जोशीमठ में भूस्खलन | 09 Jan 2023

प्रिलिम्स के लिये:

प्राकृतिक आपदा, बाढ़, सूखा, भूस्खलन, जोशीमठ।

मेन्स के लिये:

जोशीमठ में भूस्खलन के कारण और संबंधित चिंताएँ।

चर्चा में क्यों? 

बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब की ओर जाने वाले यात्रियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण केंद्र जोशीमठ में भूस्खलन एवं ज़मीन धँसने के कारण चिंतित स्थानीय लोगों द्वारा प्रदर्शन किया गया। 

  • इस शहर को भूस्खलन-धँसाव क्षेत्र घोषित किये जाने के साथ ही जोशीमठ में भूस्खलन से प्रभावित घरों में रहने वाले 60 से अधिक निवासियों को अस्थायी राहत केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया गया था। 

जोशीमठ: 

  • जोशीमठ उत्तराखंड के चमोली ज़िले में ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-7) पर स्थित एक पहाड़ी शहर है।  
  • राज्य के अन्य महत्त्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थलों के अलावा यह शहर बद्रीनाथ, औली, फूलों की घाटी (Valley of Flowers) एवं हेमकुंड साहिब की यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिये रात्रि विश्राम स्थल के रूप में भी जाना जाता है।  
  • जोशीमठ, जो सेना की सबसे महत्त्वपूर्ण छावनियों में से एक है, भारतीय सशस्त्र बलों के लिये अत्यधिक सामरिक महत्त्व रखता है। 
  • शहर (उच्च जोखिम वाला भूकंपीय क्षेत्र-V) के माध्यम से धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों के संगम, विष्णुप्रयाग से एक उच्च ढाल के साथ बहती हुई धारा आती है।
  • यह आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मुख्य मठों में से एक है, अन्य मठ उत्तराखंड के बद्रीनाथ में जोशीमठ, ओडिशा के पुरी और कर्नाटक के श्रींगेरी में हैं।

Joshimath

जोशीमठ की समस्याओं का कारण: 

  • पृष्ठभूमि: 
    • दीवारों और इमारतों में दरार पड़ने की घटना पहली बार वर्ष 2021 में दर्ज की गई, जबकि उत्तराखंड के चमोली ज़िले में भूस्खलन एवं बाढ़ की घटनाएँ निरंतर रूप से देखी जा रही थीं।
    • रिपोर्टों के अनुसार, उत्तराखंड सरकार के विशेषज्ञ पैनल ने वर्ष 2022 में पाया कि जोशीमठ के कई हिस्सों में मानव निर्मित और प्राकृतिक कारकों के कारण इस प्रकार की समस्या उत्पन्न हो रही है।
    • यह पाया गया कि व्यावहारिक रूप से शहर के सभी ज़िलों में संरचनात्मक खामियाँ हैं और अंतर्निहित सामग्री के नुकसान या गतिविधियों के परिणामस्वरूप पृथ्वी की सतह के धीरे-धीरे या अचानक धँसने अथवा विलय हो जाने जैसे परिणाम देखने को मिलते रहने की संभावना है।
  • कारण: 
    • एक प्राचीन भूस्खलन स्थल: वर्ष 1976 की मिश्रा समिति की रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ मुख्य चट्टान पर नहीं बल्कि रेत और पत्थर के जमाव पर स्थित है। यह एक प्राचीन भूस्खलन क्षेत्र पर स्थित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अलकनंदा एवं धौलीगंगा की नदी धाराओं द्वारा कटाव भी भूस्खलन के कारकों के अंतर्गत आते हैं।
      • समिति ने भारी निर्माण कार्य, ब्लास्टिंग या सड़क की मरम्मत के लिये बोल्डर हटाने और अन्य निर्माण, पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी।
    • भौगोलिक स्थिति: क्षेत्र में बिखरी हुई चट्टानें पुराने भूस्खलन के मलबे जिसमें बाउलडर, नीस चट्टानें और ढीली मृदा शामिल है, से ढकी हुई हैं, जिनकी धारण क्षमता न्यून है।
      • ये नीस चट्टानें अत्यधिक अपक्षयित प्रकृति की होती हैं और विशेष रूप से मानसून के दौरान पानी से संतृप्त होने पर इनके रंध्रों पर उच्च दबाव बन जाता है फलस्वरूप इनका संयोजी मूल्य कम हो जाता है।
    • निर्माण गतिविधियाँ: निर्माण कार्य में वृद्धि, पनबिजली परियोजनाओं और राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण ने पिछले कुछ दशकों में ढलानों को अत्यधिक अस्थिर बना दिया है।
    • भू-क्षरण: विष्णुप्रयाग से बहने वाली धाराओं और प्राकृतिक धाराओं के साथ हो रहा चट्टानी  फिसलन, शहर में भूस्खलन के अन्य कारण हैं।
  • प्रभाव: 
    • कम-से-कम 66 परिवारों ने शहर छोड़ दिया है, जबकि 561 घरों में दरारें आने की सूचना है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि अब तक 3000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।

जोशीमठ को बचाने हेतु संभावित उपाय:

  • विशेषज्ञ क्षेत्र में विकास और पनबिजली परियोजनाओं को पूरी तरह से बंद करने की सलाह देते हैं लेकिन निवासियों को तत्काल सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किये जाने की आवश्यकता है और बदलते भौगोलिक कारकों को समायोजित करने के लिये शहर की योजना फिर से बनाई जानी चाहिये।
  • ड्रेनेज योजना सबसे बड़े कारकों में से एक है जिसका अध्ययन और पुनर्विकास करने की आवश्यकता है। शहर खराब जल निकासी एवं सीवर प्रबंधन से ग्रस्त है चूँकि अधिकांशतः शहरी अपशिष्ट, मृदा को दूषित कर रहा है, जिससे मृदा की संरचना कमज़ोर हो जाती है। राज्य सरकार ने सिंचाई विभाग को इस मुद्दे पर गौर करने और जल निकासी व्यवस्था के लिये एक नई योजना बनाने को कहा है।
  • विशेषज्ञों ने मृदा की क्षमता को बनाए रखने के लिये विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में पुनर्रोपण का भी सुझाव दिया है। जोशीमठ को बचाने के लिये सीमा सड़क संगठन (BRO) जैसे सैन्य संगठनों की सहायता से सरकार और नागरिक निकायों द्वारा एक समन्वित प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
  • हालाँकि लोगों को स्थानीय घटनाओं के बारे में चेतावनी देने के लिये राज्य में पहले से ही मौसम पूर्वानुमान तकनीक मौजूद है, किंतु इसके कवरेज में सुधार की आवश्यकता है। 
    • उत्तराखंड में मौसम की भविष्यवाणी, उपग्रहों और डॉप्लर वेदर रडार (ऐसे उपकरण जो वर्षा का पता लगाने एवं उसके स्थान और तीव्रता को निर्धारित करने के लिये विद्युत चुंबकीय ऊर्जा का उपयोग करते हैं) के माध्यम से की जाती है। 
  • राज्य सरकार को वैज्ञानिक अध्ययनों को भी अधिक गंभीरता से लेने की आवश्यकता है, जो वर्तमान संकट के कारणों की स्पष्ट रूप से व्याख्या करते हैं। तभी राज्य अपने विकास बाधाओं को खत्म कर पाएगा।

भूमि अवतलन (Land Subsidence):

  • भूमि अवतलन/अधोगमन पृथ्वी की सतह का धीरे-धीरे धँसना या अचानक धँसना है।
  • अवतलन- भूमिगत सामग्री के संचलन के कारण ज़मीन का धँसना पानी, तेल, प्राकृतिक गैस या खनिज संसाधनों को पंपिंग, फ्रैकिंग या खनन गतिविधियों द्वारा ज़मीन से बाहर निकालने के कारण होता है।
  • भूकंप, मृदा संघनन, हिमनदों के समस्थानिक समायोजन, अपरदन, सिंकहोल या विलियन रंध्र के गठन और वायु द्वारा निक्षेपित मृदा में जल का मिलना (एक प्राकृतिक प्रक्रिया जिसे लोयस के रूप में जाना जाता है) जैसी प्राकृतिक घटनाओं के कारण भी अवतलन हो सकता है।
  • अधोगमन बहुत बड़े क्षेत्रों जैसे पूरे राज्य या प्रांत या बहुत छोटे क्षेत्रों जैसे या आँगन के कोने में हो सकता है।

भूस्खलन: 

  • भूस्खलन को पृथ्वी के ढलान के नीचे की ओर व्यापक रूप से मृदा, चट्टान और मलबे के संचलन के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • भूस्खलन बृहत क्षरण का एक प्रकार है, जो गुरुत्त्वाकर्षण के प्रत्यक्ष प्रभाव के तहत मृदा और चट्टान की नीचे की ओर गति को दर्शाता है।
  • भूस्खलन शब्द में ढलान की गति के पाँच तरीके शामिल हैं: गिरना, लुढ़कना, खिसकना, प्रसार और प्रवाहित होना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. पश्चिमी घाट की तुलना में हिमालय में बार-बार होने वाले भूस्खलन के कारणों को प्रदर्शित कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2013)

प्रश्न. भूस्खलन के विभिन्न कारणों और प्रभावों का वर्णन कीजिये। राष्ट्रीय भूस्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति के महत्त्वपूर्ण घटकों का उल्लेख कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2021)

स्रोत: द हिंदू