कर्नाटक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 300% की वृद्धि | 24 Jul 2018

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा संसद में प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार, मार्च 2018 को समाप्त हुए 12 महीनों में विदेशों से प्राप्त अंतर्वाह में 300% की वृद्धि के फलस्वरूप कर्नाटक ने पिछले वर्ष प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में सबसे ज़्यादा वृद्धि दर्ज की। तमिलनाडु में भी पिछली अवधि में मंदी के विपरीत इस बार वृद्धि देखी गई, जबकि गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में एफडीआई प्रवाह में गिरावट दर्ज की गई।

प्रमुख बिंदु

  • कर्नाटक को पिछले वित्त वर्ष के 2.13 बिलियन डॉलर की तुलना में 2017-18 में 8.58 बिलियन डॉलर प्राप्त हुए, जबकि तमिलनाडु को इसी अवधि में 3.47 बिलियन डॉलर की प्राप्ति हुई, जो कि पिछली अवधि में प्राप्त की गई 2.22 बिलियन डॉलर की राशि से 56% अधिक थी। यह वृद्धि तमिलनाडु द्वारा निवेश संबंधी चिंताओं को दूर करने हेतु किये गए प्रयासों के फलस्वरूप हुई।
  • चुनावी वर्ष 2016-17 में पिछले 12 महीनों (4.53 अरब डॉलर) की तुलना में निवेश में लगभग आधे की कमी आई थी, इसी वर्ष तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. जयललिता के अस्पताल में भर्ती होने और निधन के बाद कुछ राजनीतिक अनिश्चितता भी देखी गई थी।
  • लोकसभा में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा दिये गए लिखित उत्तर के अनुसार, महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे अन्य प्रमुख राज्यों में एफडीआई प्रवाह में गिरावट देखी गई।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक के मुंबई कार्यालय से प्राप्त आँकड़े, जिसमें महाराष्ट्र, दादरा और नगर हवेली, दमन तथा दीव के आँकड़े भी शामिल हैं, दर्शाते हैं कि निवेश में आई कमी के कारण पिछले वर्ष के 19.7 बिलियन डॉलर की तुलना में वर्ष 2017-18 में 13.4 बिलियन डॉलर निवेश की प्राप्ति हुई। 
  • गुजरात में एफडीआई प्रवाह पिछले वर्ष के 3.37 बिलियन डॉलर से 38% गिरकर वर्ष 2017-18 में 2.09 बिलियन डॉलर हो गया।
  • आंध्र प्रदेश में एफडीआई प्रवाह पिछले वर्ष की तुलना में 43% गिरकर वर्ष 2017-18 में 1.25 बिलियन डॉलर हो गया।
  • कुल मिलाकर, क्षेत्रवार निवेश आँकड़े बताते हैं कि कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र में पिछले वर्ष एफडीआई में 68% की बढ़ोतरी से यह 6.15 बिलियन डॉलर हो गया था।
  • दिलचस्प बात यह है कि सेवा क्षेत्र जिसमें वित्त, बैंकिंग, बीमा और आउटसोर्सिंग शामिल हैं, पिछले वर्ष की तुलना में 23% की गिरावट के बावजूद 6.71 बिलियन डॉलर के प्रवाह के साथ एफडीआई का शीर्ष प्राप्तकर्त्ता बना हुआ है।