असमान खाद्य प्रणाली | 05 Aug 2021

प्रिलिम्स के लिये:

सार्वजनिक वितरण प्रणाली, वन नेशन वन कार्ड, राष्ट्रीय पोषण मिशन

मेन्स के लिये:

भारत में खाद्य सुरक्षा से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

खाद्य प्रणाली पर संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में खाद्य प्रणालियाँ शक्ति असंतुलन और असमानता से अत्यधिक ग्रसित हैं तथा अधिकांश महिलाओं के लिये अनुकूल नहीं हैं।

  • जलवायु परिवर्तन, कोविड-19, भेदभाव, कम भूमि अधिकार, प्रवास आदि जैसे कारकों से महिलाएँ असमान रूप से प्रभावित हुई हैं।
  • यह रिपोर्ट सितंबर 2021 में फूड सिस्टम्स समिट से पहले आई है।

प्रमुख बिंदु:

खाद्य प्रणाली:

  • खाद्य प्रणाली उत्पादन, प्रसंस्करण, हैंडलिंग, तैयारी, भंडारण, वितरण, विपणन, पहुँच, खरीद, खपत, खाद्य हानि और अपशिष्ट के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय परिणामों सहित इन गतिविधियों के आउटपुट से जुड़ी गतिविधियों का एक जटिल जाल है।

रिपोर्ट से प्राप्त निष्कर्ष:

  • जलवायु परिवर्तन:
    • महिला किसान जलवायु परिवर्तन और भूमि क्षरण से अधिक प्रभावित हैं।
    • पुरुषों की तुलना में महिलाओं में जलवायु और कृषि संबंधी जानकारी प्राप्त करने की संभावना कम होती है, जबकि महिलाएँ, पुरुषों की तुलना में कृषि उत्पादकता, पशुधन समस्याओं तथा जल की उपलब्धता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की पहचान करने में अधिक सक्षम हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे जलवायु संबंधी चिंताओं के लिये योजना बनाने की सहमति प्रदान करती है।
  • कुपोषण:
    • इन्हें मोटापे के उच्च स्तर का सामना पड़ता है और पुराने रोग के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
    • भूख और कुपोषण को मिटाने में आदिवासी महिलाओं की अहम भूमिका होती है। लेकिन अधिकारों को मान्यता और प्रयोग संबंधी सीमाओं ने भोजन की समान प्रणालियों तक पहुँच में बाधा उत्पन्न की है।
  • प्रवास:
    • शहरी ट्रांजिशन के दौरान युवाओं के प्रवासन ने लिंग आधारित आर्थिक भूमिकाओं को प्रभावित किया है।
    • इस तरह के प्रवासन ने खाद्य उत्पादन और खाद्य खपत के बीच बढ़ते अंतर को जन्म दिया है।
    • इसके बाद जीवनशैली में बदलाव आ सकता है, जिसमें आहार संबंधी आदतें भी शामिल हैं।
  • कोविड-19:
    • वर्ष 2020 की संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने संकेत दिया था कि कैसे महामारी महिलाओं की आर्थिक और आजीविका गतिविधियों में बाधा उत्पन्न कर सकती है, गरीबी दर और खाद्य असुरक्षा को बढ़ा सकती है।
  • खाद्य असुरक्षा
    • 821 मिलियन (वर्ष 2017 तक) की खाद्य असुरक्षित आबादी में ग्रामीण महिलाएँ सबसे बुरी तरह प्रभावित थीं।
    • वर्ष 2019 तक 31 अफ्रीकी देश बाहरी खाद्य सहायता पर निर्भर थे।
  • भेदभाव:
    • विकासशील देशों में कृषि कार्यबल की लगभग आधी संख्या ग्रामीण महिलाओं पर  निर्भर है जिन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता है इसका कारण उनके पास बहुत कम भूमि अधिकार, स्वामित्व प्राप्त करने में व्याप्त चुनौतियाँ, ऋण तक जटिल पहुँच तथा अवैतनिक कार्य में संलग्न होना है।
    • इनसे संबंधित निकायों की यह कमी उनके आहार पैटर्न में परिलक्षित होती है क्योंकि वे कम, अंत में और कम गुणवत्ता वाला भोजन करती हैं। वहीं संसाधनों को नियंत्रित करने वाली महिला किसान आमतौर पर बेहतर गुणवत्ता वाले आहार लेती हैं।

सुझाव:

  • महिला स्व-सहायता समूहों की आवश्यकता है:
    • उप-सहारा अफ्रीका के ग्रामीण क्षेत्रों में दिमित्रा क्लब (Dimitra Clubs) एक दशक से भी अधिक समय से महिला नेतृत्व के संचालक रहे हैं। इन समूहों में महिलाएँ एवं पुरुष शामिल हैं जो परिवारों तथा समुदायों में लैंगिक असमानताओं पर प्रकाश डालते हैं।
    • संयुक्त राष्ट्र ने संस्थागत अवसंरचना को मज़बूत करने तथा खाद्य प्रणालियों से संबंधित निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को और अधिक समावेशी बनाने के लिये राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर ऐसी व्यापक स्वतंत्र, सामाजिक प्रणालियों का आह्वान किया है।
  • मौलिक सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करना:
    • इसने प्रणालियों से ऐसी नीतियों को अपनाने का आग्रह किया जो मूलभूत सेवाओं तक पहुँच में बाधाओं को दूर करती हैं, उदाहरण के लिये भोजन, आश्रय  तथा स्वास्थ्य का अधिकार सुनिश्चित करती हैं।
    • रिपोर्ट ने जर्मन दोहरी प्रशिक्षण प्रणाली का उदाहरण दिया, एक संस्थागत बुनियादी ढाँचा जो नौकरियों के साथ-साथ बेहतर आजीविका निर्माण करता है। यह इच्छुक किसानों के लिये वैज्ञानिक प्रशिक्षण के साथ-साथ विशिष्ट कौशल पर अल्पकालिक पाठ्यक्रम प्रदान कर स्कूल-आधारित शिक्षा को कार्य-आधारित अभ्यास के साथ एकीकृत करता है।
  • सरकारों और व्यवसायों को जवाबदेह बनाना:
    • संयुक्त राष्ट्र ने विशेष रूप से कहा कि खाद्य प्रणाली श्रमिकों तथा उपभोक्ताओं के लिये असमानताओं को सक्षम और बढ़ाने वाली असमान प्रणालियों एवं संरचनाओं को समाप्त किया जाना चाहिये, साथ ही समान आजीविका सुनिश्चित करने के लिये सरकारों, व्यवसायों और संगठनों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिये।

समान खाद्य प्रणाली के लिये भारत की पहल

  • वर्ग: छोटे और सीमांत किसान FPO (किसान उत्पादक संगठन), सहकारिता, अधिकांश विकास कार्यक्रमों में काम करने हेतु क्लस्टर मोड।
  • वंचित वर्ग (कृषि श्रमिक और आदिवासी आबादी): कार्यक्रमों में बेहतर समावेश के लिये समर्पित बजट आवंटन।
  • जेंडर बजटिंग, अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु प्रोत्साहन, महिला सशक्तीकरण परियोजना (M/oRD की महिला सशक्तीकरण योजना), कृषि के लिये राष्ट्रीय जेंडर संसाधन केंद्र।
  • खाद्य और पोषण सुरक्षा: सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), वन नेशन वन कार्ड, राष्ट्रीय पोषण मिशन, पोषक अनाज पर ध्यान देना।

संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन

परिचय:

  • इसे वर्ष 2030 तक सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये कार्रवाई के दशक के हिस्से के रूप में आयोजित किया जाएगा।
  • यह शिखर सम्मेलन सभी 17 SDG पर प्रगति के लिये साहसिक नए कार्य शुरू करेगा, जिनमें से प्रत्येक स्वस्थ और अधिक स्थायी तथा न्यायसंगत खाद्य प्रणालियों पर कुछ हद तक निर्भर करता है।
  • फूड सिस्टम्स समिट (Food Systems Summit) का आयोजन पाँच एक्शन ट्रैक्स के आसपास किया जाता है।

एक्शन ट्रैक्स:

  • सुरक्षित और पौष्टिक भोजन।
  • सतत् खपत पैटर्न।
  • प्रकृति अनुकूल उत्पादन।
  • समान आजीविका को बढ़ाना।
  • कमज़ोरियों, झटकों और तनाव के प्रति लचीलापन।

संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन में भारत:

  • भारत ने स्वेच्छा से एक्शन ट्रैक 4 संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन 2021 के लिये कृषि-खाद्य प्रणाली-उन्नतशील आजीविका हेतु पहल की है लेकिन यह इसी पहल  तक सीमित नहीं है। 
  • कृषि राज्य का विषय होने के कारण राज्य सरकारों द्वारा विशिष्ट पहलों का कार्यान्वयन किया जाना महत्त्वपूर्ण है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ