व्यापार युद्ध के प्रारंभ का संकेत | 10 Dec 2018

चर्चा में क्यों?


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के उनके समकक्ष शी जिनपिंग के बीच ब्यूनस आयर्स में हुई बैठक के बाद दोनों नेताओं ने 1 जनवरी, 2019 से एक-दूसरे पर नए आयात शुल्क नहीं लगाने पर सहमति जताई।

पुनः व्यापार युद्ध का प्रारंभ

  • दोनों नेताओं ने मौजूदा व्यापार युद्ध को खत्म करने के लिये लगातार संवाद बनाए रखने की भी प्रतिबद्धता जताई तथा ट्रंप ने चीन पर 90 दिनों के लिये 200 अरब डॉलर के सामान पर शुल्क लगाने की योजना को रोक दिया।
  • इसी वर्ष के मध्य में अमेरिका ने चीन के 250 अरब डॉलर के सामान पर आयात शुल्क लगा दिया था, प्रतिक्रियास्वरूप चीन ने भी अमेरिका के 60 अरब डॉलर के सामान पर शुल्क लगाया था।
  • हाल ही में चीन की ग्लोबल टेलिकम्युनिकेशंस कंपनी हुवाई की मुख्य वित्तीय अधिकारी मेंग वानझू को कनाडा में गिरफ्तार कर लिया गया है जिस पर चीन ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है तथा तुरंत रिहाई की मांग की, पुनः ट्रेड वार के लिये यह एक अहम कारक हो सकता है।
  • हुवाई दुनिया की सबसे बड़ी टेलिकम्युनिकेशन उपकरण और सेवा प्रदाता कंपनी है। वैश्विक तौर पर सफलता मिलने के बावजूद भी यह अमेरिकी परेशानियों का सामना कर रही है।
  • यह कंपनी अमेरिका के खुफिया अधिकारियों के निशाने पर थी और उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा बताया था।
  • साथ ही, भले ही आयात शुल्क के संबंध में स्थगन पर दोनों देशों ने सहमति जताई थी, लेकिन व्यापार युद्ध फिर से शुरू होने की अभी भी गुंजाइश बनी हुई है।
  • ब्यूनस आयर्स में हुई बैठक को विगत वर्षों के लीग ऑफ नेशंस के प्रयासों से जोड़कर देखा जा रहा है।

लीग ऑफ नेशंस (LAN) के बारे में

  • यह एक अंतर सरकारी संगठन था जिसका गठन प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद 10 जनवरी, 1920 को हुआ था।
  • यह पहला अंतर्राष्ट्रीय संगठन था जिसका मुख्य मिशन विश्व शांति बनाए रखना था।
  • प्रथम विश्व यद्ध के बाद अंतर्राष्ट्रीय विवादों को हल करने के लिये एक मंच प्रदान करने हेतु इसका गठन किया गया था।
  • इसके प्राथमिक लक्ष्यों में सामूहिक सुरक्षा उपायों युद्ध को रोकना, निःशस्त्रीकरण तथा अंतर्राष्ट्रीय विवादों का बातचीत एवं मध्यस्थता द्वारा समाधान करना शामिल था। इसके अतिरिक्त अन्य संबंधित संधियों में शामिल लक्ष्यों में श्रम दशाएँ, मूल निवासियों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार, मानव एवं दवाओं का अवैध व्यापार, शस्त्र व्यपार, वैश्विक स्वास्थ्य, युद्धबंदी तथा यूरोप में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा आदि थे।
  • दुर्भाग्य से अपने ऊँचे बेंचमार्क के बावजूद, लीग अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाई।
  • लीग के गठन के लगभग दो दशक बाद, 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध हुआ और ज़र्मनी ने पोलैंड पर हमला कर दिया। हिटलर का दावा था कि लीग की धाराएँ ज़र्मनी की संप्रभुता का उल्लंघन करती थी। ज़र्मनी लीग से हट गया, जल्दी ही कई अन्य आक्रामक शक्तियों ने भी उसका अनुसरण किया।
  • द्वित्तीय विश्व युद्घ की शुरुआत से पता चलता है कि लीग भविष्य में युद्ध न होने देने के अपने प्राथमिक उद्देश्य में असफल रहा था।
  • युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसका स्थान लिया तथा लीग द्वारा स्थापित कई एजेंसियाँ और संगठन संघ में शामिल हो गए।

स्रोत : लाइव मिंट