अंतरिक्षयान निर्माण में अब घरेलू उद्योग | 30 Aug 2017

चर्चा में क्यों ?  

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने प्रतिवर्ष लगभग 18 अंतरिक्षयानों के निर्माण के लिये घरेलू उद्योगों के लिये अपने द्वार खोल दिये हैं। बेंगलुरु स्थित इसरो सैटेलाइट सेंटर ने इस कार्य के अनुबंध के लिये एकल अथवा संयुक्त घरेलू संस्थाओं से आवेदन आमंत्रित किये हैं।  

प्रमुख बिंदु

  • इसरो इस कार्य के लिये तकनीकी रूप से सक्षम पाँच या छह दावेदारों का चयन करेगी और उनके साथ तीन वर्ष का अनुबंध करेगी।  
  • वर्तमान में इसरो चार श्रेणियों के अंतरिक्षयान बनाती है। ये श्रेणियाँ हैं - संचार, रिमोट सेंसिंग, नेविगेशन और वैज्ञानिक मिशन। इनका वज़न 1,000 किलोग्राम से 4,000 किलोग्राम होता है। 
  • इस तरह के प्रथम अंतरिक्षयान के खेप को अनुबंध होने के छह माह के अंदर प्राप्त होने की उम्मीद है। इनकी लागत भी इसरो के द्वारा निर्मित यानों के बराबर होगी।
  • वर्तमान में 2000 किलोग्राम के एक अंतरिक्षयान की लागत 200 करोड़ रुपए पड़ती है।

इसरो को लाभ 

  • इसरो के पास वर्तमान में 900 इंजीनियर्स हैं, जो अंतरिक्षयान निर्माण से संबंधित विभिन्न कौशल में निपुण हैं। परन्तु ये इसरो के लिये और अधिक उपग्रह बनाने और भविष्य में शोध और अनुसंधान कार्यों के लिये पर्याप्त नहीं हैं।  
  • अतः इन कार्यों को आउट-सोर्स करने से इसरो अपने कार्यबल को शोध और अनुसंधान कार्यों में लगा सकेगा। 

कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य 

  • सैटेलाइट इंडस्ट्री एसोसिएशन की 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग 339 अरब डॉलर का है, जिसमें उपग्रह निर्माण का हिस्सा 8 फीसदी यानी $ 13.9 अरब है।  
  • इस क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप का दबदबा है। ये अपनी सरकारों और वाणिज्यिक उपयोग के लिये उपग्रहों का निर्माण एवं आपूर्ति करते हैं।