ओडिशा सरकार बनाम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (It’s Odisha govt vs ASI) | 15 Nov 2018

संदर्भ

ओडिशा स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर को यूनेस्को ने वर्ष 1984 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इस मंदिर का संरक्षक है। लेकिन हाल ही में एक क्षेत्रीय समाचार पत्र ने अपनी रिपोर्ट में मंदिर की मरम्मत में अनियमितता की जानकारी दी। मंदिर की मरम्मत में अनियमितता की बात सामने आते ही ओडिशा सरकार ने इसकी जाँच के लिये समिति बनाने की मांग की है।

ओडिशा सरकार का तर्क

  • मंदिर की नक्काशी ओडिशा के गर्व का प्रतीक है जिसमें समकालीन जीवन और दैनिक गतिविधियों को परिष्कृत और प्रतीकात्मक चित्रण के माध्यम से दर्शाया गया है। ऐसे में क्षेत्रीय समाचार पत्र की रिपोर्ट में मौजूदा कोणार्क सूर्य मंदिर के कलात्मक नक्काशी वाले 40% पत्थरों को हटाकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा उनके स्थान पर सादे पत्थर लगाए जाने की बात सामने आना गंभीर चिंता का विषय है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का तर्क

  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने मंदिर के कलात्मक पत्थरों के प्रतिस्थापन के आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा है कि कोणार्क सूर्य मंदिर से एक भी नक्काशीयुक्त पत्थर को प्रतिस्थापित नहीं किया गया है और न ही विश्व धरोहर स्थलों की मरम्मत से संबंधित दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया गया है।

कोणार्क सूर्य मंदिर

  • बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर भगवान सूर्य के रथ का एक विशाल प्रतिरूप है। यह मंदिर ओडिशा के पुरी ज़िले में स्थित है।
  • रथ के 24 पहियों को प्रतीकात्मक डिज़ाइनों से सजाया गया है और सात घोड़ों द्वारा इस रथ को खींचते हुए दर्शाया गया है।
  • यह भारत के चुनिंदा सूर्य मंदिरों में से एक है।
  • भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी तट पर स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर, मंदिर वास्तुकला और कला के उत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है।