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भूस्खलन जोखिम कटौती तथा स्थिरता पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन- 2019 | 29 Nov 2019 | अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स के लिये:

भूस्खलन जोखिम कटौती तथा स्थिरता पर पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के तथ्यात्मक पक्ष

मेन्स के लिये:

भारत में भूस्खलन की स्थिति

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2019 को राजधानी दिल्ली में भूस्खलन जोखिम कटौती तथा स्थिरता पर पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (International Conference on Landslides Risk Reduction and Resilience, 2019) का आयोजन किया गया।

प्रमुख बिंदु

भूस्खलन क्या है?

भारत में भूस्खलन की स्थिति

अनेक अनुभवों, इसकी बारंबारता और भूस्खलन के प्रभावी कारकों, जैसे - भूविज्ञान, भूआकृतिक कारक, ढ़ाल, भूमि उपयोग, वनस्पति आवरण और मानव क्रियाकलापों के आधार पर भारत को विभिन्न भूस्खलन क्षेत्रों में बाँटा गया है।

भूस्खलनों का परिणाम

निवारण

भारत की पहल

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005

सामान्यतः भूस्खलन भूकंप, ज्वालामुखी फटने, सुनामी और चक्रवात की तुलना में बड़ी घटना नहीं है, परंतु इसका प्राकृतिक पर्यावरण और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अन्य आपदाओं के विपरीत (जो आकस्मिक, अननुमेय तथा बृहत स्तर पर दीर्घ एवं प्रादेशिक कारकों से नियंत्रित हैं), भूस्खलन की स्थिति मुख्य रूप से स्थानीय कारणों से उत्पन्न होती हैं। इसलिये भूस्खलन के बारे में आँकड़े एकत्र करना और इसकी संभावना का अनुमान लगाना न सिर्फ मुश्किल अपितु काफी कठिन है। स्पष्ट है कि इस प्रकार की समस्याओं के समाधान के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तथा राज्य एवं क्षेत्रीय स्तरों पर लोगों को शामिल करके व्यापक सहयोगी कार्यक्रम बनाए जाने चाहिये। साथ ही वैश्विक स्तर पर भी इस प्रकार के प्रयासों से जागरूकता एवं प्रोत्साहन प्रदान किया जाना चाहिये।

स्रोत: pib