प्लुरिलेटरल वार्ता पर भारत की आपत्ति | 22 Oct 2018

चर्चा में क्यों

हाल ही में औद्योगिक और विकासशील देशों के एक समूह ने कज़ाकिस्तान के अस्ताना में होने वाले 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में विवादास्पद मुद्दों पर प्लुरिलेटरल (plurilateral) वार्ता शुरू करने के प्रयासों को तेज़ कर दिया है। भारत ने वैश्विक व्यापार निकाय में ‘मौजूदा नियमों के प्रवर्तन की उचित व्यवस्था’ किये बिना व्यापार वार्ता के ‘नए दौर’ के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज़ की है। 

अस्ताना सम्मेलन

  • अस्ताना सम्मेलन 8-11 जून, 2020 को कज़ाकिस्तान के अस्ताना में आयोजित किया जाएगा। यह सम्मेलन कुछ मुद्दों को हल करने हेतु विश्व व्यापार संगठन के मूल चरित्र (मल्टीलेटरल से प्लुरिलेटरल) को बदल सकता है। वर्तमान में ज़्यादातर देशों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है।
  • अस्ताना में प्लुरिलेटरल की शुरुआत के लिये लक्षित पाँच मुद्दों में इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य, निवेश सुविधा, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों, लिंग तथा सेवाओं में घरेलू विनियमन शामिल हैं।
  • इसके अलावा, अस्ताना सम्मेलन यह भी तय करेगा कि 2020 के बाद WTO सर्वसम्मति के सिद्धांतों पर काम करना जारी रखेगा या नहीं। 
  • सदस्य देशों के बीच इस बात को लेकर भी संघर्ष छिड़ सकता है कि विकासशील देशों जैसे- चीन, भारत, ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया को नीतियों के कार्यान्वयन की प्रतिबद्धता के मामले में विशेष एवं भिन्न सुविधा (S&DT) प्रदान की जाए अथवा नहीं। 
  • अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्यापार निकाय को अमेरिकी हितों के खिलाफ बताया था जिसके बाद डब्ल्यूटीओ ने विश्व बैंक तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ 'डब्ल्यूटीओ के आधुनिकीकरण' की बहस के तहत सुधारों का प्रस्ताव दिया। 

भारत का रुख

  • सिंगल अंडरटेकिंग फ्रेमवर्क के तहत सभी प्रतिभागियों को वार्ता की हर एक अंतर्वस्तु पर सहमत होने की आवश्यकता है। विदित है कि सिंगल अंडरटेकिंग फ्रेमवर्क पिछली वार्ताओं के उरुग्वे दौर (1986-1994) और वर्तमान अधूरे दोहा दौर का आधार है।
  • अफ्रीकी दूतावास के अनुसार, भारत ने उरुग्वे दौर के समझौतों जैसे-कृषि पर समझौते (AoA) में सुधार का प्रस्ताव दिया था। 
  • विकासशील और गरीब देशों की एक बड़ी संख्या ने भारत की चिंताओं पर ध्यान दिया है। भारत ने विश्व बैंक और आईएमएफ द्वारा प्रस्तावित सुधारों के संदर्भ में सदस्यों के पूर्व अनुमोदन के बिना ‘पार्टी बनने’ के लिये डब्ल्यूटीओ सचिवालय की आलोचना की।

चीन और अमेरिका का रुख

  • चीन ने डब्ल्यूटीओ के मूल और बुनियादी सिद्धांतों की याद दिलाते हुए सदस्यों को सावधान रहने की चेतावनी दी।
  • अमेरिका विवाद निपटान निकाय को मजबूत करने की मांगों को छोड़कर सुधारों का समर्थन करता है। अमेरिका चाहता है कि चीन के बाज़ार क्षेत्र से अलग अर्थव्यवस्थाएँ WTO के सुधारों का लक्ष्य बनें।