कोलार लीफ-नोज़्ड बैट | 30 Dec 2020

चर्चा में क्यों?

कर्नाटक वन विभाग, बैट कंज़र्वेशन इंडिया ट्रस्ट (BCIT) के साथ मिलकर कोलार लीफ-नोज़्ड बैट (Kolar Leaf-Nosed Bat) को विलुप्त होने से बचाने के लिये तैयारी कर रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • BCIT एक गैर-लाभकारी संगठन है जिसकी स्थापना भारत में चमगादड़ों के निवास स्थान की रक्षा करके उनकी प्रजातियों के संरक्षण के लिये की गई थी। इसका मुख्यालय बंगलूरु, कर्नाटक में है।
  • कोलार लीफ-नोज़्ड बैट का वैज्ञानिक नाम हिप्पोसाइडरोस हाइपोफिलस (Hipposideros hypophyllus) है
  • भौगोलिक सीमा: यह भारत के लिये स्थानिक है। वर्तमान में यह केवल कर्नाटक के कोलार ज़िले के हनुमानहल्ली गाँव में एक गुफा से जाना जाता है।
  • खतरे: भूमि उपयोग परिवर्तन शिकार और पत्थर खदान की वजह से आवास की हानि।
    • कई वर्ष पहले तक हनुमानहल्ली गाँव में केवल दो गुफाओं में कोलार लीफ-नोज़्ड बैट पाया गया था। परंतु इन दो गुफाओं से चमगादड़ की विलुप्ति का कारण अभी भी अज्ञात है।

सुरक्षा की स्थिति:

  • आईयूसीएन रेड लिस्ट: गंभीर रूप से संकटग्रस्त
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: इस अधिनियम के तहत कानूनी संरक्षण नहीं दिया गया है।

संरक्षण के प्रयास

  • सरकार ने गुफाओं के आसपास 30 एकड़ क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया था।
    • नए बुनियादी ढाँचे के निर्माण सहित यहाँ नए विकास कार्य, वन्यजीवों के लिये राष्ट्रीय बोर्ड की अनुमति की आवश्यकता होगी।
  • चमगादड़ की इस प्रजाति के संरक्षण के लिये ‘चमगादड़ संरक्षण भारतीय ट्रस्ट’ को अनुदान दिया गया है।
    • यह आस-पास के समुदायों में एक गहन जागरूकता अभियान चला रहा है और उसने प्रजातियों के लिये उत्पन्न इस खतरे को समझा है तथा अतिक्रमणकारियों से इस क्षेत्र की रक्षा करना का कार्य शुरू कर दिया है।

चिंताएँ:

  • चमगादड़ देश में सबसे कम अध्ययन किये गए स्तनधारियों में से एक हैं, हालाँकि भारत में चमगादड़ की 130 प्रजातियाँ हैं।
    • एक पोलिनेटर के रूप में चमगादड़ पारिस्थितिकी के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • चमगादड़ कीट नियंत्रण में भी मदद करते हैं और इसलिये फसलों की सुरक्षा में मदद करते हैं।
  • ये बहुत अनुकूली जीव हैं और इसलिये वे अक्सर मानव बस्ती के पास या शहरी बस्तियों में भी पाए जा सकते हैं, जो उन्हें असुरक्षित बनाता है।
  • चमगादड़ों की खराब छवि बीमारियों के वाहक के रूप में भी होती है।

सुझाव:

  • इस क्षेत्र में अन्य भूमिगत गुफाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये पाँच से दस किमी. के दायरे में अवैध ग्रेनाइट खनन और उत्खनन पर रोक लगाने की तत्काल आवश्यकता है।
  • इस बीच प्रजातियों के वितरण को समझने के लिये व्यापक गुफा अन्वेषण और ध्वनिक नमूने की सिफारिश की जाती है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस