रूसी मूल के भारतीय सैन्य उपकरण | 23 Jul 2020

प्रीलिम्स के लिये:

विभिन्न भारतीय सैन्य उपकरण

मेन्स के लिये:

भारत द्वारा विभिन्न देशों से आयात किये जाने वाले सैन्य उपकरण 

चर्चा में क्यों?

स्टिमसन सेंटर (Stimson Center) द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में भारत में सैन्य सेवा में 86% हथियार रूस से आयातित हैं। स्टिम्सन सेंटर वाशिंगटन (अमेरिका) में स्थित एक गैर-लाभकारी थिंक टैंक है। इसका उद्देश्य विश्लेषण के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ाना है।

प्रमुख बिंदु

  • डेटा विश्लेषण (Data Analysis):
    • स्टिम्सन सेंटर के आँकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2014 के बाद से 55% से अधिक भारतीय रक्षा आयात रूस से हुआ है।
    • नौसेना के 41% से अधिक उपकरण, जबकि भारतीय वायु सेना (IAF) के  दो-तिहाई उपकरण रूस से आयातित हैं।
    • थल सेना के संदर्भ में बात करें तो यह आँकड़ा 90% के पार चला जाता है।
    • स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के आँकड़ों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, रूस 9.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात के साथ भारत का प्रमुख रक्षा आपूर्तिकर्त्ता बना हुआ है।
    • इस सूची में 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की रक्षा आपूर्ति के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका दूसरे स्थान पर है।
  • रूसी सैन्य उपकरण:
    • नौसेना का एकमात्र सक्रिय विमान वाहक INS विक्रमादित्य और एकमात्र सक्रिय परमाणु पनडुब्बी भी रूसी है।
    • इसी प्रकार सेना के T-90 और T-72 मुख्य युद्धक टैंक और वायुसेना का Su30 MKI फाइटर प्लेन भी रूसी हैं।
    • देश की एकमात्र परमाणु-सक्षम सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस को रूस के साथ एक संयुक्त उद्यम द्वारा तैयार किया गया है।
    • हालाँकि भारत इज़राइल, अमेरिका और फ्राँस जैसे देशों से भी हथियारों का आयात कर रहा है, इसके बावजूद रूस अभी भी प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता बना हुआ है। यदि नवीनतम घटनाक्रम पर नज़र डाले तो यह तस्वीर और भी स्पष्ट दिखाई पड़ती है:
      • भारत ने रूस से 2.4 अरब अमेरिकी डॉलर के 21 मिग29 और 12 Su30 MKI लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण के प्रस्तावों को मंज़ूरी दी है।
      • वर्ष 2007 में भारत और रूस ने पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान कार्यक्रम (Fifth Generation Fighter Aircraft Programme-FGFA) के एक संस्करण को विकसित करने के लिये एक संयुक्त कार्यक्रम पर सहमति व्यक्त की थी।
        • हालाँकि भारत रूस के साथ पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान कार्यक्रम (एफजीएफए) के लिये वचनबद्ध नहीं है।
    • मेक इन इंडिया के तहत AK103 राइफल्स की कीमत पर वार्ता चल रही है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका के सैन्य उपकरण: अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टर, सेना के लिये M777 हॉवित्जर तोपें।
    • नौसेना के लिये- P8I सबमरीन, हंटर एयरक्राफ्ट और वायुसेना के लिये बोइंग C-17 और C-130J।
  • कारण: सैन्य उपकरणों की आपूर्ति के लिये रूस पर भारत की निर्भरता के कई कारण हैं:
    • विरासत का मुद्दा: भारत और रूस के बीच लंबे समय से रक्षा संबंध हैं और दोनों देश एक-दूसरे की प्रक्रियाओं और प्रणालियों से भली-भाँति परिचित हैं।
    • विशेष उपकरण: जिस प्रकार के विशेष उपकरण रूस भारत को उपलब्ध करा रहा है उदाहरण के लिये-S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम, परमाणु पनडुब्बी और विमान वाहक। ये सभी उपकरण अन्य देशों से मिलने वाली आपूर्ति से भिन्न हैं, यही रूस और अन्य देशों से प्राप्त होने वाली सुविधाओं के बीच अंतर पैदा करते हैं। 
    • युद्धक क्षमता: रूस से मिलने वाली प्रत्येक युद्धक प्रणाली के अपने लाभ और उपयोग हैं, क्योंकि भारत की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उनका निर्माण विशेष रूप से अधिकतम लड़ाकू क्षमता विकसित करने के लिये किया गया है। 
  • महत्त्व:
    • चीन के साथ सीमा विवाद: लद्दाख सीमा पर हाल के तनावों के बाद चीन के खिलाफ अमेरिका के साथ बढ़ती भारत की नज़दीकी के बावजूद, भारत का सशस्त्र बल रूसी मूल के उपकरणों, हथियारों और सैन्य प्लेटफार्मों पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
    • अमेरिका का CAATSA: हाल ही में USA ने भारत सहित अपने सभी सहयोगियों और साथी देशों से रूस के साथ लेन-देन बंद करने को कहा है। USA द्वारा CAATSA ( Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act)  के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाए जाने की आशंका भी बनी हुई है।

स्रोत: द हिंदू