जापान द्वारा फुकुशिमा के प्रदूषित जल को समुद्र में छोड़ने की मंज़ूरी | 28 Jan 2023

प्रिलिम्स के लिये:

प्रशांत महासागर, सुनामी, जल में रेडियोधर्मी प्रदूषण।

मेन्स के लिये:

परमाणु ऊर्जा और परमाणु आपदा के मुद्दे।

चर्चा में क्यों? 

जापान वर्ष 2023 में संकटग्रस्त फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र के 12.5 लाख टन अपशिष्ट जल को प्रशांत महासागर में प्रवाहित करना शुरू कर सकता है। 

  • इस परियोजना को वर्ष 2021 में जापानी कैबिनेट से मंज़ूरी मिली थी और इसे पूरा होने में तीन दशक लग सकते हैं।  

Japan

पृष्ठभूमि:

  • मार्च 2011 में 9 तीव्रता के भूकंप के बाद आई सुनामी से ओकुमा में फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र बाढ़ से प्रभावित हो गया जिसके कारण इसके डीज़ल जनरेटर्स को काफी नुकसान हुआ।
  • बिजली की अनुपलब्धता के कारण रिएक्टरों को शीतलक की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न हो गई; सुनामी ने बैकअप सिस्टम को भी अक्षम कर दिया।
  • इसके तुरंत बाद रिएक्टर की दबाव वाहिकाओं से रेडियोधर्मी पदार्थ का रिसाव शुरू हो गया तथा विस्फोट होने के परिणामस्वरूप हवा, पानी, मिट्टी और स्थानीय आबादी इसके संपर्क में आ गई।
  • प्रशांत क्षेत्र में मौजूद रेडियोधर्मी पदार्थ के फैलने के कारण इसने बिजली संयंत्रों को प्रभावित किया, साथ ही आसपास की भूमि निर्जन हो गई है। 
  • जापान सरकार संयंत्र से जिस पानी को प्रवाहित करना चाहती है, उसका उपयोग रिएक्टरों को ठंडा करने के साथ वर्षा जल और भूजल के लिये भी किया जाता था।
  • इसमें क्षतिग्रस्त रिएक्टरों से निकलने वाले रेडियोधर्मी समस्थानिक होते हैं, साथ ही प्रकृति में यह स्वयं रेडियोधर्मी होता है। जापान का कहना है कि वह इस जल को अगले 30 वर्षों तक प्रशांत महासागर में निष्काषित करता रहेगा।

जल निष्काषित करने के संदर्भ में चुनौतियाँ:  

  • ऐसी कोई ज्ञात सीमा नहीं है जिसके परे विकिरण को सुरक्षित माना जा सकता है, इसलिये जो रेडियोधर्मी पदार्थों के संपर्क में हैं उनको कैंसर और अन्य ज्ञात स्वास्थ्य प्रभावों का खतरा बढ़ जाएगा।
  • छोड़ा गया यह प्रदूषित जल मछलियों के लिये ज़हरीला हो सकता है और निर्वहन बिंदु के आसपास रहने वाले किसी के लिये भी यह हानिकारक है।
  • टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (TEPCO) ने ट्रिटियम को जल से अलग नहीं किया है क्योंकि ऐसा करना बहुत मुश्किल है।
    • ट्रिटियम "जीवित प्राणियों के शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित" और "रक्त के माध्यम से तेज़ी से शरीर में फैलने वाला" समस्थानिक है।
  • जल में अन्य रेडियोन्यूक्लाइड भी मौजूद होते हैं जिन्हें TEPCO की उपचार प्रक्रिया द्वारा पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है।
    • इनमें रूथेनियम और प्लूटोनियम के समस्थानिक (Isotope) शामिल हैं, जो समुद्री जीवों के शरीर एवं समुद्र तल पर अधिक समय तक उपस्थित रह सकते हैं।

जल को उपचारित करने के बजाय फ्लशिंग क्यों? 

  • TEPCO, जो फुकुशिमा फैसिलिटी का संचालन करता है, ने शुरू में अपशिष्ट जल को उपचारित करने की योजना बनाई थी, लेकिन जल की टंकियों के लिये पर्याप्त जगह न होने के कारण इसने जल को प्रवाहित करने का फैसला किया।
  • इसके अलावा ट्रिटियम के हाफ लाइफ (12-13 वर्ष) के कारण जापान जल को अधिक समय तक संग्रहीत नहीं कर सकता है।
    • हाफ लाइफ वह समय है जो किसी रेडियोधर्मी पदार्थ को रेडियोधर्मी क्षय के माध्यम से उसकी मात्रा को आधा करने में लगता है। 

आगे की राह

  • "नाभिकीय प्रदूषण" के अपने अनुभव के आधार पर प्रशांत द्वीप समूह फोरम के एक प्रतिनिधि, ओशिनिया राष्ट्रों के एक समूह जिसमें ऑस्ट्रेलिया शामिल है, ने इसे "बिल्कुल समझ से बाहर" के रूप में वर्णित किया है।
  • फ्लश करने से पहले प्रत्येक टैंक की सटीक संरचना को समझने और TEPCO की जल उपचार प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी हेतु अधिक अध्ययन किया जाना चाहिये।
  • इसके अलावा ट्रिटियम के 12-13 वर्ष के हाफ लाइफ के कारण इसके निर्वहन से पहले जल को लंबे समय तक संग्रहीत किया जा सकता है। इसके अलावा जल को अधिक समय तक संग्रहीत करने से जल में मौजूद अन्य रेडियोधर्मी समस्थानिकों की मात्रा कम हो जाएगी, जिससे इसकी रेडियोधर्मिता कम हो जाएगी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. नाभिकीय रिएक्टर में भारी जल का कार्य होता है:(2011) 

(a) न्यूट्रॉन की गति को धीमा करना।
(b) न्यूट्रॉन की गति बढ़ाना ।
(c) रिएक्टर को ठंडा करना ।
(d) परमाणु अभिक्रिया को रोकना।

उत्तर: (a)

  • भारी जल (D2O), जिसे ड्यूटेरियम ऑक्साइड भी कहा जाता है, ड्यूटेरियम (हाइड्रोजन समस्थानिक) से बना जल होता है, जिसका द्रव्यमान सामान्य जल (H2O) से दोगुना होता है।
  • भारी जल प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, हालाँकि यह सामान्य जल की तुलना में बहुत कम होता है।
  • यह आमतौर पर परमाणु रिएक्टरों में न्यूट्रॉन मॉडरेटर के रूप में प्रयोग किया जाता है, यानी न्यूट्रॉन की गति को धीमा करने के लिये।

अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।


प्रश्न. ऊर्जा की बढ़ती ज़रूरतों के परिप्रेक्ष्य में क्या भारत को अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार करना जारी रखना चाहिये? नाभिकीय ऊर्जा से जुड़े तथ्यों और भय की विवेचना कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2018)

स्रोत: द हिंदू