जलदूत एप | 28 Sep 2022

प्रिलिम्स के लिये:

जलदूत एप, भूजल की कमी, जल की कमी से संबंधित पहल।

मेन्स के लिये:

जलदूत एप, भूजल की कमी के मुद्दे और समाधान।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने भूजल स्तर का बेहतर तरीके से आकलन करने के लिये "जलदूत एप और जलदूत एप ई-ब्रोशर" लॉन्च किया है।

जलदूत एप:

  • परिचय:
    • जलदूत एप को ग्रामीण विकास मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
    • इस एप का उपयोग पूरे देश मे प्रत्येक गाँव में चयनित 2-3 कुओं के जल स्तर का आकलन करने के लिये किया जाएगा।
    • यह एप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में काम करेगा। इसलिये इंटरनेट कनेक्टिविटी के बिना भी जल स्तर का आकलन किया जा सकता है तथा आकलन किये गए डेटा को मोबाइल में संग्रहीत किया जाएगा एवं क्षेत्र में मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध होने पर डेटा केंद्रीय सर्वर के साथ सिंक्रनाइज़ हो जाएगा।
    • जलदूत एप द्वारा प्राप्त नियमित डेटा को राष्ट्रीय जल सूचना विज्ञान केंद्र (NWIC) के डेटाबेस के साथ एकीकृत किया जाएगा, जिसका उपयोग हितधारकों के लाभ के लिये विभिन्न उपयोगी रिपोर्टों के विश्लेषण एवं प्रदर्शन हेतु किया जा सकता है।
  • महत्त्व:
    • यह एप देश भर में जल स्तर की जानकारी प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा और परिणामी डेटा का उपयोग ग्राम पंचायत विकास योजना तथा महात्मा गांधी नरेगा योजनाओं के लिये किया जा सकता है।
    • एप को देश भर के गाँवों में चयनित कुओं के जल स्तर का आकलन करने के लिये लॉन्च किया गया है।
    • जलदूत एप ग्राम रोज़गार सहायक को वर्ष में दो बार प्री-मानसून और पोस्ट-मानसून के बाद कुएँ के जल स्तर को मापने की अनुमति देगा।
    • यह एप पंचायतों के लिये महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करनां आसान बनाएगा जिसे बाद में कार्यों की योजना के लिये बेहतर उपयोग किया जा सकता है।

भारत में भूजल की कमी की स्थिति:

  • भूजल की कमी:
    • केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) के अनुसार, भारत में कृषि भूमि की सिंचाई के लिये प्रत्येक वर्ष 230 बिलियन मीटर क्यूबिक भूजल निकाला जाता है, देश के कई हिस्सों में भूजल का तेज़ी से क्षरण हो रहा है।
    • भारत में कुल अनुमानित भूजल की कमी 122-199 बिलियन-मीटर क्यूब है।
    • निकाले गए भूजल का 89% सिंचाई क्षेत्र में उपयोग किया जाता है, जिससे यह क्षेत्र देश में उच्चतम श्रेणी का उपयोगकर्त्ता बन जाता है।
      • इसके बाद घरेलू आवश्यकता हेतु भूजल का उपयोग किया जाता है जो निकाले गए भूजल का 9% है। भूजल का औद्योगिक उपयोग 2% है। शहरी जल आवश्यकताओं का 50% और ग्रामीण घरेलू जल आवश्यकताओं का 85% भी भूजल द्वारा पूरा किया जाता है।
  • कारण:
    • हरित क्रांति:
      • हरित क्रांति ने सूखाग्रस्त / पानी की कमी वाले क्षेत्रों में जल-गहन फसलों को उगाने में सक्षम बनाया, जिससे भूजल की अधिक निकासी हुई।
      • इसकी पुनःपूर्ति की प्रतीक्षा किये बिना ज़मीन से पानी की बार-बार निकासी करने से इसमें त्वरित कमी होती है।
      • इसके अलावा बिजली पर सब्सिडी और पानी की अधिकता वाली फसलों के लिये उच्च MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) प्रदान करना।
    • उद्योगों की आवश्यकता:
      • लैंडफिल, सेप्टिक टैंक, रिसने वाले भूमिगत गैस टैंक और उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अति प्रयोग से जल प्रदूषण होता है तथा भूजल संसाधनों की क्षति होने के साथ इसमे कमी होती है।
    • अपर्याप्त विनियमन:
      • भूजल का अपर्याप्त विनियमन भूजल संसाधनों की समाप्ति को प्रोत्साहित करता है।
    • संघीय समस्या:
      • जल राज्य का विषय है, जल संरक्षण और जल संचयन सहित जल प्रबंधन पर पहल एवं देश में नागरिकों को पर्याप्त पीने योग्य पानी उपलब्ध कराना मुख्य रूप से राज्यों क ज़िम्मेदारी है।

आगे की राह

  • भूजल का कृत्रिम पुनर्भरण: यह मिट्टी के माध्यम से रिसाव को बढ़ाने और जलभृत में प्रवेश करने या कुओं द्वारा सीधे जलभृत में पानी भरने की प्रक्रिया है।
  • भूजल प्रबंधन संयंत्र: स्थानीय स्तर पर भूजल प्रबंधन संयंत्र स्थापित करने से लोगों को अपने क्षेत्र में भूजल की उपलब्धता जानने में मदद मिलेगी, जिससे वे इसका बुद्धिमानी से उपयोग कर सकेंगे।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):  

प्रिलिम्स के लिये:

 प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. भारत के 36% ज़िलों को केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) द्वारा "अतिदोहित" या "गंभीर" के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  2. CGWA का गठन पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत किया गया था।
  3. भारत में भूजल सिंचाई के तहत दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्र है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) केवल 1 और 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • भूजल स्तर के आधार पर, देश भर के क्षेत्रों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है: अति-दोहन वाले क्षेत्र, गंभीर और कम गंभीर। अति- दोहन वाले क्षेत्रों में भूजल के पुनर्भरण दर की तुलना में अधिक दर (100 प्रतिशत से अधिक) से भूजल का दोहन किया जा रहा है। गंभीर स्थिति में भूजल दोहन, पुनर्भरण का 90-100 प्रतिशत है और कम गंभीर स्थिति में भूजल दोहन पुनर्भरण के सापेक्ष 70-90 प्रतिशत है।
  • भारत के गतिशील भूजल संसाधनों पर राष्ट्रीय संकलन रिपोर्ट 2017 के अनुसार देश में कुल 6881 मूल्यांकन इकाइयों (ब्लॉकों/मंडलों/ताल्लुकों) में से विभिन्न राज्यों में 1186 इकाइयों (17%) को अतिशोषित, 313 इकाइयों ( 5%) को गंभीर और 972 इकाइयों (14%) को कम गंभीर के रूप में वर्गीकृत किया गया है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • नोट: भारत के गतिशील भूजल संसाधनों पर राष्ट्रीय संकलन, 2020 के अनुसार; देश में कुल 6965 मूल्यांकन इकाइयों (ब्लॉक/मंडल/ताल्लुकों) में से 16% को 'अति-शोषित, 4% को गंभीर, 15% को कम गंभीर और 64%' को 'सुरक्षित' के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इनके अलावा 97 (1%) मूल्यांकन इकाइयाँ ऐसी हैं, जिन्हें खारे (Saline) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • केंद्रीय भू-जल प्राधिकरण (CGWA) का गठन पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 3 (3) के तहत भूजल संसाधनों के विकास और प्रबंधन को विनियमित एवं नियंत्रित करने के लिये किया गया था। अत: कथन 2 सही है।
  • संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत (39 मिलियन हेक्टेयर), चीन (19 मिलियन हेक्टेयर) और संयुक्त राज्य अमेरिका (17 मिलियन हेक्टेयर) भूजल से सिंचाई करने वाले सबसे बड़े देश हैं। अत: कथन 3 सही है।

अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।


मेन्स

प्रश्न. “भारत में अवक्षयी (depleting) भूजल संसाधनों का आदर्श समाधान जल संचयन प्रणाली है"। शहरी क्षेत्रों में  इसको किस प्रकार प्रभावी बनाया जा सकता है?  (2018)

प्रश्न. भारत अलवणजल (फ्रेश वाटर) संसाधनों से सुसंपन्न है। समालोचनापूर्वक परीक्षण कीजिये कि क्या कारण है कि भारत इसके बावजूद जलाभाव से ग्रसित है। (2015)

स्रोत: पी.आई.बी.