भारत- अमेरिका व्यापार संबंध | 01 Sep 2017

चर्चा में क्यों ?

भारत और अमेरिका वस्तुओं और सेवाओं के मुक्त आवाजाही के पक्षधर हैं। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार वर्ष 2016 में $115 अरब डॉलर का था। अब वे इसे $500 अरब डॉलर तक ले जाना चाहते हैं। इसी दृष्टिकोण के मद्देनज़र अर्थात् द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों को और विस्तृत करने के लिये वे एक राज्य स्तरीय भागीदारी तंत्र के गठन की तैयारी कर रहे हैं।    

राज्य भागीदारी टास्क फोर्स (State Engagement Task Force)

  • अमेरिका-भारत व्यापार परिषद ( U.S.-India Business Council ) अगले पखवाड़े के भीतर एक राज्य भागीदारी टास्क फोर्स का अनावरण करेगी ताकि दोनों देशों की कंपनियाँ अपने हितों एवं दोनों देशों की राज्य सरकारों की प्राथमिकताओं को संरेखित कर कारोबार कर सकें।
  • इस बारे में शुरूआती तौर पर नागालैंड और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों के साथ कौशल विकास, उद्यमिता, बुनियादी ढाँचे के विकास और रोज़गार सृजन पर प्रारंभिक चर्चा हुई है।
  • इसी तरह की चर्चा अमेरिकी राज्य सरकारों के साथ उनकी प्राथमिकताओं की पहचान करने के लिये जल्द ही आयोजित की जाएगी।

इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी ? 

  • दरअसल दोनों देश आपसी द्विपक्षीय व्यापार संबंधों की व्यापक समीक्षा करना चाहते हैं। 

रक्षा एवं ऊर्जा क्षेत्र को प्राथमिकता 

  • इस कवायद में रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र को प्राथमिकता पर रखा जाएगा।
  • रक्षा क्षेत्र में सहयोग के तहत अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin) द्वारा भारत में एफ-16 लड़ाकू जेट विमानों का निर्माण करना और जनरल एटमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स इंक (General Atomics Aeronautical Systems Inc.) के 'गार्जियन रिमॉटली पाइलोटेड एयरक्राफ्ट' (Guardian Remotely Piloted Aircraft) की बिक्री करना प्रस्तावित है। 
  • ऊर्जा संबंधों में अमेरिका द्वारा प्राकृतिक गैस, तेल और गैस शोधन पर अमेरिकी प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण और साथ ही भारत में छह परमाणु रिएक्टरों के निर्माण और संबंधित परियोजना के वित्तपोषण के लिये परमाणु ऊर्जा कार्पोरेशन और वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक (Westinghouse Electric) के बीच समझौते के निष्कर्ष को अंतिम रूप देना शामिल है।

अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्र

  • अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में स्मार्ट शहर (अजमेर, इलाहाबाद और विशाखापत्तनम सहित), सार्वजनिक निजी साझेदारी के माध्यम से भारत में क्षेत्रीय हवाई अड्डों का विकास, ई-कॉमर्स, डिजिटल भुगतान और चिकित्सा उपकरण शामिल हैं।

चीन का आगे होना 

  • अमेरिकन इंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के अनुसार, अमेरिकी राज्यों के साथ आयात–निर्यात के मामले में चीन और कनाडा बहुत आगे हैं। 
  • चीन वर्ष 2016 में 23 अमेरिकी राज्यों के लिये शीर्ष आयात देश था। उसके बाद कनाडा (14) था। 
  • भारत किसी भी अमेरिकी राज्य के लिये न तो शीर्ष आयात देश है और न ही शीर्ष निर्यात देश।

आगे की राह 

  • दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में कुछ ऐसे मुद्दें हैं जिनको लेकर दोनों की अपनी-अपनी चिंताएँ हैं। जैसे व्यापार घाटे पर अमेरिका की अपनी चिंताएँ हैं तो वहीं वीजा प्रतिबंधों को लेकर भारत की अपनी चिंताएँ हैं। 
  • अतः दोनों देशों के आर्थिक एवं सामरिक हित के लिये इनका हल निकालना आवश्यक है।