भारत का रक्षक मिसाइल | 04 Aug 2018

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने अपने हवाई क्षेत्र की रक्षा को सुदृढ़ करने के लिये अमेरिका से रक्षक मिसाइल खरीदने की योजना बनाई है। इसके तहत राष्ट्रीय उन्नत वायु रक्षा प्रणाली – II (National Advanced Surface-to-Air Missile System- NASAMAS-II) की खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह सौदा लगभग $ 1 बिलियन का होगा।

प्रमुख बिंदु

  • यह रक्षा प्रणाली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को हवाई हमलों से बचाने में मददगार होगी।
  • यह 9/11 जैसे हमलों (इसमें आतंकवादियों ने अपहृत विमान द्वारा न्यूयार्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हमला कर दिया था) से सुरक्षा प्रदान करती है।
  • इस तरह इस रक्षा प्रणाली से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित महत्त्वपूर्ण भवनों की रक्षा की जा सकेगी। 

हवाई क्षेत्र की सुरक्षा हेतु पहल

  • भारत अपने हवाई क्षेत्र को लड़ाकू विमान, मिसाइलों और मानवरहित हवाई वाहनों (unmanned aerial vehicles-UAV) द्वारा पूरी तरह सुरक्षित करने के लिये  बहु-स्तरीय वायु रक्षा नेटवर्क भी तैनात कर रहा है।
  • यह प्रणाली मध्यम और लंबी दूरी की सतह से हवा (surface to air) में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली जैसे अन्य प्रणालियों के लिये पूरक के रूप में कार्य करेगी।
  • भारत, रूस के साथ अत्यधिक लंबी दूरी की S-400 रक्षा प्रणालियों की खरीद हेतु उन्नत चरण में पहुँच गया है।
  • NASAMAS को किंग्सबर्ग डिफेंस और नॉर्वे के एयरोस्पेस की भागीदारी में रेथियॉन द्वारा विकसित किया गया था।
  • यह किसी भी ऑपरेशनल एयर डिफेंस जैसी आवश्यकता के लिये अत्यधिक अनुकूलनीय मध्यम दूरी समाधान प्रस्तुत करता है, जो ज़रूरत के अनुसार समायोजित होकर खतरों को तीव्र गति से पहचानने की क्षमता को बढ़ा देता है और दुश्मन के एयरक्राफ्ट, उभरते क्रूज़ मिसाइल या मानवरहित हवाई वाहनों के खतरों का सामना कर उसे नष्ट कर देता है।
  • NASAMS-II एक अपग्रेड किया गया संस्करण है और त्वरित प्रतिक्रिया के लिये नए 3 डी मोबाइल निगरानी रडार और 12 मिसाइल लॉन्चर से युक्त हैं।
  • भारत, रूस के ऊपर अमेरिकी प्रतिबंधों पर भिन्न विचार रखता है और अमेरिका के प्रतिबंधात्मक अधिनियमों का विरोध भी करता है। लेकिन इन सबसे आगे बढ़ते हुए भारत, रूस से एस -400 सिस्टम की खरीद रहा है।
  • इन आयातों के अलावा भारत खुद भी स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित कर रहा है। बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली के प्रथम चरण की तैनाती जल्द ही किये जाने की उम्मीद है।