भी जाना जाता है।
    • मध्यकालीन युग में यह विशाल भारतीय शाही राजवंश था जिसने कलिंग से 5वीं शताब्दी से 15वीं शताब्दी की शुरुआत तक शासन किया था।
    • पूर्वी गंग राजवंश बनने की शुरुआत तब हुई जब इंद्रवर्मा प्रथम ने विष्णुकुंडिन राजा को हराया।
  • मंदिर को एक विशाल रथ के आकार में बनाया गया है।
  • यह सूर्य भगवान को समर्पित है।
  • कोणार्क मंदिर न केवल अपनी स्थापत्य की भव्यता के लिये बल्कि मूर्तिकला कार्य की गहनता और प्रवीणता के लिये भी जाना जाता है।
    • यह कलिंग वास्तुकला की उपलब्धि का सर्वोच्च बिंदु है जो अनुग्रह, खुशी और जीवन की लय को दर्शाता है।
  • इसे वर्ष 1984 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
  • कोणार्क सूर्य मंदिर के दोनों ओर 12 पहियों की दो पंक्तियाँ हैं। कुछ लोगों का मत है कि 24 पहिये दिन के 24 घंटों के प्रतीक हैं, जबकि अन्य का कहना है कि यह वर्ष के 12 माह के प्रतीक हैं।
  • सात घोड़ों को सप्ताह के सातों दिनों का प्रतीक माना जाता है।
  • समुद्री यात्रा करने वाले लोग एक समय में इसे 'ब्लैक पगोडा' कहते थे, क्योंकि ऐसा माना जाता था कि यह जहाज़ों को किनारे की ओर आकर्षित करता है और उनको नष्ट कर देता है।
  • कोणार्क ‘सूर्य पंथ’ के प्रसार के इतिहास की अमूल्य कड़ी है, जिसका उदय 8वीं शताब्दी के दौरान कश्मीर में हुआ और अंततः पूर्वी भारत के तटों पर पहुँच गया।

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स्रोत: डाउन टू अर्थ