टिकाऊ जैव ईंधनों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, 2018 | 26 Feb 2018

चर्चा में क्यों?

मिशन इनोवेशन (Mission Innovation – MI) दुनिया भर के 22 देशों और यूरोपीय देशों द्वारा वैश्विक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा नवाचार को गति देने के लिये शुरू की गई एक वैश्विक पहल है। भागीदार देशों द्वारा इस पहल के तहत 5 वर्षों में स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान एवं विकास पर निवेश को दोगुना करने के लिये प्रतिबद्धता ज़ाहिर की गई है।

मिशन इनोवेशन

  • यह नवाचार की गति में तेज़ी लाने और स्‍वच्‍छ ऊर्जा को व्‍यापक रूप से किफायती एवं विश्‍व भर में सुगम्‍य बनाने के लिये एक उल्‍लेखनीय पंचवर्षीय प्रतिबद्धता है। 
  • मिशन इनोवेशन में अब 22 अर्थव्‍यवस्‍थाओं के साथ-साथ यूरोपीय आयोग भी शामिल है जो यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्‍व करता है।
  • यह स्‍वच्‍छ ऊर्जा से जुड़े अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) में कुल वैश्विक सार्वजनिक वित्त पोषण के 80 प्रतिशत से भी ज़्यादा का योगदान देता है।
  • यह नवाचार की गति बढ़ाने और स्‍वच्‍छ ऊर्जा क्रांति के शुभारंभ के ज़रिये बदलाव लाने के लिये 22 सदस्‍य देशों एवं यूरोपीय संघ की ओर से समेकित प्रयास है, ताकि समय पर आर्थिक, ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ अन्‍य लक्ष्य हासिल किये जा सकें।
  • भारत संचालन समिति का संस्‍थापक सदस्‍य है। इसके साथ ही भारत इन दो उप-समूहों का भी एक सदस्‍य है- संयुक्‍त अनुसंधान एवं क्षमता निर्माण और निजी क्षेत्र की भागीदारी।

मिशन इनोवेशन की 7 चुनौतियों में से एक

  • टिकाऊ जैव ईंधन मिशन इनोवेशन की 7 प्रमुख चुनौतियों में से एक है।
  • इसके संबंध में कार्यवाई करने के लिये भारत द्वारा ब्राज़ील, कनाडा और चीन जैसे बहुत से देशों के साथ मिलकर इसका सह-नेतृत्व किया जा रहा है।
  • सरकारों, शोधकर्त्ताओं, निवेशकों और उद्योगों के लिये टिकाऊ जैव ईंधन का विकास एक अहम चुनौती के साथ ही, मिलकर काम करने का अवसर भी है।
  • टिकाऊ जैव ईंधन के क्षेत्र में तेज़ अनुसंधान एवं विकास और प्रदर्शन में सुधार देखने को मिला है। हालाँकि, अधिकांश जैविक ईंधनों के सामने शुरुआती व्यावसायिक विकास की चुनौती बरकरार है।

उद्देश्य

  • इसका उद्देश्य सरकार के नीति निर्धारकों, उद्योगों, निवेशकों और शोधकर्त्ताओं को अनुभवों एवं उन्नत जैव ईंधन के विकास तथा आकलन से संबंधित चुनौतियों के आदान प्रदान के लिये एक समान मंच उपलब्ध कराना है।
  • इसके साथ ही, सम्मेलन का एक अन्य उद्देश्य टिकाऊ ईंधन के व्यापक स्तर पर उत्पादन को गति देने में निजी क्षेत्र के सामने मौजूद चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना है।

दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा मिशन इनोवेशन और बायोफ्यूचर प्लेटफॉर्म की तरफ से स्टेन ऑडिटोरियम, इंडिया हैबीटेट सेंटर, नई दिल्ली में संयुक्त रूप से टिकाऊ जैव ईंधन पर एक दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
  • इस कार्यक्रम से जैव ईंधन क्षेत्र के विशेषज्ञ एक ही जगह पर एकजुट होंगे और जानकारियाँ तथा बेहतर प्रक्रियाओं को साझा करेंगे।
  • साथ ही, इस दिशा में आगे बढ़ने के लिये उठाए जाने वाले कदमों पर सहमति कायम की जाएगी।
  • इस कार्यक्रम में विभिन्न देशों के सरकारी अधिकारी, तकनीकी विशेषज्ञ, शिक्षाविद्, शोधकर्त्ता, उद्योगों के प्रतिनिधि और निवेशक भाग लेंगे।
  • इस कार्यक्रम में 18 देशों के प्रतिनिधियों के अलावा 300 से ज़्यादा भागीदार भाग लेंगे।
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत भागीदार देशों द्वारा जैव अर्थव्यवस्था के विकास पर एक स्पष्ट सहमति विकसित करने और उन्नत जैव ईंधनों के व्यावसायीकरण के विस्तार की दिशा में उद्योग-निवेशकों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में नीति निर्धारकों की जागरूकता बढ़ाने जैसे मुद्दों पर विशेष बल दिया जा रहा है।
  • इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम से व्यावसायीकरण को गति देने और उन्नत जैव ईंधनों के क्षेत्र में शोध एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी।
  • इस सम्मेलन के दौरान ‘न्यू डेल्ही डेक्लेरेशन ऑन सस्टेनेबल बायोफ्यूल्स’ (टिकाऊ जैव ईंधनों पर नई दिल्ली घोषणा पत्र) का अनुमोदन किया जाएगा, जिसे मिशन इनोवेशन के सदस्य देशों और बायोफ्यूचर प्लेटफॉर्म ग्रुप के साथ परामर्श से तैयार किया गया है।

जैव ईंधन क्या है?

  • फसलों, कृषि अवशेषों, पौधों, लकड़ी, गोबर, कोयला, मानव-मल और सूखे गोबर आदि जैविक पदार्थों (बायोमास) में निहित ऊर्जा को जैव ऊर्जा कहा जाता है। इनका प्रयोग करके ऊष्मा, विद्युत या गतिज ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। 
  • जैव ईंधन का प्रयोग काफी सरल होता है। यह प्राकृतिक तौर से नष्ट होने वाला तथा सल्फर एवं गंध से पूर्णतया मुक्त है।
  • जैव ईंधन, कार्बन डाईऑक्साइड का अवशोषण कर हमारे परिवेश को स्वच्छ बनाए रखने में सहायक होते हैं। 

जैव ईंधन कार्यक्रम

  • देश की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने तथा ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 2009 में जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति की घोषणा की गई।

राष्‍ट्रीय जैव ईंधन नीति की प्रमुख विशेषताएँ

  • वर्ष 2017 से जैव ईंधन के लिये 20 प्रतिशत मिश्रण हेतु जैव ईथेनॉल और जैव डीज़ल प्रस्‍तावित किया गया है।
  • व्‍यर्थ/डिग्रेडिड/सीमांत भूमि में होने वाले गैर- खाद्य तेल बीजों से जैव डीज़ल का उत्‍पादन किया जाएगा।
  • उपजाऊ भूमि में पौधरोपण को प्रोत्‍साहन देने की बजाय समुदायिक/सरकारी/जंगली बंजर भूमि पर जैव ईंधन पौधरोपण को अधिक-से-अधिक बढ़ावा दिया जाएगा।
  • इसके उत्‍पादकों को उचित मूल्‍य प्रदान करने के लिये जैव ईंधन तेल बीजों के मूल्‍य को समय-समय पर बदलने के प्रावधान के साथ-साथ न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) घोषित किया जाएगा।
  • तेल विपणन कंपनियों द्वारा जैव-ईथेनॉल की खरीद हेतु न्‍यूनतम खरीद मूल्‍य (एमपीपी) उत्‍पादन की वास्‍तविक लागत तथा जैव-ईथेनॉल के आयातित मूल्‍य पर आधारित होगा।
  • बायोडीज़ल के मामले में घोषित एमपीपी को वर्तमान रिटेल डीज़ल मूल्‍य के अनुरूप रखा जाएगा।
  • जैव ईंधन यानी बायोडीज़ल और जैव ईथेनॉल को 'घोषित उत्‍पादों' के तहत शामिल किया जाएगा। 
  • जैव डीज़ल पर किसी प्रकार का कोई कर अथवा शुल्‍क नहीं लगाया जाएगा।

इसका प्रबंधन किस प्रकार किया जाएगा? 

  • राष्‍ट्रीय जैव ईंधन समन्‍वय समिति की अध्‍यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाएगी।
  • जैव ईंधन संचालन समिति की अध्‍यक्षता कैबिनेट सचिव द्वारा की जाएगी।
  • जैव ईंधन के क्षेत्र में शोध के लिये जैव प्रौद्योगिकी विभाग, कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय और नई एंव नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के नेतृत्‍व में संचालन समिति के अधीन एक उप समिति का गठन किया जाएगा।
  • शोध, विकास और प्रदर्शन पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा जिसके केंद्र में रोपण, प्रसंस्‍करण एवं उत्‍पादन प्रौद्योगिकी समेत दूसरी पीढ़ी के सेलुलोज़ से बने जैव ईंधनों को भी शामिल किया जाएगा।