भारत वर्ष 2025 में विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था | 29 Dec 2020

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिज़नेस रिसर्च (Centre for Economics and Business Research) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्ष 2025 तक ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए विश्व की पाँचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि भारत वर्ष 2030 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

  • CBER, ब्रिटेन की एक कंपनी है जो सार्वजनिक और निजी व्यवसाय-प्रतिष्ठानों (Firm) के लिये स्वतंत्र आर्थिक पूर्वानुमान प्रकाशित करती है।

प्रमुख बिंदु

रिसर्च का निष्कर्ष:

  • भारतीय अर्थव्यवस्था में वर्ष 2021 में 9% और वर्ष 2022 में 7% तक विस्तार होगा।
  • इस कारण भारत वर्ष 2025 में ब्रिटेन,वर्ष 2027 में जर्मनी और वर्ष 2030 में जापान को पीछे छोड़ते हुए वर्ष 2030 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
  • चीन पूर्वानुमानों से पाँच साल पहले ही वर्ष 2028 तक अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
  • जापान वर्ष 2030 की शुरुआत तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा जब तक की भारत इससे आगे नहीं निकल जाता, इसके बाद जापान द्वारा जर्मनी को चौथे से पाँचवें स्थान पर कर दिया जाएगा।

वर्तमान परिदृश्य:

  • भारत वर्ष 2019 में ब्रिटेन से आगे निकलकर विश्व की पाँचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया था, लेकिन वर्ष 2020 में पुनः 6वें स्थान पर आ गया।
    • विश्व की पाँच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ क्रमशः संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन हैं।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में कोविड-19 संकट से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण गिरावट आ रही थी।
    • सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) की वृद्धि दर दस साल के अपने निम्न स्तर पर पहुँच गई थी जो वर्ष 2019 में 4.2% पर थी।
  • वृद्धि दर में गिरावट कमज़ोर बैंकिंग प्रणाली, GST, विमुद्रीकरण और वैश्विक व्यापार में गिरावट का मिला-जुला परिणाम है।
  • GDP वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में वर्ष 2019 की तुलना में अपने स्तर से 23.9% कम थी, जिसका प्रमुख कारण कम वैश्विक मांग का होना और सख्त राष्ट्रीय लॉकडाउन से घरेलू मांग का गिर जाना था।

सुझाव:

  • आर्थिक स्थिति में सुधार की गति को अप्रत्यक्ष रूप से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव से जोड़ा जाएगा।
    • विश्व में टीकों के निर्माता के रूप में और 42 वर्षीय टीकाकरण कार्यक्रम (यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम) के साथ जो कि प्रत्येक वर्ष 55 लाख लोगों को लक्षित करता है, भारत कई अन्य विकासशील देशों की तुलना में टीकाकरण को अगले साल से सफलतापूर्वक तथा कुशलता से शुरू करने के लिये बेहतर स्थिति में है।
  • दीर्घकालिक समय में वर्ष 2016 के विमुद्रीकरण जैसे सुधार और हाल ही में कृषि क्षेत्र को उदार बनाने के विवादास्पद प्रयास आर्थिक लाभ पहुँचा सकते हैं।
    • कृषि क्षेत्र में कार्यरत अधिकांश भारतीय कार्यबल के साथ सुधार प्रक्रिया में एक समर्पित और क्रमिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होती है जो दीर्घकाल में कार्य-कुशलता और अल्पकालिक आय में वृद्धि के बीच संतुलित स्थापित करने वाला हो।
  •  भारत में मौजूद बुनियादी ढाँचे की कमी का मतलब है कि इस क्षेत्र में निवेश से उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
    • इसलिये सरकार द्वारा बुनियादी ढाँचे पर किये गए खर्च से अर्थव्यवस्था में विकास सुनिश्चित होगा।

स्रोत: द हिंदू