मुख्यमंत्री श्रमिक योजना | 23 Jun 2020

प्रीलिम्स के लिये

मुख्यमंत्री श्रमिक योजना, मनरेगा, अय्यनकाली शहरी रोज़गार गारंटी योजना

मेन्स के लिये

ग्रामीण विकास में मनरेगा कार्यक्रम की भूमिका, प्रवासी श्रमिकों से संबंधित चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार के सामाजिक विकास कार्यक्रम मनरेगा (MGNREGA) के आधार पर झारखंड सरकार शहरी अकुशल श्रमिकों के लिये रोज़गार गारंटी योजना शुरू करने पर विचार कर रही है।

प्रमुख बिंदु

  • झारखंड सरकार की इस योजना के तहत शहरी श्रमिक कम-से-कम 100 दिन का रोज़गार प्राप्त कर सकेंगे।
  • ध्यातव्य है कि झारखंड सरकार की यह योजना अपने मूल उद्देश्य में भारत सरकार के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम अर्थात् मनरेगा कार्यक्रम से पूरी तरह विपरीत है।
    • जहाँ एक ओर केंद्र सरकार के मनरेगा कार्यक्रम में मुख्य रूप से अकुशल श्रम करने के इच्छुक ग्रामीण वयस्कों को लक्षित किया गया है, वहीं झारखंड सरकार की इस योजना में राज्य के शहरी श्रमिकों को लक्षित किया गया है।
  • झारखंड के शहरी गरीबों को मौजूद संकट के दौर में आजीविका का एक साधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की जा रही इस योजना का नाम मुख्यमंत्री श्रमिक (SHRAMIK- Shahri Rozgar Manjuri For Kamgar) योजना रखा जाएगा।
  • गौरतलब है कि इस योजना के तहत दी जाने वाली मज़दूरी राज्य में मनरेगा (MGNREGA) कार्यक्रम के तहत दी जा रही मज़दूरी से लगभग 40 प्रतिशत अधिक होगी। विदित हो कि झारखंड में मनरेगा कार्यक्रम के तहत प्रतिदिन 194 रुपए के हिसाब से भुगतान किया जाता है।
  • इस संबंध में तैयार किये गए मसौदे के अनुसार, योजना के तहत काम, मांग के आधार पर प्रदान किया जाएगा और इसमें काम को स्वच्छता, जल संचयन, वृक्षारोपण, सार्वजनिक निर्माण या मरम्मत और आश्रय गृहों के प्रबंधन जैसी विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा।
  • मनरेगा की तरह झारखंड सरकार की योजना में भी बेरोज़गारी भत्ते का प्रावधान किया गया है, योजना के तहत बेरोज़गारी भत्ता तभी प्रदान किया जाएगा, जब कोई शहरी स्थानीय निकाय रोज़गार की मांग करने वाले व्यक्ति को 15 दिन के भीतर रोज़गार उपलब्ध कराने में विफल रहता है।
  • ध्यातव्य है कि इस कार्य के लिये शहरी स्थानीय निकायों (Urban Local Bodies-ULBs) को अलग से फंड प्रदान किया जाएगा।
  • कार्य पूरा होने के सात दिनों के भीतर राशि श्रमिकों के बैंक खाते में जमा कर दी जाएगी, जिससे योजना के तहत मज़दूरी के भुगतान में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकेगी।
  • योजना के मसौदे में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी स्थिति में कार्य पूरा होने के पश्चात् 15 दिनों के भीतर मज़दूरी का भुगतान करना अनिवार्य होगा।

इससे पूर्व केरल ने शुरू की थी योजना

  • इस योजना के कार्यान्वयन के साथ ही शहरी गरीबों के लिये रोज़गार गारंटी योजना शुरू करने वाला झारखंड देश का दूसरा राज्य बन जाएगा, जबकि इससे पूर्व केवल केरल सरकार द्वारा इस प्रकार की व्यवस्था की गई थी। 
  • ध्यातव्य है कि केरल में ‘अय्यनकाली शहरी रोज़गार गारंटी योजना’ (Ayyankali Urban Employment Guarantee Scheme) का कार्यान्वयन किया जा रहा है। 
  • केरल सरकार की यह योजना भी मनरेगा (MGNREGA) के ही समान है, किंतु इसमें ग्रामीण श्रमिकों के स्थान पर शहरी गरीबों को लक्षित किया गया है। 
  • केरल सरकार की इस योजना में महिलाओं को खास प्राथमिकता दी गई है, योजना से संबंधित नियमों के अनुसार, योजना के कुल लाभार्थियों में से लगभग 50 प्रतिशत महिलाएँ होंगी।

योजना की आवश्यकता

  • भारत में यह एक बहुप्रचलित धारणा है कि गरीब का मतलब ग्रामीण होता है, जो कि आंशिक रूप से भले ही सही हो सकता है, किंतु पूर्ण रूप से सही नहीं है। 
  • इस धारणा के कारण देश में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिये तो काफी योजनाएँ बनाई गई हैं, किंतु शहरी क्षेत्रों को केंद्र में रखकर को कोई भी योजना नहीं बनाई है।
  • ऐसे में जब भी कोई संकट आता है, तो इसके कारण देश की शहरी आबादी काफी अधिक प्रभावित होती है।

महत्त्व

  • एक अनुमान के अनुसार, राज्य के लगभग 13-14 लाख परिवार शहरी क्षेत्रों में रहते हैं, जिसमें से तकरीबन 15 प्रतिशत लोग आकस्मिक मज़दूर के रूप में कार्य करते हैं।
  • आँकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के मद्देनज़र लागू किये गए लॉकडाउन के कारण झारखंड के शहरी क्षेत्रों के तकरीबन 25 प्रतिशत परिवार काफी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।
  • वहीं दूसरी ओर कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के 1 मई से अब तक झारखंड में लगभग पाँच लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक अन्य क्षेत्रों से वापस लौट कर आए हैं, जिन्हें आजीविका उपलब्ध कराना राज्य सरकार के समक्ष एक बड़ी चुनौती बन गया है।
  • झारखंड समेत देश के विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने राज्य सरकार के इस कदम की सराहना की है। विशेषज्ञों के अनुसार, झारखंड सरकार की इस नई योजना के कार्यान्वयन से कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के प्रकोप के बाद शहरी क्षेत्रों लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों को काफी मदद मिलेगी। 
    • उल्लेखनीय है कि झारखंड के राज्य ग्रामीण विकास विभाग द्वारा अब तक 2.5 लाख प्रवासी श्रमिकों का कौशल सर्वेक्षण किया गया है और इस सर्वेक्षण से यह ज्ञात हुआ है कि विभिन्न राज्यों से लौटे 30 प्रतिशत श्रमिक अकुशल श्रमिक हैं।

निष्कर्ष

झारखंड सरकार द्वारा शुरू की जा रही यह योजना मौजूदा परिस्थितियों के संदर्भ में एक सराहनीय कदम है, आवश्यक है कि राज्य सरकार द्वारा तैयार किये गए मसौदे पर सभी हितधारकों के साथ विचार विमर्श किया जाए और सभी उपयुक्त सुझावों के साथ इसमें सुधार कर इसे जल्द-से-जल्द लागू किया जाए, ताकि महामारी से प्रभावित गरीब श्रमिक को तत्काल इस योजना से लाभ प्राप्त हो सके।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस