भारत - त्रिनिदाद और टोबैगो संबंध | 07 Jul 2025
प्रिलिम्स के लिये:त्रिनिदाद और टोबैगो, आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र, कैरिकॉम मेन्स के लिये:ग्लोबल साउथ के साथ भारत की भागीदारी, भारत-त्रिनिदाद और टोबैगो संबंध, भारत-कैरिकॉम संबंधों का सुदृढ़ीकरण, अनुबंधित श्रम प्रणाली और गिरमिटिया। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो यात्रा वर्ष 1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी।
- यात्रा के दौरान, उन्हें वैश्विक नेतृत्व, मज़बूत प्रवासी जुड़ाव और कोविड-19 महामारी के दौरान मानवीय प्रयासों के लिये देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो से सम्मानित किया गया।
त्रिनिदाद और टोबैगो
- भूगोल और अवस्थिति: त्रिनिदाद और टोबैगो दक्षिण-पूर्वी वेस्ट इंडीज (कैरिबियन) में स्थित है और इसमें दो मुख्य द्वीप त्रिनिदाद और टोबैगो के साथ-साथ कई छोटे द्वीप शामिल हैं।
- यह वेनेज़ुएला के उत्तर-पूर्व और गुयाना के उत्तर-पश्चिम में स्थित है, तथा वेनेज़ुएला से पारिया की खाड़ी (Gulf of Paria) और संकीर्ण जलमार्गों द्वारा अलग है।
- राजधानी: पोर्ट ऑफ स्पेन (त्रिनिदाद)।
- आर्थिक पहलू
- प्राकृतिक संसाधन: तेल और गैस, ऐस्फाल्ट, कृषि (गन्ना)
- प्रमुख आर्थिक गतिविधियाँ: पेट्रोलियम शोधन, LNG निर्यात, कृषि, पर्यटन।
- पर्यावरण और जैवविविधता: त्रिनिडाड में वर्षावन, दलदल (कैरोनी, नरिवा) तथा मैंग्रोव वन पाए जाते हैं।
- उल्लेखनीय प्रजातियाँ: स्कार्लेट आइबिस (राष्ट्रीय पक्षी), मैनेटेस, ओसेलॉट्स, कैमन, एगोटी।
- पिच झील: विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक ऐस्फाल्ट भंडार (त्रिनिदाद)।
- पर्वत शृंखला: नॉदर्न रेंज, एंडीज़ विस्तार का हिस्सा।
प्रधानमंत्री की त्रिनिदाद और टोबैगो की राजकीय यात्रा के मुख्य परिणाम क्या हैं?
- आपदा रोधी अवसंरचना और जैव ईंधन में सहयोग: त्रिनिदाद और टोबैगो ने भारत की वैश्विक पहलों, आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (GBA) में शामिल होने पर सहमति व्यक्त की।
- त्वरित प्रभाव परियोजनाओं (QIP) के लिये भारतीय अनुदान सहायता: भारत ज़मीनी स्तर पर सामुदायिक विकास के लिये प्रतिवर्ष पाँच परियोजनाओं (प्रत्येक ≤ 50,000 अमेरिकी डॉलर) को वित्तपोषित करेगा।
- इसका उद्देश्य देश की तात्कालिक विकासात्मक आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
- फार्मास्युटिकल सहयोग एवं चिकित्सीय उपचार: फार्मास्युटिकल क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
- इस समझौते से भारत से सस्ती, गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाओं तक पहुँच में सुधार होगा तथा त्रिनिदाद और टोबैगो के लोगों के लिये भारत में चिकित्सा उपचार की व्यवस्था संभव हो सकेगी।
- राजनयिक प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण: त्रिनिदाद और टोबैगो के राजनयिकों को भारतीय संस्थानों के साथ-साथ भारतीय विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिये जाने के लिये एक समझौता हुआ।
- इस पहल से कूटनीतिक कौशल एवं द्विपक्षीय संबंधों में वृद्धि होने की आशा है।
- शिक्षा के लिये प्रवासी सहभागिता एवं समर्थन:
- भारत ने घोषणा की है कि ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड सुविधा त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय प्रवासियों की छठी पीढ़ी को भी प्रदान की जाएगी (पहले यह सुविधा केवल चौथी पीढ़ी को ही उपलब्ध थी)।
- डिजिटल समर्थन: दोनों पक्षों ने डिजीलॉकर एवं ई-साइन जैसे इंडिया स्टैक समाधानों पर सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की।
- त्रिनिदाद और टोबैगो एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) अपनाने वाला पहला कैरेबियाई देश है।
- कृषि एवं स्वास्थ्य सेवा को समर्थन: भारत ने वर्ष 2024 समझौता ज्ञापन के तहत सहमति के अनुसार 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की कृषि-मशीनरी का पहला बैच त्रिनिदाद और टोबैगो के राष्ट्रीय कृषि विपणन और विकास निगम (NAMDEVCO) को उपहार में और बाजरे की खेती, समुद्री शैवाल-आधारित उर्वरकों तथा प्राकृतिक खेती के लिये विस्तारित समर्थन दिया।
- क्षेत्रीय संबंधों एवं आतंकवाद-रोधी सहयोग को मज़बूत करना: दोनों नेताओं ने आतंकवाद-रोधी सहयोग को मज़बूत करने, भारत-कैरेबियाई समुदाय (कैरिकॉम) संबंधों को गहरा करने और ग्लोबल साउथ देशों के बीच एकजुटता बढ़ाने का संकल्प लिया।
- सांस्कृतिक कूटनीति: त्रिनिदाद और टोबैगो में वेस्ट इंडीज विश्वविद्यालय में हिंदी और भारतीय अध्ययन पर दो भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) पीठों की पुनः स्थापना की जाएगी।
- भारत ने त्रिनिदाद और टोबैगो तथा कैरेबियाई क्षेत्र के हिंदू धार्मिक पुजारियों (पंडितों) को प्रशिक्षण देने में भी सहायता प्रदान की है।
- यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा और भारतीय भाषाओं व संस्कृति की समझ को गहरा करेगा।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला पसाद-बिसेसर को उनके बिहार से संबंधित होने के सम्मान में सरयू नदी और महाकुंभ का पवित्र जल तथा राम मंदिर की एक प्रतिकृति भेंट की।
भारत-त्रिनिदाद और टोबैगो संबंध समय के साथ कैसे विकसित हुए हैं?
- ऐतिहासिक संबंध: भारत-त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच गहरे ऐतिहासिक संबंध हैं, जो वर्ष 1845 से चले आ रहें हैं, जब पहले भारतीय अनुबंधित श्रमिक (मुख्यतः भोजपुरी गिरमिटिया)'फातेल रज़ाक' जहाज़ से वहाँ पहुँचे थे।
- उनके वंशज अब जनसंख्या का 40-45% हिस्सा हैं, जो देश के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- द्विपक्षीय संबंधों की औपचारिक स्थापना वर्ष 1962 में हुई थी और ये संबंध तब से सौहार्दपूर्ण और गतिशील बने हुए हैं।
- आर्थिक और व्यापारिक संबंध: भारत-त्रिनिदाद और टोबैगो ने वर्ष 1997 में 'सर्वाधिक अनुकूल राष्ट्र' (MFN) दर्जा व्यापार समझौता किया था, जो दोनों देशों के बीच व्यापार को सुविधाजनक बनाने में अब भी सहायक है।
- महामारी के बाद द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि देखी गई है, जिसमें भारत से प्रमुख निर्यात में फार्मास्यूटिकल उत्पाद, वाहन और लोहा शामिल हैं।
- भारत से त्रिनिदाद और टोबैगो को निर्यात: 120.65 मिलियन अमेरिकी डॉलर (2024–25)।
- त्रिनिदाद और टोबैगो से भारत को आयात: 220.96 मिलियन अमेरिकी डॉलर (2024-25)।
- विकास साझेदारी: महामारी के दौरान, भारत-UNDP फंड के अंतर्गत त्रिनिदाद और टोबैगो में 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत वाली 'ब्रिंगिंग हाई एंड लो टेक्नोलॉजी (HALT)' परियोजना लागू की गई।
- इसमें 8 मोबाइल हेल्थकेयर रोबोट, एक टेलीमेडिसिन प्रणाली, हैंड हाइजीन स्टेशन और संबंधित उपकरण शामिल थे तथा यह परियोजना अगस्त 2024 में पूर्ण हुई।
गिरमिटिया श्रमिक प्रणाली और भोजपुरी गिरमिटिया
- गिरमिटिया श्रमिक प्रणाली: यह प्रणाली गुलामी समाप्त होने के बाद लागू की गई थी, जिसमें व्यक्ति निश्चित समय के लिये कार्य करने हेतु सहमत होते थे और बदले में उन्हें यात्रा, भोजन तथा आवास की सुविधा दी जाती थी।
- हालाँकि इसे एक अनुबंध प्रणाली के रूप में प्रस्तुत किया गया, लेकिन वास्तव में यह शोषणकारी थी — जहाँ श्रमिकों को कठोर कार्य परिस्थितियों, कम वेतन और सीमित स्वतंत्रता का सामना करना पड़ता था।
- श्रमिकों को अनुपस्थिति पर दंड दिया जाता था, वे लगातार निगरानी में रहते थे और उन्हें नस्लीय तथा शारीरिक शोषण झेलना पड़ता था।
- महिलाओं की भर्ती मुख्य रूप से लैंगिक अनुपात संतुलित करने के लिये की जाती थी, लेकिन उन्हें लैंगिक भेदभाव और यौन शोषण का अधिक सामना करना पड़ता था।
- महात्मा गांधी ने इस गिरमिटिया प्रणाली का कड़ा विरोध किया। वर्ष 1917 में, जब इसे समाप्त करने का प्रस्तावित विधेयक अस्वीकार कर दिया गया, तो उन्होंने देशव्यापी आंदोलन शुरू किया और वायसरायलॉर्ड चेम्स्फोर्ड से मुलाकात की। यह प्रणाली अंततः वर्ष 1920 में आधिकारिक रूप से समाप्त कर दी गई।
- गिरमिटिया: गिरमिटिया शब्द (जिसका व्युत्पन्न शब्द 'समझौते' से है) उन भारतीय गिरमिटिया श्रमिकों को संदर्भित करता है, जिन्हें 19वीं और 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में गिरमिटिया श्रम प्रणाली के तहत त्रिनिदाद एवं टोबैगो, फिज़ी, मॉरीशस और गुयाना जैसे ब्रिटिश उपनिवेशों में ले जाया गया था।
- उनमें से अधिकांश वर्तमान उत्तर प्रदेश और बिहार के भोजपुरी व अवधी भाषी ज़िलों जैसे छपरा, बलिया, आरा, बनारस, सीवान, गोपालगंज एवं आज़मगढ़ से आए थे।
भारत-कैरिकॉम संबंध:
- कैरेबियन समुदाय (CARICOM): कैरीबियाई समुदाय (CARICOM) को वर्ष 1973 में त्रिनिदाद और टोबैगो में चगुआरामस संधि के माध्यम से मान्यता दी गई थी, आर्थिक एकीकरण और सहयोग को बढ़ावा देने के लिये कैरीबियाई मुक्त व्यापार संघ (CARIFTA) से कैरिकॉम का विकास हुआ।
- कैरिकॉम में 15 सदस्य देश और 6 सहयोगी सदस्य शामिल हैं।
- इसके 15 सदस्यों में शामिल हैं: एंटीगुआ और बारबुडा, बहामास, बारबाडोस, बेलीज़, डोमिनिका, ग्रेनेडा, गुयाना, हैती, जमैका, मोंटसेराट, सेंट किट्स और नेविस, सेंट लूसिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, सूरीनाम और त्रिनिदाद और टोबैगो।
- कैरिकॉम की अध्यक्षता प्रत्येक छह माह में सदस्य देशों के बीच बदलती रहती है। जॉर्जटाउन, गुयाना में स्थित इसका सचिवालय महासचिव द्वारा संचालित होता है।
- कैरिकॉम में 15 सदस्य देश और 6 सहयोगी सदस्य शामिल हैं।
- भारत-कैरिकॉम संबंध:
- क्षमता निर्माण और विकासात्मक सहायता: भारत ने कैरिकॉम देशों को निरंतर क्षमता निर्माण और विकासात्मक सहायता प्रदान की है।
- भारत ने सामुदायिक विकास परियोजनाओं (CDPs) के लिये 14 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान देने की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें से प्रत्येक कैरिकॉम देश के लिये 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर का आवंटन शामिल है।
- सौर, नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन से संबंधित परियोजनाओं के लिये 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट की घोषणा की गई।
- शैक्षिक और राजनयिक सहयोग: भारत, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम के माध्यम से कैरेबियाई देशों के छात्रों को उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करता है।
- भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन: दूसरा भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन वर्ष 2024 में जॉर्जटाउन, गुयाना में हुआ।
- यह साझेदारी सात प्रमुख स्तंभों पर आधारित है: क्षमता निर्माण, कृषि और खाद्य सुरक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन, नवाचार, प्रौद्योगिकी और व्यापार, क्रिकेट और संस्कृति, समुद्री अर्थव्यवस्था तथा स्वास्थ्य सेवा।
- भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन: दूसरा भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन वर्ष 2024 में जॉर्जटाउन, गुयाना में हुआ।
- क्षमता निर्माण और विकासात्मक सहायता: भारत ने कैरिकॉम देशों को निरंतर क्षमता निर्माण और विकासात्मक सहायता प्रदान की है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: ग्लोबल साउथ रणनीति के हिस्से के रूप में त्रिनिदाद और टोबैगो के साथ भारत के द्विपक्षीय एवं सांस्कृतिक संबंधों का परीक्षण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्नमेन्सप्रश्न: अंग्रेज़ किस कारण भारत से करारबद्ध श्रमिक अन्य उपनिवेशों में ले गए थे? क्या वे वहाँ पर अपनी सांस्कृतिक पहचान को परिरक्षित रखने में सफल रहे हैं? (2018) प्रश्न: दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था एवं समाज में भारतीय प्रवासियों को एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी है। इस संदर्भ में, दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय प्रवासियों की भूमिका का मूल्यनिरूपण कीजिये। (2017) |