कालेश्वरम् लिफ्ट सिंचाई परियोजना | 21 Oct 2020

प्रिलिम्स के लिये:

कालेश्वरम् लिफ्ट सिंचाई परियोजना

मेन्स के लिये:

कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना तथा इससे जुड़ी पर्यावरणीय समस्याएँ 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) द्वारा दिये गए एक निर्णय के अनुसार, तेलंगाना में कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना को ‘भूतलक्षी प्रभाव’ से पर्यावरणीय मंज़ूरी देने में कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया है। 

प्रमुख बिंदु:

  • NGT ने कहा है कि इन कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये जवाबदेही तय करने और उपचारात्मक उपायों की आवश्यकता है।
  • NGT ने पर्यावरण और वन मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वर्तमान मामले में जाँच के लिये संबंधित क्षेत्रीय विशेषज्ञता वाले अधिमानतः सात सदस्यों की विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए।
  • सिद्दीपेट (Siddipet) ज़िले के एक प्रभावित किसान द्वारा दायर याचिका के जवाब में मंगलवार को अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किये गए एक फैसले में NGT की प्रधान पीठ ने मंत्रालय को एक विशेषज्ञ समिति गठित करने के लिये कहा जो छह महीने के भीतर अपना कार्य पूरा करेगी। पर्यावरण मंत्रालय से संबंधित सचिव को इस परियोजना की निगरानी करने का निर्देश देते हुए कहा कि प्रभावित पक्ष को तीन सप्ताह के भीतर इस संबंध में मंत्रालय में अभिवेदन देने की छूट होगी।
  • NGT ने कहा कि वह परियोजना प्रस्तावक के इस विचार को स्वीकार करने में असमर्थ हैं कि प्राथमिक रूप से यह परियोजना जल आपूर्ति और जल प्रबंधन के लिये है और सिंचाई इस परियोजना का सहायक भाग है, इसलिये वर्ष 2008-2017 के दौरान परियोजना के क्रियान्वयन से पहले ज़रूरी पर्यावरण मंज़ूरी नहीं ली गई थी।
  • NGT की प्रधान पीठ ने सुझाव दिया है कि विशेषज्ञ समिति वर्ष 2008-2017 की अवधि के दौरान पर्यावरणीय मंज़ूरी के बिना परियोजना जारी रहने के कारण होने वाले नुकसान का आकलन कर सकती है और आवश्यक बहाली के उपायों की पहचान कर सकती है।
  • इसके अलावा NGT ने कहा है कि राहत और पुनर्वास संबंधी उपायों को अपनाया जा सकता है और इन्हें आगे भी अपनाया जाना आवश्यक है तथा परियोजना प्रस्तावक द्वारा प्रस्तुत पर्यावरण प्रबंधन योजना के प्रभावी कार्यान्वयन की जाँच करने के साथ ही पर्यावरणीय मंज़ूरी के लिये आवश्यक शर्तों का अनुपालन भी किया जाए।

बहुउद्देशीय परियोजनाओं से संबंधित पर्यावरणीय मंज़ूरी:

  • NGT के अनुसार, यह विशेष रूप से आवश्यक है कि अगर परियोजनाएँ बहुउद्देश्यीय हैं तो उनके लिये पर्यावरणीय मंज़ूरी की आवश्यकता होती है। 
  • NGT ने कहा कि पर्यावरणीय मंज़ूरी की आवश्यकता को इस तर्क से खारिज नहीं किया जा सकता है कि परियोजना को आंशिक रूप से पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अधिसूचना द्वारा स्वीकृत किया गया था, जैसा कि वर्तमान मामले में हुआ।
  • NGT के अनुसार, इस तरह की परियोजनाओं के लिये केवल दस्तावेज़ी स्वीकृति के बजाय एक तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है और इसके बाद जहाँ भी आवश्यक हो, विवरणों का भौतिक सत्यापन किया जा सकता है।

स्रोत- द हिंदू