भारत का संघीय ढाँचा और जम्मू-कश्मीर राज्य | 09 Sep 2025
चर्चा में क्यों?
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ज़हूर अहमद भट बनाम जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश मामले में जम्मू-कश्मीर को पुनः राज्य का दर्जा देने पर केंद्र से विस्तृत प्रतिक्रिया मांगी है।
- तर्क दिया गया है कि जम्मू-कश्मीर को पुनः राज्य का दर्जा देने में विलंब करना नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन करता है और संविधान की मूल संरचना का हिस्सा होने वाले संघवाद को कमज़ोर करता है।
भारत में राज्य कैसे बनाए जाते हैं?
- प्रवेश (Admission): यदि किसी क्षेत्र में संगठित राजनीतिक इकाई हो, तो उसे अंतर्राष्ट्रीय कानून के मार्गदर्शन में भारत में शामिल किया जा सकता है।
- उदाहरण: जम्मू-कश्मीर का वर्ष 1947 में इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन के माध्यम से भारत में विलय।
- स्थापना (Establishment): अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत अधिग्रहित क्षेत्र को राज्य के रूप में स्थापित किया जा सकता है। उदाहरण: गोवा और सिक्किम।
- निर्माण/पुनर्गठन (Formation/Reorganisation): संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत मौजूदा राज्यों को पुनर्गठित किया जा सकता है। यह संसद को नए राज्य के निर्माण का अधिकार देता है, जिसमें क्षेत्रों को अलग करना या मिलाना, राज्य के क्षेत्रफल को बढ़ाना या घटाना तथा राज्यों की सीमाओं या नामों में बदलाव करना शामिल है। उदाहरण: आंध्र प्रदेश से तेलंगाना का निर्माण।
- सीमाएँ (Limitation): जबकि केंद्र किसी राज्य के क्षेत्र को कम कर सकता है, इसे केंद्र शासित प्रदेश में परिवर्तित करना भारत के संविधान में विशेष रूप से उल्लेखित नहीं है। यह संघवाद के सिद्धांत के अनुसार जम्मू-कश्मीर को पुनः राज्य का दर्जा देने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- लेकिन कुछ ऐसे विचार हैं जिन्होंने केंद्र शासित प्रदेशों के निर्माण की संभावना को जन्म दिया।
केंद्र शासित प्रदेशों (UT) के निर्माण हेतु विचार
- संवैधानिक ढाँचा:
- अनुच्छेद 1: भारत को ‘राज्यों के संघ’ के रूप में प्रस्तुत करता है, जिसमें स्पष्ट रूप से केंद्र शासित प्रदेशों (UT) को भी शामिल किया गया है।
- 7वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम और राज्य पुनर्गठन अधिनियम (1956) की धारा 6: केंद्र शासित प्रदेशों की संकल्पना को संस्थागत स्वरूप दिया।
अन्य विचार
- राजनीतिक और प्रशासनिक: संवेदनशील क्षेत्रों में प्रत्यक्ष शासन (दिल्ली, चंडीगढ़)।
- सांस्कृतिक: विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान का संरक्षण (पुदुचेरी)।
- रणनीतिक: रणनीतिक स्थानों में सुरक्षा (अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप)।
- विकासात्मक: राज्य बनने से पहले पिछड़े/जनजातीय क्षेत्रों में लक्षित विकास (मिज़ोरम, त्रिपुरा)।
भारत का संघीय ढाँचा क्या है और इसका जम्मू-कश्मीर राज्य पर क्या प्रभाव है?
- भारत का संघीय ढाँचा: भारत राज्यों का संघ है, अविभाज्य और इसमें अलग होने का कोई अधिकार नहीं है (अनुच्छेद 1)।
- संविधान में ‘फेडरेशन’ के बजाय ‘यूनियन’ शब्द का प्रयोग किया गया है ताकि एकात्मक और संघीय स्वरूप के बीच संतुलन स्थापित किया जा सके।
- संघवाद यह सुनिश्चित करता है कि संसाधनों का न्यायसंगत वितरण हो और राज्यों का प्रतिनिधित्व संघीय स्तर पर हो।
- राज्यसभा, एक स्थायी सदन होने के नाते, संघीय स्तर पर राज्यों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है और संघीय हितों की रक्षा करती है।
- संघवाद संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है, जिसका अर्थ है कि इसे समाप्त नहीं किया जा सकता।
- जम्मू-कश्मीर का संदर्भ: वर्ष 2019 का जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम (Jammu and Kashmir Reorganisation Act) इस क्षेत्र को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख।
- यद्यपि सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2023 में इस अधिनियम की संवैधानिक वैधता को बनाए रखा, लेकिन इसने जम्मू-कश्मीर को अंततः पुनः राज्य का दर्जा देने का प्रावधान किया।
- आलोचकों का तर्क है कि इस लंबित विलंब से संघवाद कमज़ोर होता है, क्योंकि उप राज्यपाल के माध्यम से केंद्र का प्रभुत्व बढ़ता है और निर्वाचित प्रतिनिधियों के अधिकार सीमित होते हैं।
- इसके विपरीत, समर्थक यह कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर की संवेदनशील सुरक्षा स्थिति को देखते हुए, स्थिरता स्थापित होने तक केंद्र का नियंत्रण बनाए रखना आवश्यक है।
- राज्य का दर्जा पुनर्स्थापित करने का महत्त्व: यह केंद्र और राज्यों के बीच साझा शासन को बढ़ावा देकर भारत की संघीय अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता को पुनः पुष्टि करता है।
- यह निर्वाचित विधानसभा को सशक्त बनाता है और बेहतर प्रतिनिधित्व व जवाबदेही के माध्यम से लोकतांत्रिक अधिकारों को मज़बूत करता है।
राज्य का दर्जा पुनर्स्थापित करने की प्रक्रिया
- जम्मू-कश्मीर को पुनः राज्य का दर्जा देने के लिये जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम (J&K Reorganisation Act) को निरस्त करना और संसद में नया विधेयक पेश करना आवश्यक होगा।
- अनुच्छेद 3 के तहत, संसद मौजूदा क्षेत्रों से नया राज्य बना सकती है, जिसमें राष्ट्रपति की सिफारिश शामिल होती है, जो मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करते हैं, जिससे यह निर्णय केंद्र सरकार का होता है।
- भारत में केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य का दर्जा देने के उदाहरणों में हिमाचल प्रदेश (1971), मणिपुर और त्रिपुरा (1972) तथा अरुणाचल प्रदेश एवं मिज़ोरम (1987) शामिल हैं।
- इसके अतिरिक्त, गोवा को वर्ष 1987 में गोवा, दमन एवं दीव के केंद्र शासित प्रदेश को राज्य में परिवर्तित करके बनाया गया।
- इसके अतिरिक्त, गोवा को वर्ष 1987 में गोवा, दमन एवं दीव के केंद्र शासित प्रदेश को राज्य में परिवर्तित करके बनाया गया।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत के संघीय ढाँचे का परीक्षण कीजिये और जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने के संदर्भ में इसके महत्त्व की व्याख्या कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
मेन्स
प्रश्न. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370, जिसके साथ हाशिया नोट "जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी उपबन्ध" लगा हुआ है, किस सीमा तक अस्थायी है? भारतीय राज्य-व्यवस्था के संदर्भ में इस उपबन्ध की भावी सम्भावनाओं पर चर्चा कीजिये। (2016)