डेली अपडेट्स

भारत का अद्वितीय रोज़गार संकट | 08 Aug 2022 | भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, आवधिक श्रम सर्वेक्षण, विभिन्न क्षेत्रों में रोज़गार, बेरोज़गारी के प्रकार

मेन्स के लिये:

अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का महत्त्व, भारत में रोज़गार और बेरोज़गारी, बेरोज़गारी के प्रकार

चर्चा में क्यों?

हाल के एक अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में कृषि में कम लोग कार्यरत हैं, इसके वाबजूद परिवर्तन कमज़ोर रहा है।

कृषि क्षेत्र में रोज़गार:

sectoral-employment

भारत में रोज़गार प्रवृत्ति:

सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में रोज़गार के बढ़ते अवसर:

बेरोज़गारी पर अंकुश लगाने हेतु संभावित उपाय:

 बेरोज़गारी के प्रकार:

UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs): 

प्रच्छन्न बेरोज़गारी का आमतौर पर अर्थ होता है:

(a) बड़ी संख्या में लोग बेरोज़गार रहते हैं
(b) वैकल्पिक रोज़गार उपलब्ध नहीं है
(c) श्रम की सीमांत उत्पादकता शून्य है
(d) श्रमिकों की उत्पादकता कम है

उत्तर: C

व्याख्या:

  • एक अर्थव्यवस्था तब प्रच्छन्न बेरोज़गारी को प्रदर्शित करती है जब उत्पादकता कम होती है और बहुत से श्रमिक कार्य कर रहे हों।
  • एक अर्थव्यवस्था उस उत्पादन को प्रदर्शित करती है जो श्रम की एक इकाई के अतिरिक्त प्राप्त होता है। प्रच्छन्न बेरोज़गारी जब उत्पादकता कम होती है और कम कार्य के लिये बहुत से श्रमिक नियोजित होतें हैं।
  • सीमांत उत्पादकता योजक को संदर्भित करती है।
  • चूँकि प्रच्छन्न बेरोज़गारी में आवश्यकता से अधिक श्रम पहले से ही काम में लगा होता है, अतः श्रम की सीमांत उत्पादकता शून्य होती है।
  • अतः विकल्प (c) सही है।

प्र. क्या क्षेत्रीय-संसाधन आधारित विनिर्माण की रणनीति भारत में रोज़गार को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है? (मुख्य परीक्षा, 2019)

प्रश्न. आमतौर पर देश कृषि से उद्योग में और फिर बाद में सेवाओं में स्थानांतरित हो जाते हैं, लेकिन भारत कृषि से सीधे सेवाओं में स्थानांतरित हो गया। देश में उद्योग की तुलना में सेवाओं की भारी वृद्धि के क्या कारण हैं? क्या मज़बूत औद्योगिक आधार के बिना भारत एक विकसित देश बन सकता है? (मुख्य परीक्षा, 2014)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस