INS करंज | 12 Mar 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय नौसेना की तीसरी स्टील्थ स्कॉर्पीन क्लास (प्रोजेक्ट -75) पनडुब्बी INS करंज को नौसेना डॉकयार्ड मुंबई में कमीशन किया गया है।

INS-Karanj

प्रमुख बिंदु:

  • पूर्व आईएनएस करंज (एक रूसी मूल की पनडुब्बी) को वर्ष 1969 में रीगा में कमीशन किया गया था। इसने वर्ष 2003 (34 वर्ष) तक राष्ट्र की सेवा की।
  • नवीन INS करंज पश्चिमी नौसेना कमान के पनडुब्बी बेड़े का हिस्सा होगी।
  • माना जाता है कि इसका नाम (करंज) करंजा द्वीप (जिसे उरण द्वीप भी कहा जाता है) से लिया गया है, जो कि रायगढ़ ज़िले का एक शहर है तथा मुंबई हार्बर के दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
    • भारतीय नौसेना का एक बेस नवी मुंबई के पास उरण में है।

प्रोजेक्ट 75:

  • यह भारतीय नौसेना का एक कार्यक्रम है जिसमें छह स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।
  • निर्माण के विभिन्न चरणों में रक्षा उत्पादन विभाग (रक्षा मंत्रालय) और भारतीय नौसेना द्वारा समर्थन दिया जाता है।
  • मझगाँव डॉकयार्ड लिमिटेड (MDL) अक्तूबर 2005 में हस्ताक्षरित एक 3.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सौदे के तहत फ्राँस के नेवल ग्रुप से प्रौद्योगिकी सहायता के साथ छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण कर रही है।
    • MDL भारत में अग्रणी जहाज़ निर्माण यार्ड और एकमात्र पनडुब्बी निर्माता है।

प्रोजेक्ट-75 की अन्य पनडुब्बियाँ:

  • दो पनडुब्बियों कलवरी और खांदेरी को भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया है।
  • चौथी स्कॉर्पीन, वेला ने अपने समुद्री परीक्षणों की शुरुआत की है।
  • पाँचवीं स्कॉर्पीन वागीर को नवंबर 2020 में लॉन्च किया गया था।
  • छठी और आखिरी पनडुब्बी, वाग्शीर जल्द ही तैयार हो जाएगी।

स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन:

  • प्रोजेक्ट-75 स्कॉर्पीन क्लास की पनडुब्बियाँ डीज़ल-इलेक्ट्रिक प्रणोदन प्रणाली द्वारा संचालित हैं।
  • स्कॉर्पीन सबसे परिष्कृत पनडुब्बियों में से एक है, जो एंटी-सरफेस शिप वारफेयर, एंटी-सबमरीन वारफेयर, खुफिया जानकारी एकत्र करने, बारूदी सुरंग बिछाने और क्षेत्र की निगरानी सहित विविध मिशन संचलित करने में सक्षम है।
  • स्कॉर्पीन पारंपरिक रूप से संचालित पनडुब्बी (डीजल-इलेक्ट्रिक) है, जिसका वज़न 1,500 टन है और यह 300 मीटर की गहराई तक जा सकती है।
  • जुलाई 2000 में रूस से खरीदे गए INS सिंधुशास्त्र के बाद से लगभग दो दशकों में स्कॉर्पीन श्रेणी नौसेना की पहली आधुनिक पारंपरिक पनडुब्बी शृंखला है।
  • नौसेना अपनी क्षमता बढ़ाने के लिये सभी स्कॉर्पीन पनडुब्बियों पर ‘एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन’ (AIP) मॉड्यूल स्थापित करना चाह रही है।

आगे  की राह:

  • INS करंज के कमीशंड होने के साथ ही भारत ने एक ‘सबमरीन बिल्डिंग नेशन’ के रूप में अपनी स्थिति को और मज़बूत किया है। MDL की युद्धपोत और पनडुब्बी बिल्डर्स के रूप में अपनी प्रतिष्ठा है। यह पूरी तरह से ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के प्रति सरकार की मौजूदा गति के साथ तालमेल है।

स्रोत- पीआईबी