भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र | 13 Jan 2020

प्रीलिम्स के लिये :

साइबर क्राइम, (I4C) के घटक

मेन्स के लिये :

साइबर अपराध को रोकने के संदर्भ में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की भूमिका

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा साइबर क्राइम से निपटने के लिये ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (Indian Cyber Crime Coordination Centre-I4C) का उद्घाटन किया गया है।

महत्वपूर्ण बिंदु :

  • इस योजना को संपूर्ण भारत में लागू किया गया है।
  • I4C की स्थापना की योजना को व्यापक और समन्वित तरीके से सभी प्रकार के साइबर अपराधों से निपटने के लिये अक्टूबर 2018 में मंज़ूरी दी गई थी।
  • साइबर क्राइम से बहेतर तरीके से निपटने के लिये तथा I4C को समन्वित और प्रभावी तरीके से लागू करने हेतु इस योजना के निम्नलिखित सात प्रमुख घटक है-
  • नेशनल साइबरक्राइम थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट
    (National Cybercrime Threat Analytics Unit)
  • नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल
    (National Cyber Crime Reporting Portal)
  • संयुक्त साइबर अपराध जाँच दल के लिये मंच
    (Platform for Joint Cyber Crime Investigation Team)
  • राष्ट्रीय साइबर अपराध फोरेंसिक प्रयोगशाला पारिस्थितिकी तंत्र
    (National Cyber Crime Forensic Laboratory Ecosystem)
  • राष्ट्रीय साइबर क्राइम प्रशिक्षण केंद्र
    (National Cyber Crime Training Centre)
  • साइबर क्राइम इकोसिस्टम मैनेजमेंट यूनिट
    (Cyber Crime Ecosystem Management Unit)
  • राष्ट्रीय साइबर अनुसंधान और नवाचार केंद्र
    (National Cyber Research and Innovation Centre.)
  • फिलहाल 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने क्षेत्रीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र स्थापित करने के लिये अपनी सहमति व्यक्त की है।
  • यह अत्याधुनिक केंद्र दिल्ली में स्थित है।

राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल:

  • यह पोर्टल नागरिकों को ऑनलाइन साइबर अपराध के खिलाफ शिकायत करने में सक्षम बनता है।
  • यह पोर्टल महिलाओं, बच्चों, विशेष रूप से बाल पोर्नोग्राफी, बाल यौन शोषण सामग्री, बलात्कार/सामूहिक बलात्कार से संबंधित ऑनलाइन सामग्री के खिलाफ अपराधों पर विशेष ध्यान देने के साथ सभी साइबर अपराधों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने पर केंद्रित है।
  • नागरिक इस पोर्टल की वेबसाइट के माध्यम से किसी भी तरह के साइबर अपराध के बारे में शिकायत दर्ज कर सकेगे, चाहे वह किसी भी स्थान पर हो।
  • इस पोर्टल को प्रायोगिक आधार पर 30 अगस्त 2019 को लॉन्च किया गया था।
  • यह पोर्टल वित्तीय अपराध तथा सोशल मीडिया से संबंधित अपराधों जैसे कि स्टॉकिंग (Stalking) एवं साइबरबुलिंग (Cyberbullying) आदि जैसे अपराधों पर भी ध्यान केंद्रित करता है।

अन्य तथ्य :

  • केंद्र सरकार द्वारा साइबर अपराध के प्रति जागरूकता फैलाने और साइबर अपराध से बचाव के लिये साइबर अलर्ट/एडवाइजरी, कानून प्रवर्तन अधिकारियों/न्यायाधीशों/अभियोजकों की क्षमता निर्माण करने तथा साइबर फोरेंसिक सुविधाओं में सुधार करने आदि के लिये भी कदम उठाए गए हैं।
  • पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य सूची का विषय हैं। अतः राज्य/संघ राज्य क्षेत्र अपने यहाँ कानून के माध्यम से अपराधों की रोकथाम, अपराधियों का पता लगाने, जाँच और अभियोजन के लिये मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।

साइबर अपराध:

ये ऐसे गैर-कानूनी कार्य हैं जिनमें कंप्यूटर एवं इंटरनेट नेटवर्क का प्रयोग एक साधन अथवा लक्ष्य अथवा दोनों के रूप में किया जाता है। ऐसे अपराधों में हैकिंग, चाइल्ड पॉर्नोग्राफी, साइबर स्टॉकिंग, सॉफ्टवेयर पाइरेसी, क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, फिशिंग आदि को शामिल किया जाता हैं।

स्रोत : पी आई बी ,द हिंदू