अंतर्राष्ट्रीय भारती महोत्सव 2020 | 12 Dec 2020

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के वनाविल कल्चरल सेंटर द्वारा वर्चुअल माध्यम से आयोजित अंतर्राष्ट्रीय भारती महोत्सव 2020 को संबोधित किया।

  • यह कार्यक्रम तमिल भाषा के कवि और लेखक महाकवि सुब्रह्मण्य भारती की 138वीं जयंती (11 दिसंबर 2020) के उपलक्ष में आयोजित किया गया है।
  • इस कार्यक्रम के दौरान विद्वान सीनी विश्वनाथन को वर्ष 2020 के भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

प्रमुख बिंदु:

Subramanya-Bharati

  • सुब्रह्मण्य भारती
    • जन्म: सुब्रह्मण्य भारती का जन्म 11 दिसंबर, 1882 को तमिलनाडु के तिरूनेलवेल्ली ज़िले में एट्टियापुरम गाँव (तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी) में हुआ था।
    • संक्षिप्त परिचय: वे राष्ट्रवादी काल (1885-1920) के एक उत्कृष्ट भारतीय लेखक थे, जिन्हें आधुनिक तमिल शैली का जनक भी माना जाता है। इन्होंने तमिल साहित्य में एक नए युग का सूत्रपात करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
      • सुब्रह्मण्य भारती को ‘महाकवि भारतियार’ के नाम से भी जाना जाता है।
      • सामाजिक न्याय के प्रति उनकी दृढ़ भावना ने उन्हें स्वाधीनता के लिये लड़ने हेतु प्रेरित किया।
    • राष्ट्रवादी काल के दौरान भागीदारी
      • वर्ष 1904 के बाद वे तमिल भाषा के दैनिक समाचार पत्र ‘स्वदेशमित्रन’ में बतौर पत्रकार शामिल हो गए।
        • इस दौरान उन्हें तत्कालीन भारत की दयनीय स्थिति और स्वाधीनता के लिये किये जा रहे प्रयासों के बारे में जानने का अवसर प्राप्त हुआ, जिसके बाद वे भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस के अतिवादी हिस्से यानी गरमदल में शामिल हो गए।
      • सुब्रह्मण्य भारती ने स्वाधीनता आंदोलन में अपने क्रांतिकारी आगमन की घोषणा करते हुए मई 1906 में ‘इंडिया’ नाम से एक तमिल साप्ताहिक अखबार का प्रकाशन आरंभ किया।
        • ज्ञात हो कि यह राजनीतिक कार्टून प्रकाशित करने वाला तमिलनाडु का पहला अखबार था।
        • इसके अलावा उन्होंने ‘विजया’ जैसी कुछ अन्य पत्रिकाओं का प्रकाशन और संपादन भी किया।
      • उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस के वार्षिक अधिवेशनों में हिस्सा लिया और इस दौरान बिपिन चंद्र पाल, बाल गंगाधर तिलक और सुब्रमण्य अय्यर जैसे कई अन्य अतिवादी नेताओं के साथ राष्ट्रीय मुद्दों पर वार्ता की।
        • भारती ने जब भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस के बनारस अधिवेशन (1905) और सूरत अधिवेशन (1907) में हिस्सा लिया तो काॅन्ग्रेस के कई बड़े और प्रमुख नेता उनसे काफी प्रभावित हुए।
      • वर्ष 1908 में इनकी एक क्रांतिकारी रचना ‘स्वदेश गीतांगल’ प्रकाशित हुई।
      • वर्ष 1917 की ‘रूसी क्रांति’ को लेकर लिखी गई सुब्रह्मण्य भारती की कविता ‘नया रूस’ (हिंदी अनुवादित) उनके राजनीतिक दर्शन का एक प्रमुख उदाहरण प्रस्तुत करती है।
      • उनको अपने क्रांतिकारी स्वभाव के कारण पांडिचेरी (वर्तमान पुद्दुचेरी) जाना पड़ा, जहाँ वे वर्ष 1910 से वर्ष 1919 तक निर्वासन में रहे।
        • इस समय तक भारती की राष्ट्रवादी कविताएँ और निबंध काफी लोकप्रिय हो चुके थे।
  • महत्त्वपूर्ण कृतियाँ: सुब्रह्मण्य भारती की प्रसिद्ध रचनाओं में शामिल हैं- कन्नम पट्टू (वर्ष 1917- कृष्ण गीत), पांचाली सबतम (वर्ष 1912- पांचाली का स्वर), कुयिल पट्टु (वर्ष 1912- कोयला का गीत) और पुडिया रूस (नया रूस) आदि शामिल हैं।
  • मृत्यु: 11 सितंबर, 1921

मौजूदा समय में महत्त्व

  • प्रगति को लेकर सुब्रह्मण्य भारती की परिभाषा में महिलाओं को केंद्रीय भूमिका में रखा गया है। उन्होंने लिखा है कि ‘महिलाओं को अपना सर उठाकर, लोगों से नज़र मिलाते हुए चलना चाहिये।’ इससे महिला अधिकारों और लैंगिक समानता के प्रति उनके दृष्टिकोण का पता चलता है।
    • सरकार इस दृष्टिकोण से प्रेरित होकर महिला सशक्तीकरण की दिशा में कई महत्त्वपूर्ण कदम उठा रही है।
  • वे प्राचीन और आधुनिक मान्यताओं के संतुलित मिश्रण पर विश्वास करते थे, जो कि समाज की प्रगति के लिये वैज्ञानिक दृष्टिकोण की आवश्यकता को इंगित करता है।

भारती पुरस्कार

  • भारती पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1994 में वनाविल कल्चरल सेंटर द्वारा की गई थी।
  • प्रत्येक वर्ष यह पुरस्कार एक ऐसे व्यक्ति को प्रदान किया जाता है, जिसने सामाजिक प्रासंगिकता के क्षेत्र में प्रशंसनीय कार्य करते हुए सुब्रह्मण्य भारती के सपनों को पूरा करने की दिशा में उल्लेखनीय योगदान दिया हो।

स्रोत: पी.आई.बी.