भारत के शीर्ष 1% व्यक्तियों की संपत्ति वर्ष 2000 से 62% बढ़ी: G20 रिपोर्ट | 10 Nov 2025
प्रिलिम्स के लिये: G20, G7 असमानता, कुपोषण, बौद्धिक संपदा (IP), IPCC, वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर, IMF, विशेष आहरण अधिकार (SDR), खाद्य सुरक्षा, डिजिटल डिवाइड।
मेन्स के लिये: वैश्विक संपत्ति असमानता पर G20 रिपोर्ट के निष्कर्ष, असमानता के प्रमुख कारक और इसके सामाजिक-आर्थिक एवं राजनीतिक परिणाम। असमानता से निपटने के लिये आवश्यक उपाय।
स्रोत: ET
चर्चा में क्यों?
दक्षिण अफ्रीका की G20 अध्यक्षता द्वारा गठित G20 समिति ने पाया कि विश्व के संपन्न 1% व्यक्तियों ने वर्ष 2000 से 2023 के बीच वैश्विक संपत्ति का 41% हिस्सा अर्जित किया।
वैश्विक असमानता पर G20 रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- वैश्विक आय असमानता: 83% देशों में आय असमानता का स्तर बहुत अधिक है (गिनी गुणांक > 0.4)। ये देश विश्व की कुल जनसंख्या के 90% हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- वर्ष 2000 के बाद से चीन और भारत की आर्थिक वृद्धि के कारण वैश्विक असमानता में थोड़ी कमी आई है, लेकिन अब भी संपन्न क्षेत्रों और उप-सहारा अफ्रीका के बीच बड़ी असमानताएँ बनी हुई हैं, जहाँ गिनी गुणांक 0.61 दर्ज किया गया है।
- संपत्ति असमानता: वर्ष 2000 से वर्ष 2024 के बीच वैश्विक संपत्ति असमानता में तीव्र वृद्धि हुई है। सबसे संपन्न 1% व्यक्तियों ने नई संपत्ति का 41% हिस्सा हासिल किया, जबकि निचले 50% व्यक्तियों को केवल 1% हिस्सा मिला।
- भारत में शीर्ष 1% संपन्न व्यक्तियों की संपत्ति का हिस्सा वर्ष 2000 से वर्ष 2023 के बीच 62% तक बढ़ गया।
- वैश्विक खाद्य असुरक्षा: पूरे विश्व में हर 4 में से 1 व्यक्ति (लगभग 2.3 बिलियन व्यक्ति) मध्यम या गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं और वर्ष 2019 से अब तक 335 मिलियन व्यक्ति नियमित रूप से भोजन छोड़ने पर मज़बूर हुए हैं।
गिनी सूचकांक (Gini Index)
- परिचय: गिनी सूचकांक का विकास वर्ष 1912 में इतालवी सांख्यिकीविद् कोराडो गिनी द्वारा किया गया था। यह किसी देश में घरों या व्यक्तियों के बीच आय असमानता को मापने का एक उपकरण है।
- यह लॉरेंज कर्व से व्युत्पन्न है और कर्व तथा पूर्ण समानता की रेखा के बीच के क्षेत्र को परिमाणित करता है, जो 0 (पूर्ण समानता) से लेकर 1 (अधिकतम असमानता) तक होता है तथा निम्न मान अधिक समतापूर्ण समाज का संकेत देते हैं।
- भारत में गिनी सूचकांक की प्रवृत्ति: भारत का गिनी सूचकांक वर्ष 2011 में 28.8 से घटकर वर्ष 2022 में 25.5 हो गया है, जिससे यह मध्यम रूप से निम्न असमानता वाले देशों की श्रेणी में आता है।
- भारत का 25.5 का स्कोर इसे चीन (35.7) और संयुक्त राज्य अमेरिका (41.8) जैसे अधिक असमानता वाले देशों से आगे रखता है।
वैश्विक असमानता को बढ़ाने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं?
- आर्थिक उदारीकरण: वित्तीय विनियमन (मूल्य अस्थिरता), कमज़ोर ट्रेड यूनियनों के साथ श्रम बाज़ार विनियमन तथा सार्वजनिक सेवाओं का निजीकरण, गरीबों पर असमान रूप से प्रभाव डालते हैं, जिससे आय और आर्थिक असमानता बढ़ती है।
- अंतर्राष्ट्रीय कारक: व्यापार पैटर्न और पूंजी प्रवाह से कॉर्पोरेट अभिजात वर्ग को असमान रूप से अधिक लाभ मिलता है, जबकि श्रमिकों विशेषकर कम कुशल श्रमिकों की वास्तविक मज़दूरी स्थिर या घटती जाती है। साथ ही बौद्धिक संपदा अधिकार और एकाधिकार विकसित देशों को लाभ पहुँचाते हैं तथा विकासशील देशों के लिये आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं व तकनीक तक पहुँच सीमित कर देते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय कर नियम और बाह्य आघात बहुराष्ट्रीय कंपनियों व संपन्न वर्ग को कर से बचने का अवसर देते हैं तथा विकासशील देशों को वित्तीय संकटों व वैश्विक मंदी के जोखिम में डालते हैं।
- संरचनात्मक कारक: औपनिवेशिक काल की संसाधन-उत्खनन आधारित अर्थव्यवस्थाओं की विरासत, असमान भूमि स्वामित्व और सामाजिक भेदभाव आज भी कायम हैं। औद्योगिक क्रांति से उत्पन्न क्षेत्रीय विकास असंतुलन और पीढ़ी-दर-पीढ़ी संपत्ति हस्तांतरण ने आर्थिक असमानता को और गहराया है।
- आय का असमान वितरण: असमान परिसंपत्ति स्वामित्व, शिक्षा, कौशल और सामाजिक पूंजी में अंतर कुछ व्यक्तियों की आय बढ़ाता है जबकि अन्य को पीछे छोड़ देता है।
- सामाजिक और सांस्कृतिक कारक: वंशानुगत संपत्ति और विवाह पैटर्न, सामाजिक भेदभाव (जैसे लैंगिक, जाति, नस्ल) तथा कमज़ोर सार्वजनिक समर्थन संपन्न वर्ग की संपत्ति को स्थिर बनाए रखते हैं और निम्न-आय वर्ग को गरीबी के चक्र में फँसा देते हैं।
असमानता के विभिन्न निहितार्थ क्या हैं?
- गरीबी का स्थायीकरण: उच्च असमानता गरीबी का जाल बनाती है, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और पोषण तक पहुँच को सीमित करती है तथा अंतर-पीढ़ीगत असुविधा को बढ़ाती है। यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंचना को बनाए रखती है, मानव क्षमता का अपव्यय करती है, श्रम उत्पादकता और नवाचार को घटाती है तथा समग्र आर्थिक विकास में बाधा डालती है।
- आर्थिक अस्थिरता: संपत्ति का अत्यधिक संकेंद्रण उत्पादक निवेश के बजाय वित्तीय परिसंपत्तियों और रियल एस्टेट में सट्टेबाज़ी को प्रोत्साहित करता है। वहीं अधिकांश आबादी की सीमित क्रय शक्ति आर्थिक विकास को धीमा कर देती है।
- स्वास्थ्य संकट: स्वास्थ्य सेवाओं पर जेब से होने वाला व्यय 1.3 बिलियन व्यक्तियों को गरीबी में धकेल चुका है, जिससे उत्पादकता और आय में गिरावट आई है। इसी तरह 2.3 बिलियन व्यक्ति खाद्य असुरक्षा से प्रभावित हैं, जिससे भुखमरी, कुपोषण और मानसिक एवं सामाजिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
- लोकतंत्र का क्षरण: अत्यधिक संपत्ति केंद्रीकरण से संपन्न वर्ग को राजनीतिक प्रभाव और कानून पर नियंत्रण प्राप्त होता है। उच्च असमानता वाले देशों में लोकतंत्र के कमज़ोर होने की संभावना सात गुना अधिक होती है, क्योंकि संस्थाओं पर जनविश्वास घटता है। पारस्परिक दुष्चक्र: इन परिणामों से एक दुष्चक्र बनता है - आर्थिक असमानता राजनीतिक असमानता को बढ़ावा देती है, जिसके परिणामस्वरूप संपन्न व्यक्तियों के पक्ष में नीतियाँ बनती हैं, जिससे आर्थिक असमानता बढ़ती है और मध्यम वर्ग कमज़ोर होता है, जिससे राजनीतिक अस्थिरता एवं धीमी आर्थिक वृद्धि होती है।
G20 रिपोर्ट ने असमानता से निपटने के लिये क्या सुझाव दिये हैं?
- अंतर्राष्ट्रीय असमानता पैनल (IPI) की स्थापना: रिपोर्ट ने IPCC के मॉडल पर आधारित एक अंतर्राष्ट्रीय असमानता पैनल (International Panel on Inequality- IPI) की स्थापना की अनुशंसा की है, जो वैश्विक असमानता की निगरानी करेगा, नीति-निर्माताओं को डेटा उपलब्ध कराएगा और सरकारी हस्तक्षेपों के लिये मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
- प्रगतिशील कराधान: आय, संपत्ति और उत्तराधिकार पर प्रगतिशील कर लागू किये जाएँ तथा स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा पर सार्वजनिक व्यय बढ़ाया जाए, ताकि एक न्यायसंगत समाज का निर्माण हो सके तथा धन-संपत्ति के अत्यधिक संकेंद्रण को कम किया जा सके।
- सामाजिक सुरक्षा नीतियाँ: श्रमिकों की शक्ति को सामूहिक सौदेबाज़ी, ट्रेड यूनियन संरक्षण और न्यूनतम वेतन के माध्यम से सुदृढ़ किया जाए तथा निष्पक्ष वेतन और प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करने हेतु प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी कानूनों (Antitrust Enforcement) के माध्यम द्वारा कॉरपोरेट एकाधिकारों पर नियंत्रण लगाया जाए।
- वैश्विक व्यापार और बौद्धिक संपदा (IP) नियमों में सुधार: महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य और जलवायु प्रौद्योगिकियों के लिये बौद्धिक संपदा (IP) छूट और अनिवार्य लाइसेंस (Compulsory Licenses) की अनुमति दी जाए तथा ऐसे न्यायसंगत व्यापार और निवेश समझौते प्रोत्साहित किये जाएँ जो विकासशील देशों को मूल्य शृंखला (Value Chain) में ऊपर बढ़ने में सहायता करें।
- वैश्विक वित्तीय प्रणालियों में सुधार: एक सुदृढ़ वैश्विक न्यूनतम कॉरपोरेट कर लागू किया जाए और अत्यधिक धनाढ्य व्यक्तियों पर न्यूनतम कर लगाने की संभावना पर विचार किया जाए। साथ ही अंतराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों (IFI) में सुधार करते हुए मितव्ययिता (Austerity) की नीतियों के स्थान पर विकास-उन्मुख नीतियाँ अपनाई जाएँ तथा पूंजी नियंत्रण (Capital Controls) को सामष्टिक आर्थिक स्थिरता (Macroeconomic Stability) के एक साधन के रूप में मान्यता प्रदान की जाए।
- विकासशील देशों की क्षमताओं का विस्तार: अत्यधिक ऋणग्रस्त विकासशील देशों को ऋण राहत (Debt Relief) प्रदान की जाए, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के विशेष आहरण अधिकार (SDR) को आवश्यकता के आधार पर (न कि कोटा के आधार पर) आवंटित किया जाए और अनुकूलन व क्षति-निवारण के लिये जलवायु वित्त (Climate Finance) सुनिश्चित किया जाए। साथ ही खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ किया जाए और डिजिटल अंतराल (Digital Divide) को कम किया जाए।
निष्कर्ष
- G20 की रिपोर्ट इस बात पर बल देती है कि वैश्विक असमानता अब आपात स्तर पर पहुँच चुकी है, जहाँ शीर्ष 1% व्यक्तियों के पास अत्यधिक धन-संपत्ति केंद्रित है। यह असमानता गरीबी, स्वास्थ्य संकट, आर्थिक अस्थिरता और लोकतांत्रिक क्षरण को बढ़ावा देती है। इसे दूर करने के लिये प्रगतिशील कराधान, सामाजिक सुरक्षा, वैश्विक समन्वय तथा व्यापार, बौद्धिक संपदा (IP) और वित्तीय प्रणालियों में सुधार की आवश्यकता है, ताकि समावेशी और सतत् विकास को सुनिश्चित किया जा सके।
|
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. विकासशील देशों में असमानता पर आर्थिक उदारीकरण, संरचनात्मक कारकों तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों के प्रभाव की समीक्षा कीजिये |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. वैश्विक धन-संपत्ति में शीर्ष 1% की हिस्सेदारी क्या है?
वर्ष 2000 से 2024 के बीच, सबसे धनी 1% व्यक्तियों ने विश्व की कुल नई संपत्ति का 41% प्राप्त किया, जबकि निचले 50% वर्ग को केवल 1% हिस्सा मिला, यह गहरी वैश्विक असमानता को उजागर करता है।
2. गिनी इंडेक्स क्या है और वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति कैसी है?
गिनी इंडेक्स आय असमानता को मापने का एक पैमाना है (0 = पूर्ण समानता, 1 = अधिकतम असमानता)। भारत का जिनी सूचकांक 2011 में 28.8 से घटकर 2022 में 25.5 हो गया है, जिससे भारत चीन (35.7) और अमेरिका (41.8) की तुलना में अधिक समानतामूलक देश बन गया है।
3. वैश्विक असमानता से निपटने के लिये वर्ष 2025 की G20 रिपोर्ट का प्रमुख प्रस्ताव क्या है?
रिपोर्ट का प्रमुख प्रस्ताव अतर्राष्ट्रीय असमानता पैनल (International Panel on Inequality- IPI) की स्थापना है, जो IPCC के मॉडल पर आधारित होगा। इसका उद्देश्य असमानता की प्रवृत्तियों पर विश्वसनीय ऑंकड़े और नीतिगत विश्लेषण प्रदान करना है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
मेन्स:
प्रश्न. COVID-19 महामारी ने भारत में वर्ग असमानताओं और गरीबी को गति दे दी है। टिप्पणी कीजिये। (2020)
