भारतीय पर्यावरण सेवा (IES) | 24 Jan 2022

प्रिलिम्स के लिये:

वर्ष 2014 में स्थापित टी.एस.आर. सुब्रमण्यम समिति, भारतीय पर्यावरण सेवा (IES)।

मेन्स के लिये:

वर्ष 2014 में स्थापित टी.एस.आर सुब्रमण्यम समिति, भारतीय पर्यावरण सेवा (IES), पर्यावरण क्षरण।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को अखिल भारतीय स्तर पर एक समर्पित भारतीय पर्यावरण सेवा (Indian Environment Service- IES) स्थापित करने के लिये कहा है।

  • भारतीय पर्यावरण सेवा (IES) के गठन की सिफारिश वर्ष 2014 में पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा की गई थी।

नोट:

  • उच्च स्तरीय समिति का गठन अगस्त 2014 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF & CC) द्वारा सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में किया गया था।
  • इसका गठन देश में पर्यावरण कानूनों की समीक्षा करने और उन्हें तत्कालीन ज़रूरतों  के अनुरूप बनाने के लिये किया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय: यह पर्यावरणीय मामलों के संबंध में आगामी दशकों में सार्वजनिक और अर्द्ध-सरकारी क्षेत्रों में एक विशेषज्ञ समूह के रूप में कार्य करेगी।
  • आवश्यकता: निरंतर पर्यावरणीय क्षरण, पारिस्थितिकी असंतुलन, जलवायु परिवर्तन, जल की कमी आदि भारत के समक्ष मौजूद बड़ी चिंताएँ हैं।
    • नागरिकों को पर्यावरण संबंधी विभिन्न समस्याओं जैसे- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ठोस अपशिष्ट और कचरे का निपटान न हो पाना तथा प्राकृतिक पर्यावरण प्रदूषण आदि का सामना करना पड़ रहा है।
    • मौजूदा प्रणाली में व्याप्त दोष पर्यावरणीय क्षरण के प्रमुख कारणों में से एक है जो विभिन्न स्तरों पर पर्यावरण संबंधी संस्थानों की प्रवर्तन क्षमताओं में निहित है।
  • टी.एस.आर. सुब्रमण्यम समिति की टिप्पणी: वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकारी कर्मचारी पर्यावरणीय उद्देश्यों हेतु विशेष समय निकलने में समर्थ नहीं है।
    • विशिष्ट संवर्ग का अभाव: राज्यों और केंद्र सरकार की नीतियों के कार्यान्वयन, प्रशासन, नीति निर्माण और पर्यवेक्षण में शामिल प्रशिक्षित कार्मिकों का अभाव बना हुआ है।
    • भारत के पास एक मज़बूत पर्यावरण नीति और विधायी ढांँचा तो था लेकिन इसके कमजोर कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप संरक्षण विशेषज्ञों एवं न्यायपालिका द्वारा इसके पर्यावरण प्रशासन की आलोचना की जाती रही है।
    • इस समिति ने पर्यावरण संबंधी चिंताओं के एकीकरण के संबंध में विभिन्न मंत्रालयों/संस्थाओं के मध्य प्रभावी समन्वय के अभाव  को उजागर किया।
  • संबद्ध चुनौतियाँ: भारतीय पर्यावरण सेवा (IES) पहले से मौजूद एक अखिल भारतीय सेवा (भारतीय वन सेवा) के साथ ओवरलैप करेगी।
    • इसके अलावा भारतीय पर्यावरण सेवा (IES) देश के संघीय ढाँचे के लिये भी एक चुनौती होगी।

आगे की राह

  • नई अखिल भारतीय सेवाओं (AIS) का निर्माण इस तथ्य से उत्पन्न होता है कि AIS अधिकारियों का एक सामान्यीकृत दृष्टिकोण है, जबकि समकालीन चुनौतियों के लिये अधिक विशिष्ट दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
  • दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने और पर्यावरण कानूनों को लागू करने हेतु अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिये एक ‘भारतीय पर्यावरण सेवा अकादमी’ की स्थापना की जा सकती है।

स्रोत: द हिंदू